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विश्व मुक्केबाजी में मैरी कॉम ने पक्का किया आठवां पदक,सेमीफाइनल में मारी एंट्री

चैम्पियन एम सी मैरी कॉम (51 किलो) महिला विश्व चैम्पियनशिप के इतिहास में सबसे सफल मुक्केबाज बन गई जिन्होंने सेमीफाइनल में पहुंचकर आठवां पदक पक्का कर लिया। तीसरी वरीयता प्राप्त मैरी कॉम ने कोलंबिया की वालेंशिया विक्टोरिया को 5-0 से हराकर अंतिम चार में जगह बनाई। जीत के बाद उन्होंने कहा कि पदक सुरक्षित करके मैं बहुत खुश हूं, लेकिन फाइनल में पहुंचने से और खुशी होगी। उन्होंने कहा कि यह मेरे लिये अच्छा मुकाबला था और अब मैं सेमीफाइनल में बेहतर प्रदर्शन करना चाहूंगी।

सेमीफाइनल में शनिवार को उनका सामना दूसरी वरीयता प्रापत तुर्की की बुसेनाज साकिरोग्लू से होगा जो यूरोपीय चैम्पियनशिप और यूरोपीय खेलों की स्वर्ण पदक विजेता है। उन्होंने चीन की केइ जोंग्जू को क्वार्टर फाइनल में हराया। दो बार की कांस्य पदक विजेता कविता चहल (प्लस 81 किलो) हालांकि बेलारूस की कैटसियारिना कावालेवा से 0-5 से हार गई। मैरी कॉम ने संयम के साथ खेलते हुए अपने मौकों का इंतजार किया।

उनका अनुभव उनकी सफलता की कुंजी साबित हुआ। उनके सीधे पंच काफी प्रभावी थे और उन्होंने विक्टोरिया के डिफेंस को भेद दिया। इस जीत के साथ मैरी कॉम ने टूर्नामेंट की सफलतम मुक्केबाज होने का अपना ही रिकार्ड तोड़ा। पदकों की संख्या के आधार पर वह पुरूष और महिला दोनों में सबसे सफल है। पुरूष वर्ग में क्यूबा के फेलिक्स सावोन ने सर्वाधिक सात पदक जीते हैं।

मैरी कॉम के नाम अभी तक छह स्वर्ण और एक रजत पदक है लेकिन वह 51 किलोवर्ग में पहली बार पदक जीतेगी। पिछली बार वह क्वार्टर फाइनल में हार गई थी। मैरी कॉम ने ओलंपिक कांस्य पदक (2012) पांच एशियाई खिताब, एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण भी जीता है। इस साल उन्होंने गुवाहाटी में इंडिया ओपन और इंडोनेशिया में प्रेसिडेंट ओपन में स्वर्ण पदक जीता। वह राज्यसभा सदस्य भी है। तीन बार की एशियाई पदक विजेता चहल का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। उनके समूह में कम प्रतियोगी होने के कारण उन्हें सीधे क्वार्टर फाइनल में प्रवेश मिला था।

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