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रामराज्‍य की संकल्पना से ही भारत बनेगा विश्व गुरु – अरिहंत ऋषि

मध्‍य प्रदेश। इंदौर के अभय प्रशाल में एक सांस्‍कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया,जिसमें उर्जा गुरु अरिहंत ऋषि (Arihant Rishi) ने ‘रामराज्‍य- एक नये भारत का निर्माण कार्यक्रम’ विषय पर सभा को सम्‍बोधित किया। अपने संबोधन के दौरान उर्जा गुरु अरिहंत ऋषि ने उपस्थित जनसमूह को रामराज्‍य मिशन से भारत और विश्‍व को जोड़ने का आह्वान किया।

ऐसा रामराज्‍य जो वसुधैव कुटुम्‍कम की बात करेगा

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उर्जा गुरु अरिहंत ऋषि ने कहा कि “रामराज्‍य से ही भारत और विश्‍व में अमन और शांति आएगी और रामराज्‍य की संकल्‍पना से ही भारत पुन: विश्‍वगुरु बनेगा। यह एक ऐसा रामराज्‍य होगा जो वसुधैव कुटुम्‍कम की बात करेगा। इस राम राज्‍य में भारत में धर्म के संरक्षण, संस्‍कृति के संवर्धन और हिन्दुत्‍व के जागरण के लिए,संत समाज और साधारण जन के बीच आपसी तालमेल आवश्‍यक है। यह एक ऐसा रामराज्‍य होगा,जहां आतंकवाद की बात न होती हो,जहां हिन्‍दू संस्‍कृति का संवर्धन होता हो, जहां किसान और जवान दोनों मिलकर भारत माता की सेवा में तन,मन और धन से लगे हों और जहां आम जनता और राजनेताओं में समन्‍वय के भाव पैदा होते हों। इस रामराज्‍य में लोग रामचरित मानस, बुद्ध, महावीर और कृष्‍ण का अनुसरण करेंगे नाकि पाश्‍चात्य संस्‍कृति को अपनायेंगे और यह रामराज्‍य ऐसा हो,जहां विज्ञान, गणित जैसे विषयों की पुनर्स्‍थापना होती हो,साथ ही यह अन्‍य विषयों को छूता हो।”

रामराज्य एक आदर्श राज्य और आदर्श सत्ता का प्रतीक

आयोजक समिति ने बताया कि “यह कार्यक्रम राम और रामराज्य की अवधारणा पर केन्द्रित है। राम भारतीय संस्कृति के केन्द्र में स्थित भारत के आदर्श हैं और रामराज्य की परिकल्पना हजारों साल पहले की है। रामराज्य की परिकल्पना महात्मा गांधी ने भी की थी। रामराज्य में सबकी मर्यादा,अस्मिता की रक्षा होती है और सभी का समावेश होता है। राम हमारी संस्कृ‍ति में रचे-बसे हैं,राम का व्यक्तित्व विराट है और उनका नाम इंडोनेशिया, मलेशिया, कम्बोसडिया तक फैला हुआ है। रामराज्य एक आदर्श राज्य और आदर्श सत्ता का प्रतीक है। राम के जीवन से हम कुशलता के साथ मैनेजमेंट करना, मोटिवेट करना और गलत का विरोध करना सीख सकते हैं।”

देशभक्‍ति गीतों की सुंदर प्रस्‍तुति

इस अवसर पर शामिल दिव्‍य महर्षि महामनाचार्य श्री कुशाग्रनंदी गुरुवर्य,चंपतराय, श्री जितेन्‍द्रनंद सरस्‍वती, राहुल वाळंज उपस्‍थित थे। कार्यक्रम की शुरुआत सांस्‍कृतिक कार्यक्रमों से हुई,जिसमें देशभक्‍ति गीतों की सुंदर प्रस्‍तुति हुई। उर्जा गुरु अरिहंत ऋषि के सम्‍बोधन के बाद उपस्‍थित श्रोताओं से संवाद सत्र का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम में धर्म, समाज उत्‍थान और राजनीति आदि विषयों पर चर्चा की गई। जिसमें संत,नागरिक और समाज के विभिन्‍न वर्गों के लोगों ने भाग लिया।

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