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अनुपम खेर ने अपने पिता पुष्करनाथ की पुण्य तिथि पर पढ़ी पंकज प्रसून की कविता

अनुपम खेर ने अपने पिता स्व. पुष्करनाथ की पुण्य तिथि पर पंकज प्रसून की कविता का जिक्र करते हुए इंस्टाग्राम पर लिखा, ‘आज मेरे पिता को गए नौ साल हो गए। उन्होने मुझे जिन्दगी जीने का अंदाज़ सिखाया। मैं रोज उनकी अच्छी बातें, उनका सेंस ऑफ ह्यूमर उनका दयाभाव और उनकी दी हुई सलाह याद करता हूँ। शुक्रिया मेरे प्रिय मित्र पंकज प्रसून, आपके दिल से निकली पिताजी पर इस विशेष कविता के लिए’ प्रख्यात अभिनेता अनुपम खेर ने एक बार फिर से लखनऊ के व्यंग्यकार और कवि पंकज प्रसून की पिताजी पर लिखी रचना को अपने पिता पुष्करनाथ की पुण्यतिथि पर रिकॉर्ड करके अपने फेसबुक इंस्टा और टि्वटर अकाउंट से पोस्ट की है। इस पोस्ट में उन्होमे अपने भाई राजू खेर और मां दुलारी खेर को टैग किया है।

इस कविता को लाखों लोग देख चुके हैं, और भावुक कमेंट कर रहे हैं। अनुपम खेर के बेटे अभिनेता सिकन्दर खेर ने इसे अब की बेस्ट कविता कहा है। द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर के निर्माता अशोक पण्डित ने कमेंट किया है कि महान लोग हमेशा याद रहते हैं।

बता दें कि अनुपम खेर के पिता पुष्कर नाथ पेशे से क्लर्क थे ।उनका निधन 10 वर्ष पहले हुआ था और उनकी अंतिम यात्रा को अनुपम खेर ने डेथ सेलिब्रेशन के रूप में मनाया था। पूरा परिवार रंगीन कपड़ों में बैंड बाजे के साथ उनकी शव यात्रा निकाली थी। तबसे वह हर साल 10 फरवरी को पुष्करनाथ डे के रूप में मनाते हैं।

कविता की कुछ मार्मिक पंक्तियाँ..

“मैं तुमको दोस्त सा पिता कहूं
या पिता सा दोस्त
जो मुझे मुस्कान देता था
और पानी मे भी गिरे मेरे आंसुओं को पहचान लेता था”

“तुमने मुझे हमेशा अंडरलाइन किया
कभी अंडरएस्टिमेट नहीं किया
चाहे वो अखबार में छपा मेरा नाम हो
चाहे मेरी ज़िंदगी का जुनून..”

अनुपम खेर और पंकज प्रसून के बीच सृजन का बड़ा ही रोचक रिश्ता है। उन्होने पंकज प्रसून की कई कविताओं को रिकॉर्ड किया है।
उन्होंने पिछले अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर पंकज प्रसून की कविता लड़कियां बड़ी लड़ाका होती हैं को टाइम्स स्क्वायर न्यूयॉर्क से पढ़ा था, उसके बाद उन्होंने उनकी दूसरी कविता मां का बुना स्वेटर कभी छोटा नहीं होता है को अपनी मां दुलारी को समर्पित करते हुए रिकॉर्ड की थी।
अनुपम खेर की चर्चित किताब योर बेस्ट डे इस टुडे पर भी पंकज प्रसून की कविता काफी वायरल हुई थी।

लखनऊ विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह में आमंत्रित किए गए अनुपम खेर ने साहित्यकार यतीन्द्र मिश्रा से हुई अपनी टॉक में बताया था कि वह पंकज प्रसून की कविताओं को बहुत पसंद करते हैं। प्रसून की कविताएं दिल से लिखी जाती हैं और सीधे दिल पर दस्तक देती हैं।

पंकज प्रसून बताते हैं कि अनुपम खेर से उनका बड़ा ही खास रचनात्मक रिश्ता है। वह उनकी कविताओं को महसूस करते हैं बहुत ही भावुक पूर्ण तरीके से उसको पढ़ते हैं। और करोड़ों लोगों तक संवेदना के शिखर तक पहुंचाते हैं। एक कवि के लिए इससे बेहतर और क्या हो सकता है, उनकी कविता को एक महान अभिनेता न सिर्फ पसंद करे बल्कि उसे करोड़ों लोगों तक पहुंचा भी दे।

https://www.instagram.com/tv/CLFn8A0lv0D/?igshid=1k67xal4c7zsb

पूरी कविता….

तुम्हारे लिए कर रहा हूँ ये पोस्ट
कैसे हो मेरे दोस्त
ऊपर भी महफ़िल सजा रहे होंगे
ईश्वर को भी हंसा रहे होंगे
स्वर्ग वाले भी बड़े खुश होंगे तुम्हे पाकर

तुम्हारा वेलकम फंक्शन मनाया होगा
सबको दावत दी गई होगी
जोरदार पार्टी की गई होगी

तुम्हे मालूम है
जब तुम्हारे ठहाके स्वर्ग में गूंजते हैं ना
तो माँ भी यहां खिलखिलाने लगती है

तुमको मैं दोस्त सा पिता कहूँ
या पिता सा दोस्त
जो मेरी शर्त भी पूरी करता था और जिद भी
जो मुझे मुस्कान देता था
और पानी में भी गिरे मेरे आंसू को पहचान लेता था
तुमने मुझे बहुत कुछ यार सिखाया है
इस दुनिया से करना प्यार सिखाया है

सुनो, मैं तुमको याद वाद नहीं करता
क्योंकि सच्चा दोस्त भुलाया ही नहीं जा सकता
तुमने मुझे हमेशा अंडरलाइन किया
अभी अंडरएस्टिमेट नही किया
चाहे वो अखबार में छपा मेरा नाम हो
या मेरी ज़िंदगी का जुनून

सच कहूँ
तुम मेरे लिए कभी मर ही नहीं सकते
तुम मेरे ह्रदय के आनंद में हो
तुम मानवता की भीनी सुगन्ध में हो
तुम दरो दीवार में बसे हो
लगता है बस अभी अभी हंसे हो

तुम खूबसूरत एहसासों में ज़िंदा हो
मां की साँसों में जिंदा हो
भाई की आवाज़ में जिंदा हो
दोस्तों के अल्फ़ाज़ में जिंदा हो
तुम हमारी दिन और रातों में पैबस्त हो
तुम हमारे जज़्बातों में पैबस्त हो

‘खुशबू बनकर जीवन के उपवन में रहते है
मन को छूने वाले तो सबके मन मे रहते हैं’
तुम यहीं हो एकदम हमारे पास
बनकर हमारा सम्बल हमारा विश्वास….लव यू पिताजी

https://www.facebook.com/watch/?v=444470260026903

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