हमारी धरती की तरफ एक बहुत बड़ा एस्टेरॉयड (छोटा तारा) तेजी से आ रहा है। यह खुलासा खुद अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने किया है। यह एस्टेरॉयड धरती के सबसे ऊंचे पहाड़ माउंट एवरेस्ट से भी कई गुना बड़ा बताया जा रहा है। धरती की तरफ बढ़ने की इस एस्टेरॉयड की स्पीड 31,319 किलोमीटर प्रतिघंटा है। यानी करीब 8.72 किलोमीटर प्रति सेकेंड की गति से यह हमारी तरफ बढ़ रहा है।
वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि इतनी गति से यह अगर धरती के किसी हिस्से में टकराएगा तो बड़ी सुनामी ला सकता है या फिर कई देश बर्बाद कर सकता है। हालांकि, नासा का कहना है कि इस एस्टेरॉयड से घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह धरती से करीब 64 लाख किलोमीटर दूर से गुजरेगा। अंतरिक्ष विज्ञान में यह दूरी बहुत ज्यादा नहीं मानी जाती लेकिन कम भी नहीं है। कुछ वैज्ञानिकों ने इसके धरती से टकराने की भी आशंका जताई है।
इस एस्टेरॉयड को 52768 (1998 OR 2) नाम दिया गया है। इस उल्का पिंड को नासा ने सबसे पहले 1998 में देखा था। इसका व्यास करीब 4 किलोमीटर का है।अनुमान है कि यह एस्टेरॉयड 29 अप्रैल को धरती के पास से गुजरेगा। इस बारे में अंतरिक्ष विज्ञानी डॉक्टर स्टीवन प्राव्दो ने बताया कि उल्का पिंड 52768 सूरज का एक चक्कर लगाने में 1,340 दिन या 3.7 वर्ष लेता है।
खगोलविदों के मुताबिक ऐसे एस्टेरॉयड का हर 100 साल में धरती से टकराने की 50,000 संभावनाएं होती हैं, लेकिन, किसी न किसी तरीके से ये पृथ्वी के किनारे से निकल जाते हैं। खगोलविदों के अंतरराष्ट्रीय समूह के डॉ. ब्रूस बेट्स ने ऐसे एस्टेरॉयड को लेकर कहा कि छोटे एस्टेरॉयड कुछ मीटर के होते हैं। ये अक्सर वायुमंडल में आते ही जल जाते हैं। इससे कोई बड़ा नुकसान नहीं होता है। बता दें कि साल 2013 में लगभग 20 मीटर लंबा एक उल्कापिंड वायुमंडल में टकराया था। एक 40 मीटर लंबा उल्का पिंड 1908 में साइबेरिया के वायुमंडल में टकरा कर जल गया था।