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राधा-कृष्ण के प्रेम प्रसंग से जुड़ा है रंगों का त्योहार होली

दया शंकर चौधरी

फाल्गु मा में पड़ने वाला होली का त्योहार हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। इस बार फाल्गुन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा से चैत्र कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तक तद्नुसार 28 और 29 मार्च को होली मनाई जायेगी। होली अच्छाई पर बुराई के प्रतीक के साथ ही रंगों का त्योहार भी है। होली पर हम एक-दूसरे पर रंग-गुलाल लगाकर खुशियां मनाते हैं लेकिन यह सोचने वाली बात है कि आखिर होली पर रंग लगाने की परंपरा शुरू कैसे हुई यानी हम होली पर रंग क्यों खेलते हैं तो चलिए जानते हैं क्या हैं कारण?

अबीर और गुलाल से होली खेलने की परम्परा बहुत पुरानी मानी जाता है। मान्यतानुसार, रंग-गुलाल की यह परंपरा राधा और कृष्ण के प्रेम प्रसंग से शुरू हुई थी। कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण अपने बचपन में माता यशोदा से अपने सांवले और राधा के गोरे होने की शिकायत किया करते थे। श्रीकृष्ण माता से कहते थे कि मां राधा बहुत ही सुंदर और गोरी है और मैं इतना काला क्‍यों हूं? माता यशोदा उनकी इस बात पर हंसती थी और बाद में उन्होंने एक दिन भगवान श्रीकृष्‍ण को सुझाव दिया कि वह राधा को जिस रंग में देखना चाहते हैं उसी रंग को राधा के मुख पर लगा दें।भगवान श्रीकृष्‍ण को यह बात पसंद आ गई। वैसे भी श्रीकृष्ण काफी चंचल और नटखट स्‍वभाव के थे, इसलिए वह राधा को तरह-तरह के रंगों से रंगने के लिए चल दिए।

 

श्री कृष्ण ने अपने मित्रों के साथ राधा और सभी गोपियों को जमकर रंग लगाया। जब वह राधा और अन्‍य गोपियों को तरह-तरह के रंगों से रंग रहे थे, तो नटखट श्री कृष्‍ण की यह प्यारी शरारत सभी ब्रजवासियों को बहुत पंसद आई। माना जाता है, कि इसी दिन से होली पर रंग खेलने का प्रचलन भी शुरू हो गया। इसीलिए होली पर रंग-गुलाल खेलने की यह परंपरा आज भी निभाई जा रही है।

अलग-अलग तरीके से मनाते हैं रंगों का त्योहार

कश्मीर से केरल और गुजरात से असम तक होली पूरे देश में विविध तरीकों से मनाई जाती है। चूंकि यह प्रसंग राधा-कृष्ण से जुड़ा हुआ है और पूरे ब्रज मंडल में होली का इतिहास काफी पुराना है। मथुरा और वृंदावन और बरसाने की होली पूरे विश्वभर में मशहूर है। जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। यहां पर होली काफी समय पहले ही शुरू हो जाती है। जिसमें अलग-अलग प्रकार से होली मनाई जाती है। कहीं लट्ठमार होली मनाई जाती है। इसके अलावा कहीं-कहीं पर फूलों से भी होली खेली जाती है जैसे गुलाब, डेजी, सूरजमुखी और यहां तक ​​कि मैरीगोल्ड के फूलों की पंखुड़ियों के साथ भी होली खेली जाती है।

विदेशों में भी मनाया जाता है रंगों का त्योहार, विश्व में अलग अलग है परम्परा और नाम

यह तो हमें पता है कि होली हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। भारत में अलग-अलग जगहों पर विभिन्न परंपराओं के साथ होली मनाई जाती है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत एक ऐसा इकलौता देश नहीं है जहां होली को लेकर उत्साह होता है, बल्कि विदेशों में होली के त्योहार को लेकर जबरदस्त उमंग होती है। हालांकि इसे मनाने को लेकर तरीके जरूर अलग-अलग हैं। कई देशों में होली तो नहीं लेकिन इससे मिलते-जुलते त्योहार जरूर मनाए जाते हैं। आइए जानते हैं कि भारत के अलावा विदेशों में यानि विश्व में अलग-अलग जगहों पर इस त्योहार को कैसे मनाते हैं। मजे की बात यह है कि विदेशों में इनके पीछे अलग-अलग तरह की कथाएं और परंपराएं प्रचलित हैं। तो चलिए जानते हैं कि विदेशों में किस दिलचस्प अंदाज से इस पर्व को मनाने का चलन है।

नेपाल में मनाते हैं “लोला उत्सव”: कहीं दूर न जाएं भारत के पड़ोसी देश नेपाल होली मनाने के मामले में कहीं पीछे नहीं है। जी हां, नेपाल में होली में एक दूसरे पर लोला फेंकने का रिवाज है। रंगों के पानी के गुब्बारे को लोला कहा जाता है। यहां लोगों को रंग में डुबोने के लिए पानी के बड़े-बड़े टब रखे जाते हैं। बाद में लोग एक-दूसरे पर फेंकते हुए इस त्योहार का मजा लेते हैं।

म्यामांर में मनाया जाता है जल उत्सव “मेकांग या थिंगयान”: भारत के एक और पड़ोसी देश म्यामांर में मेकांग के नाम से पानी का त्योहार मनाया जाता है। इसे थिंगयान भी कहते हैं। म्यामांर के नववर्ष पर मेकांग मनाया जाता है। इस त्योहार में देश के सभी लोग भाग लेते हैं। लोग एक-दूसरे पर रंग और पानी की बौछार करते हैं। वहां के लोगों का मानना है कि आपस में एक-दूसरे पर पानी डालकर पाप धोएं जाते हैं।

मार्च अप्रैल में जापान में मनाया जाता है “चेरी उत्सव” जापान में मनाए जाने वाला यह त्योहार एक अनोखा त्योहार माना जाता है। यह अपने अनूठेपन के लिए जाना जाता है। यह उत्‍सव मार्च-अप्रैल के महीने में मनाया जाता है। इस महीने में मनाए जाने के पीछे एक खास वजह भी है। यह समय चेरी के पेड़ में फूल आने का समय होता है और लोग अपने परिवार के साथ चेरी के बागों में बैठकर एक-दूसरे को बधाई देते हैं। लोग पेड़ से गिरने वाली फूलों की पंखुड़ियों से सबका स्‍वागत करते हैं। पूरे दिन चलने वाले इस त्‍योहार पर विशेष प्रकार का भोजन और गीत-नृत्‍य करने का भी रिवाज है।

मॉरीशस और चीन की होली: मॉरीशस में तो बसंत पंचमी के दिन से शुरू होकर करीब 40 दिन तक होली का आयोजन यहां चलता रहता है। यहां भारत की तरह होलिका दहन भी होता है। चीन में एक डाए नाम के एक समुदाय के लोग नववर्ष पर भारत की होली की तरह लोग एक-दूसरे पर पानी फेंकते हैं। इस दिन खूब गाना-बजाना होता है। युवा मस्ती और हुड़दंग मचाते देखे जा सकते हैं। यह पर्व नववर्ष के आगमन की खुशी में मनाया जाता है।

रोम का रेडिका त्यौहार है होली जैसा: रोम में रेडिका नाम से एक त्योहार मई में मनाया जाता है। इसमें किसी ऊंचे स्थान पर काफी लकड़ियां इकट्ठी कर ली जाती हैं और उन्हें जलाते हैं। इसके बाद लोग झूम-झूमकर नाचते-गाते हैं एवं खुशियां मनाते हैं। इस दिन इटलीवासी एक-दूसरे पर खुशबू और रंग बिरंगा पानी डालते हैं। इस अवसर पर आतिशबाजी के खेल खेले जाते हैं। इटली वासियों की मान्यता के अनुसार यह त्योहार अन्न की देवी फ्लोरा को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है।

स्पेन में ‘ला टोमाटीना’ नाम से मनाई जाती है टमाटरों की होलीः स्पेन के वैलेशिया शहर में प्रत्येक वर्ष मार्च को आग की रात के नाम से एक पर्व मनाया जाता है जिसमें आतिशबाजी की झांकियां निकालते हैं। साथ ही सांड युद्ध के जरिए मनोरंजन होता है। इसके अलावा स्पेन में टमाटरों की होली भी विश्वप्रसिद्ध है। ‘ला टोमाटीना’ नामक इस त्योहार का हालांकि कोई धार्मिक महत्व नहीं है और न ही इसका कोई प्राचीन इतिहास है फिर भी यह दुनिया का सबसे बड़ा टमाटर उत्सव है। दूर-दूर से लोग इस टमाटर उत्सव में भाग लेने पहुंचते हैं। यह त्योहार हर साल अगस्त माह के अंतिम शनिवार को होता है। लोग एक-दूसरे पर टमाटर फेंकते हैं।

ग्रीस में ‘लव एप्पल’ के नाम से खेलते हैं दमदार होलीः ग्रीस में तरबूज के आकार के रसीले टमाटरों का उत्पादन होता है। इन्ही टमाटरों को वहां लव एप्पल के नाम से पुकारा जाता है। रंग-बिरंगी छींटाकशी तथा हो-हल्ले के साथ लव एप्पल की होली का शानदार नजारा दिनभर चलता रहता है।

अफ्रीका में ‘ओमेना बोंगा’ नाम से मनाया जाता है त्योहार: अफ्रीका महाद्वीप के कुछ देशों में ओमेना बोंगा नाम से यह उत्सव मनाया जाता है। इसमें हमारे देश में होली में जैसे होलिका को जलाया जाता है ठीक उसी प्रकार ओमेना बोंगा में एक जंगली देवता को जलाया जाता है। इस देवता को प्रिन बोंगा कहते हैं। इसे जलाकर लोग नाचते गाते हैं और नई फसल के स्वागत में खुशियां मनाते हैं। मिस्र में भी कुछ देशों की होली की तरह ही नई फसल के स्वागत में खुशियां मनाते हैं। इस अवसर पर पारंपरिक नृत्य एवं नाटक भी प्रस्तुत करते हैं।

श्रीलंका और थाईलैंड में कुछ ऐसे मनाते हैं होली: श्रीलंका में तो होली का त्योहार बिल्कुल अपने देश की ही तरह मनाया जाता है। वहां बिल्कुल ठीक अपनी होली की ही भांति रंग-गुलाल और पिचकारियां सजती हैं। लोग एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं। थाईलैंड में इस त्योहार को सांग्क्रान कहते हैं। इस अवसर पर थाईलैंड के निवासी मठों में जाकर भिक्षुओं को दान देते हैं और आपस में एक-दूसरे पर सुगंधित जल छिड़कते हैं।

पोलैण्ड का ‘अर्सीना’ त्योहार: पोलैण्ड में होली की तरह अर्सीना नाम का त्योहार मनाते हैं। इस अवसर पर लोग एक दूसरे पर रंग डालते हैं। और एक-दूसरे के गले मिलते हैं। पुरानी शत्रुता भूलकर नए सिरे से रिश्ते बनाने के लिए यह श्रेष्ठ उत्सव माना जाता है। चेकोस्लोवाकिया में भी बलिया कनौसे नाम से एक त्योहार बिल्कुल होली के ढंग से ही मनाया जाता है। इस अवसर पर लोग आपस में एक-दूसरे पर रंग डालते हैं और नाचते-गाते हैं।

यूनान में पोल उत्सव: यूनान में होली के जैसे पोल नाम का उत्सव मनाया जाता है। इसमें लकड़ियां इकट्ठी की जाती हैं और उन्हें जलाया जाता है। इसके बाद लोग झूम-झूमकर नाचते-गाते हैं। इस अवसर पर उनकी मस्ती देखते ही बनती है। यहां पर यह उत्सव यूनानी देवता टायनोसियस की पूजा के अवसर पर आयोजित होता है।

जर्मनी में मनाया जाता है ऐसे त्योहार: जर्मनी में रैनलैंड नाम के स्थान पर होली जैसा त्योहार एक नहीं बल्कि 7 दिनों तक मनाया जाता है। इस समय लोग अटपटी पोशाक पहनते हैं और अटपटा व्यवहार करते हैं। बच्चे-बूढ़े सभी एक-दूसरे से मजाक करते हैं। इन दिनों किसी तरह के भेद-भाव की कोई गुंजाइश नही रहती। इस दौरान किए गए हंसी-मजाक का कोई बुरा भी नहीं मानता है।

न्यूज़ीलैण्ड में होली जैसा रंगीला है ‘वानाका’ उत्‍सव न्‍यूजीलैंड के अलग-अलग शहरों में हर साल रंगीला त्‍योहार मनाने का चलन है। इस दिन एक पार्क में शहर के बच्‍चे, बूढ़े और जवान इकट्ठे होते हैं। वहां पर एक-दूसरे के शरीर पर पेंटिंग की प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। इस हुड़दंग के बाद रात में नाच-गाने का कार्यक्रम भी होता है। यह उत्‍सव 6 दिन तक मनाया जाता है।

कंबोडिया का चाउन चानम थेमी: नव वर्ष के अवसर पर कंबोडिया में चाउन चानम थेमी और लाओस में पियामी के नाम से त्योहार मनाने की परंपरा है। यह त्योहार एक-दूसरे पर जल फेंककर मनाया जाता है। थाईलैंड का सोंगकरन उत्सवथाई नववर्ष का पर्व सोंगकरन के नाम से जाना जाता है। इस त्योहार में पानी से खूब मस्ती की जाती है। इसमें सभी लोग एक तालाब के पास इकट्ठा होकर आपस में एक-दूसरे पर पानी फेंकते हैं। 2-4 लोग मिलकर एक व्‍यक्‍ति को तालाब में उछाल कर डुबकी लगवाते हैं। एशिया में अप्रैल से अच्छी खासी गर्मी पड़ने लगती है, ऐसे में पानी का यह त्योहार राहत देने वाला होता है। दिन भर गाने और डांस के साथ मस्ती धमाल होता है। इस दौरान लोग एक-दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएं देते हैं।

पेरू में रंगीला ‘इनकान उत्‍सव’: पेरू में इनकान उत्सव 5 दिनों तक चलता है। इस त्योहार में पूरा शहर रंगीला हो जाता है। सारे लोग रंगीन परिवेश में पूरे शहर में टोलियों में घूमते रहते हैं। हर टोली की अपनी एक थीम होती है। टोली में चलने वाले लोग ड्रम की थाप पर नाचते हुए चलते हैं। सभी टोलियों में एक-दूसरे से अच्छे साबित करने की चुनौती होती है। रात में कुजको नाम के एक महल में इकट्ठा होकर एक-दूसरे को शुभकामनाएं दी जाती हैं।

ऑस्ट्रेलिया में चिनचिला मेलन फेस्टिवल: आस्ट्रेलिया में होली की तरह ही एक रोमांचकारी त्योहार मनाया जाता है। भारत में जैसे होली पर हर तरफ रंग ही रंग दिखाई देते हैं। वैसे ही यहां हर ओर तरबूज ही तरबूज दिखते हैं। इस त्योहार पर ऐसा लगता है जैसे तरबूजों की नदी बहनेे लगती है। इस त्योहार में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं, जिसमें यहां के लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।

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