गाज़ियाबाद। शायर अनिमेष शर्मा Animesh Sharma के ग़ज़ल संग्रह ’तेरी मुरादों का जहां’ का लोकार्पण कल शाम गाज़ियाबाद के इन्द्रप्रस्थ इंजीनियरिंग कालेज में हिंदुस्तान के वरिष्ठ कवियों एवं दिग्गज शायरों के कर कमलों द्वारा सम्पन्न हुआ । माँ शारदे के चित्र के समुख सभी अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर पुष्प अर्पित किए । माँ शारदे की वंदना कवियत्री अंजू जैन ने अपने मधुर स्वर में की । कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ ओज कवि श्री कृष्ण मित्र ने की
Animesh Sharma की ग़ज़लों को
विजेंद्र परवाज़ ने अपने बीज वक्तव्य में कहा Animesh Sharma “अनिमेष शर्मा की ग़ज़लों को मैंने तहेदिल से सुना है, पढ़ा है और महसूस किया है । वे अपने ख्यालात ,ज़ज़्बात ओर तवस्सुरात सबको गुलों की रंगत देकर एक ऐसा गुलदस्ता तैयार करते हैं जिसे ग़ज़ल कहा जाता है ।अगर सच कहूं तो उनका शिल्प एक चाँदी का कटोरा है, उसमें भरे हुए अशआर रंग बिरंगे हीरे जवाहरात हैं स
इस अवसर पर उस्ताद शायर सर्वेश चंदौसवी एवं मंगल नसीम एवं सीमाब सुल्तानपुरी ने भी अपने अपने वक्तव्य देते हुए शुभकामनाएं दीं ।
अनिमेष शर्मा ने कहा कविता सायास नहीं कि जा सकती कविता अनायास ही अवतरित होती है ।जैसे बारिश की बूंदों को पता नहीं होता कि कौन सी बूंद सीप में गिरकर मोती बनेगी। वैसे ही किसी कवि को पता नहीं होता कि उसकी कौन सी कविता कब किसको अपनी दास्तां लगने वाली है किसके दिल में अपनी जगह बनाने वाली है और कौन उसकी कविता को कैसे नवाज़ता है ।
इस अवसर पर चित्रकार संजय कुमार गिरि ने अनिमेष शर्मा का पेंसिल से बनाया उनका सुंदर स्केच भी उन्हें भेंट किया जिसकी सभी ने प्रशंसा की, साथ ही जगदीश मीणा को साहित्य सेवा के लिए सम्मानित भी किया गया ।
वरिष्ठ कवि एवं शायर उपस्थित हुए
अन्य अतिथियों में देश के कई वरिष्ठ कवि एवं शायर उपस्थित हुए जिनमें दीक्षित दनकौरी मासूम ग़ाज़ियाबादी,,मीरा शलभ ,श्रीमती उर्मिला माधव जी चित्रकार संजय कुमार गिरि ,जगदीश मीना गुरचरण मेहता ’रजत’ जी,श्रीमति तरुणा मिश्रा जी,चेतन आनन्द, रामकिशोर उपाध्याय, ओम प्रकाश शुक्ल जी,श्रीमति अंजू जैन , दीपाली जैन ’ज़िया’ अशोक पंकज, जगदीश पंकज ,डॉ ऋचा सूद ,डॉ वीना मित्तल , आदेश त्यागी, लता भारती,आशीष सिन्हा ’क़ासिद’ तूलिका सेठ जी,श्रीमति कीर्ति रतन ममता लड़ीवाल, दीपक कुमार शुक्ला आदि लोग उपस्थित थे।
जिस कार्यक्रम का अल्पना सुहासिनी संचालन कर रही हों, अनिमेष जी जैसे मेज़बान हों और मंच के ऊपर एवं सामने दोनों ही तरफ़ ग़ज़ल के इतने माहिर मौज़ूद हों, वो कार्यक्रम बेहद लाज़बाब होता ही है ।