हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य में जोशीमठ जैसे खतरे की आशंका जताई है। उन्होंने आशंका जताते हुए कि हिमाचल का भी उत्तराखंड के जोशीमठ की तरह हश्र हो सकता है। इस आशंका के मद्देनजर उन्होंने केंद्र सरकार से राज्य के लिए आपदा कोष में वृद्धि करने का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री वर्चुअल तरीके से दो डॉपलर वेदर रडार (DWR) स्थापित करने के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने पहाड़ी राज्य के कुछ क्षेत्रों के बारे में चिंता जताई, जहां लैंड स्लाइड की आशंका है। उन्होंने केंद्रीय विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह से इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए राज्य का दौरा करने का भी आग्रह किया।
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हिमाचल के मुख्यमंत्री ने कहा कि हम पर्याप्त तकनीक के साथ इन स्लाइडिंग क्षेत्रों के लिए प्रभावी ढंग से योजना नहीं बना सके हैं। हमें हिमाचल के लिए चार समर्पित डॉपलर मौसम रडार सिस्टम की आवश्यकता है। सीएम सुक्खू ने कहा कि किन्नौर और स्पीति के 30 फीसदी इलाके में अक्सर बादल फटते हैं। उन्होंने कहा कि करीब दो से तीन साल पहले किन्नौर में बादल फटा था, जिससे न केवल जान-माल का नुकसान हुआ था, बल्कि जलविद्युत परियोजनाओं को भी नुकसान पहुंचा था।
बता दें कि IMD ने रविवार को हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में चार डीडब्ल्यूआर शुरू किए, जो पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में इसकी मौसम निगरानी क्षमताओं को मजबूत करेगा। डीडब्ल्यूआर हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले और मंडी जिले में स्थापित की गई है। इसके अलावा उत्तराखंड में सुरकंडा देवी, हिमाचल में जोत व मुरारी देवी और जम्मू-कश्मीर में बनिहाल टॉप पर स्थापित किया गया। बता दें कि डॉपलर वेदर रडार को समय पर पूर्वानुमान, चेतावनी और मौसम डेटा के लिए बेहतर और बेहतर मौसम सेवाएं प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
इस बीच, जितेंद्र सिंह ने कहा कि डॉपलर राडार की संख्या 2013 में 15 से बढ़कर 2023 में 37 हो गई है। उन्होंने कहा कि देश अगले दो से तीन वर्षों में 25 और राडार जोड़ देगा, जिससे यह संख्या 62 हो जाएगी। 2025 तक पूरा देश डॉपलर राडार से कवर हो जाएगा।