भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी आैर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राजनीतिक और व्यक्तिगत कनेक्शन काफी गहरा माना जाता है। एेसे कर्इ अवसरों में जहां मोदी जी को मार्गदर्शन और समर्थन की जरूरत पड़ी वहां Atal जी ने उनका अपना भरपूर सहयोग किया।
Atal जी आैर मोदी के रिश्ते थे काफी गहरे
भारत के पूर्व आैर वर्तमान प्रधानमंत्री के रिश्ते काफी गहरे रहे हैं। ना केवल इसलिए क्यूंकि मोदी बीजेपी के कुशल कार्यकर्ता और नेता थे बल्कि इसलिए भी क्यूंकि वो अटल जी के पसंदीदा भी थे। अटल जी हमेशा मोदी के लिए अपना दाहिना हाथ उठाकर हिलाते थे। वहीं मोदी जी भी उन्हें सम्मान देने का कोर्इ कसर नहीं छोड़ते थे। कर्इ बड़े मंचों पर एेसा देखा गया जब नरेंद्र मोदी झुककर अटल जी के गले मिलते थे और उनसे सिर पर हाथ फिरवा के या पीठ थपथपाकर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहन प्राप्त करते थे।
उसी वक़्त एक नेता का मोबाइल बजा
पीएम अटल पर लिखी गर्इ पुस्तक ‘हार नहीं मानूंगा’ में अक्टूबर 2001 की उस सुबह का जिक्र हुआ है, जब एक प्राइवेट चैनल के कैमरामैन के अंतिम संस्कार कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए कुछ पत्रकार साथी और कुछ राजनेता गए थे। अंतिम संस्कार चल ही रहा था कि तभी एक नेता का मोबाइल बज उठा। नेता का फोन बजा जो कहीं आैर से नहीं बल्कि प्रधानमंत्री निवास से था जिसमे बुलावे का सन्देश आया था। खास बात भी यह थी कि यह नेता कोर्इ आैर नहीं बल्कि नरेंद्र मोदी थे।
उस समय मोदी बीजेपी से गुजरात में नेता थे आैर वह दिल्ली में अशोका रोड पर बीजेपी के पुराने दफ्तर में पीछे की आेर बने एक छोटे से कमरे में रह रहे थे। यहां पर बैठने के लिए एक तख्त और दो कुर्सियां हुआ करती थीं। इस दौरान उन्हें केशूभाई पटेल के विरोधियों का साथ देने के लिए उनकी नाराजगी झेलनी पड़ी थी।
अटल जी ने भेजा था वापस गुजरात
वह दौर एेसा था जब भारतीय जनता पार्टी में प्रमोद महाजन, सुषमा स्वराज और अरुण जेटली जैसे नेताओं की एक अच्छी राजनीतिक पकड़ थी। एेसे में जब अटल बिहारी वाजपेयी के बुलावे पर मोदी उस रात उनके घर पहुंचे तो उन्हें एक बड़ी जिम्मेदारी उठाने को कहा गया। इतना ही नहीं मोदी से यह भी कहा गया कि वह गुजरात वापस जाएं।
उसी रात राजनीतिक भविष्य में अटल जी ने एक नया अध्याय लिख दिया जिसका परिणाम वर्तमान में बड़े बदलाव के रूप में देखने को मिल रहा है।
उस रात गुजरात के मुख्यमंत्री केशूभाई पटेल को हटाकर मोदी को मुख्यमंत्री की कमान सौंपने का फैसला लिया गया।