लखनऊ। राजधानी में जैन धर्म के चल रहे दस लक्षण पर्व के तीसरे दिन रविवार को जैन मंदिरों में उत्तम आर्जव धर्म की पूजा संपन्न हुई। दिगम्बर जैन मन्दिरों मे भक्तों के द्वारा प्रातः नित्यनियम पूजन और सायंकाल भक्तिभाव से आरती और स्वाध्याय हुआ।
आशियाना जैन मन्दिर मे शान्तिधारा का पुण्यार्जन अभय कुमार शाह परिवार को मिला। स्वाध्याय सभा में डॉ. अभय कुमार जैन ने कहा कि व्यवहारिक जीवन में “ऋजोर्भावः आर्जवम्” अर्थात् सरलता का नाम आर्जव है। आर्जव धर्म का विरोधी भाव कुटिलता (मायाचार) है।
मायाचारी छल – कपट से कार्य सिद्ध करना चाहता है। मायाचार क्षणिक सुख का अनुभव है। जबकि आर्जव धर्म स्थायी सुख प्रदाता है। मन शुद्धि होने पर वाणी और क्रिया स्वमेव शुद्ध होती है और आर्जव धर्म का पालन सहजता से हो जाता है।
आज के धार्मिक अनुष्ठानों में अध्यक्ष बृजेश जैन, शरद चन्द्र, डॉ. अभय जैन, संजीव जैन, अंकित जैन, चन्द्रप्रकाश, विकास जैन, एस. के. मोदी आदि ने सामूहिक पूजन किया। सोमवार को उत्तम शौच धर्म की पूजा होगी। प्रातः 7 बजे अभिषेक, शान्तिधारा और पूजन
सायं 7 बजे आरती और शास्त्र सभा होगी।