भारतीय चिंतन में अस्था रखने वाले ही पर्यावरण और जल संरक्षण का कार्य निष्ठा के साथ कर सकते हैं. यही कारण है कि नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ दोनों ही इसके प्रति गंभीरता से प्रयास करते हैं. इसके दृष्टिगत केंद्र और प्रदेश सरकार अनेक योजनाओं का संचालन भी कर रही है. नरेंद्र मोदी ने तो कहा था कि चरणामृत कि एक बूंद नीचे गिरने पर हम उसे माथे पर लगाते हैं, वैसे ही जल की एक एक बूंद का सम्मान होना चाहिए. अर्थात जल की एक एक बूंद का संरक्षण होना चाहिए. योगी आदित्यनाथ भी इस विचार का जीवन में अमल करते हैं. मुख्यमंत्री के रूप मे वह इस विचार के अनुरूप कार्य करते हैं।
वह पर्यावरण संरक्षण जल संरक्षण के प्रति बहुत सजग रहते हैं. इसकी प्रेरणा उन्हें भारतीय संस्कृति से मिलती है. उन्होंने कहा भी है कि जल के रूप में हमें हजारों वर्षाें की विरासत मिली है। अपनी आवश्यकताओं के साथ ही भावी पीढ़ी तथा जीव-सृष्टि के लिए इसे अक्षुण्ण बनाये रखना हमारा दायित्व है। इस दिशा में प्रदेश में कल एक ही दिन में तीस करोड़ वृक्षारोपण का वृहद अभियान चलाया जा रहा है। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भी पांच करोड़ वृक्षारोपण का कार्यक्रम आयोजित होगा। एक नागरिक के रूप में हमारा भी दायित्व है कि स्वयं के साथ आने वाली पीढ़ी के बचाने के लिए जल संरक्षण के प्रयास करें।
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भूजल का स्तर जितना ऊंचा रहेगा, उतना ही व शुद्ध रहेगा। एक सीमा से नीचे जाने पर भूजल में आर्सेनिक व फ्लोराइड की समस्या होने लगती है। जिसके स्वास्थ्य सम्बन्धी अनेक दुष्प्रभाव है। इसके अनुरूप वह सरकार के स्तर पर सभी सम्भव प्रयास करते हैं. इसके साथ ही समाज को भी जागरूक करते है. उन्होंने इस वर्ष पौधारोपण के अपने ही विश्व रिकार्ड को पीछे छोड़ने का लक्ष्य बनाया है. इसके साथ ही पेड़ लगाओ पेड़ बचाओ का संदेश भी दिया जाएगा. इसी प्रकार योगी आदित्यनाथ ने जल संरक्षण के सरकार के स्तर पर कार्य योजनाओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित किया. इसके साथ ही वह जल संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक भी करते हैं. वह इसके लिए समाज के सहयोग को भी अपरिहार्य मानते हैं. उन्होंने लोक भवन में भूजल सप्ताह के समापन समारोह को संबोधित किया।
जल-कलश में प्रतीकात्मक जल संचयन किया। कहा कि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘पर ड्राॅप मोर क्राॅप’, रूफटाॅप रेन वाॅटर हार्वेस्टिंग, चेक डैम का निर्माण,अमृत सरोवर के माध्यम से जल संरक्षण के कार्यक्रम इसी का हिस्सा है। प्रदेश सरकार द्वारा सरकारी भवना तथा एक निश्चित सीमा से उपर के भवनों के निर्माण पर रेन वाॅटर हार्वेस्टिंग की अनिवार्यता की गयी है। जल जीवन मिशन के तहत हर घर नल योजना चल रही है। हर घर में जल उपलब्ध कराने का सपना साकार हो रहा है। उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड तथा विन्ध्य क्षेत्र में आज सरकार आर ओ का पानी घर-घर पहुंचाने का कार्य कर रही है। जल जीवन मिशन के अन्तर्गत करीब अस्सी प्रतिशत योजनाओं में भूगर्भ जल का उपयोग किया जा रहा है।
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अमृत योजना के दूसरे चरण में हर शहर तथा कस्बे को जल जीवन मिशन से जोड़ा जा रहा है। हमारा दायित्व है कि भूजल को सुरक्षित रखने के लिए जल संरक्षण की तैयारी करें। अमृत सरोवरों के संरक्षण तथा उनके चारो ओर वृक्षारोपण किया जाए। इन सरोवरों में शुद्ध जल ही संचित किया जाए। पुराने तालाबों को डीसिल्ट करके उन्हें जल संचयन के बड़े केन्द्रों के रूप में विकसित किया जाएगा. उनके चारों ओर वृक्षारोपण किया जाएगा. पीपल, पाकड़, बरगद एवं जामुन जैसे जल संरक्षण में योगदान देने वाले वृक्षों को लगाया जाएगा. सरकार के साथ ही आमजन का जुड़ाव इसे जन आन्दोलन का रूप देगा। जब जल आन्दोलन जन आन्दोलन में बदलेगा, तभी इसके लाभ प्राप्त होंगे। प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों, नगरीय वाॅर्डाें, सरकारी तथा निजी भवनों में जल संरक्षण के कार्य को लागू किया जाना चाहिए। इसके लिए बरसात का यह समय सबसे उपयुक्त है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस प्रकार बैंक से लगातार धन निकालने पर एक समय बाद खाते से धनराशि समाप्त हो जाती है, उसी प्रकार यदि भूगर्भ जल का दोहन होता रहे और उसके संरक्षण के उपाय न किए जाएं, तो भूगर्भ जल भी धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगा और सभी विकासखण्ड क्रिटिकल हो जाएंगे। क्रिटिकल विकासखण्डों को सेमी क्रिटिकल में तथा सेमी क्रिटिकल को सामान्य विकास खण्डों के रूप में स्थापित करने के लिए जल संरक्षण के अभियान को आगे बढ़ाना होगा। इसमें व्यापक जनजागरूकता और आम नागरिक की भागीदारी बड़ी भूमिका का निर्वहन कर सकती है।
रिपोर्ट-डॉ दिलीप अग्निहोत्री