अफगानिस्तान पर तालिबान के नियंत्रण ने एक बार फिर निसंदेह महिलाओं के जीवन को खतरे में डाल दिया है कई अफगान महिलाओं के लिये हिंसा बहुत लंबे समय से एक कड़वी सच्चाई रही है। यूएसएआईडी के जनसांख्यिकी एवं स्वास्थ्य कार्यक्रम के 2015 के सर्वेक्षण के अनुसार, देश के कुछ इलाकों में 90 प्रतिशत महिलाओं ने अपने पति के द्वारा की गई हिंसा का सामना किया है।
जिन पुरुषों से हमने बात की, वे भी पुरुषों और महिलाओं के बीच की असमानताओं से अच्छी तरह वाकिफ हैं। लेकिन वे अक्सर मानते हैं कि महिलाओं को पुरुषों के संरक्षण और मार्गदर्शन में रहना चाहिये। लोग अपने अपने हिसाब से इस पर तर्क-वितर्क करते हैं।
अमेरिकी अतिक्रमण के दौरान, एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वाच ने मुजाहिदीन, कबीलों के कट्टरपंथी मुखिया आदि की भूमिका रेखांकित की थी जो खुद ही युद्ध अपराधी होते हैं और यौन उत्पीड़न करते हैं। अफगानिस्तान सरकार के दौरान ये लोग ही मंत्री, गवर्नर और संसद के सदस्य बन गए। युद्ध ने महिलाओं को गई घाव दिए।
अफगानिस्तान की महिलाएं और कुछ हद तक पुरुष पितृसत्ता और लैंगिक भेदभाव को खत्म होते देखना चाहते हैं, लेकिन उम्मीद की किरण उन्हें धुंधली ही दिखाई देती है।