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गोभक्त योगी’ की फायदेमंद स्कीम, गायों की सेवा की तो मिलेगा ‘डबल फायदा’

दया शंकर चौधरी

आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए सबसे जरुरी है किसान और पशुपालकों का आत्मनिर्भर होना। इसके लिए सरकार द्वारा समय -समय पर योजनाएं चलाई जाती है। देश के किसानों के लिए हमेशा से ही खेती और पशुपालन महत्वपूर्ण रहा है। मौजूदा वक्त में भारत में पशुपालन व्यवसाय की बात करें तो पशुधन गणना 2012 की तुलना में 4.6 प्रतिशत अधिक है। इससे प्रतीत होता है कि भारत में अभी भी पशुपालन का महत्वबरकरार है और पशुपालन व्यवसाय से वो अच्छा लाभ अर्जित कर रहें है। पशुपालन सभी वर्ग के लोगों के लिए मुनाफा देने वाला व्यवसाय है। पशुपालन एक ऐसा व्यवसाय माना जाता है जिसमें घाटा होने की संभावना कम होती है। पशुपालन में सभी प्रकार के पालतू पशुओं और दुधारू पशुओं को गिना जाता है।

यूपी में लोगों को छुट्टा पशुओं की समस्याओं से निजात दिलाने के लिए योगी सरकार लगातार प्रयास कर रही है।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद अपने गौ प्रेम की वजह से जाने जाते हैं। गौ संरक्षण और संवर्धन के लिए वे नई-नई योजनाएं लाते रहते हैं। ताकि गायों का भरण-पोषण भी होता रहे और लोगों को उससे फायदा भी मिल सके। इसके लिए योगी सरकार ने किसानों के सामने ऐसी स्कीम पेश की, जिससे बच्चों और माताओं का कुपोषण भी खत्म होगा और आवारा गायों को घर और सेवा भी मिल सकेगी।

मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना

मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना के तहत एक गाय का पालन किसान के करने पर सरकार 900 रुपए हर माह दे रही है। सहभागिता योजना और पोषण मिशन के तहत 1069 कुपोषित बच्चों के परिवारों को 1071 गोवंश दिया गया है। इस योजना को आगे बढ़ाते हुए अब मुख्यमंत्री ने कहा है कि जियो टैग करने के बाद अगर उनमें से कोई गाय या बछड़ा लोग अपने घर में रखना चाहते हैं, तो सरकार एक किसान को 4 गोवंश तक पालन के लिए दे सकती है। सरकार हर गोवंश के लिए 900 रुपये पालनकर्ता के अकाउंट में डालेगी।

गाय पालने वालों को डबल फायदा

सीएम योगी की लाई गई इस योजना से फायदा सिर्फ गोवंश को घर मिलने का नहीं है। जो भी परिवार इन्हें सरकारी आर्थिक सहायता पर पालेगा, उन्हें दूध-दही भी मिल सकेगा। घर के बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों को पोषण भी मिल सकेगा।

सीएम का कहना है कि भारतीय नस्ल का गोवंश (देशी गाय), जो अभी 100 – 200 ग्राम दूध देते हैं, यही गोवंश जब उचित देख-भाल और पोषण के चलते 2 किलो, 3 किलो, 5 किलो तक दूध देने लग जाएगा तो कोई भी लाभार्थी इन्हें सड़कों पर नहीं छोड़ेगा। गोवंश के पालन के साथ इनके गोबर और गोमूत्र से बनने वाली औषधीय गुणों का भी फायदा पालनकर्ता को मिलेगा और गोबर को खेती में जैविक खाद के तौर पर इस्तेमाल भी किया जा सकेगा।

गौशालाओं में रोजगार सृजन

रोजगार सृजन के लिए मनरेगा को भी गौ-आश्रय स्थलों से जोड़ा गया है। मनरेगा के तहत प्रदेश के गौ-आश्रय स्थलों पर करीब 3,116 परियोजनाएं संचालित हैं, जिसके द्वारा 4,18,209 मानव दिवस का सृजन किया जा चुका है। साथ ही 1056 गौ-आश्रय स्थलों पर जैविक खाद तैयार की जा रही है। पशुपालन विभाग को जिलों में पंजीकृत गौशालाओं के अनुदान के लिए 52 आवेदन मिले हैं, जिसमें 14 गौशालाओं को अनुदान दिया गया है।

अब तक 5.25 लाख गोवंश को शरण

पशुपालन विभाग के मुताबिक प्रदेश में गायों की संख्या 1.9 करोड़ और भैंसों की संख्या करीब 3.3 करोड़ है। मुख्यमंत्री के गौ संरक्षण अभियान के चलते प्रदेश के 11.84 लाख निराश्रित गोवंशों में से अब तक 5,25,376 गोवंशों को गौ-आश्रय केन्द्रों में संरक्षित किया गया है।सरकार की ओर से करीब 5,145 निराश्रित गोवंश आश्रय स्थल चलाए जा रहे हैं।

इयर टैगिंग पशुओं के लिए आधार कार्ड

पशुपालन विभाग की ओर से पालतू पशुओं की इयर टैगिंग की जा रही है। यह इयर टैग पशुओं के लिए आधार कार्ड सरीखा है। जिसमें उसके मालिक की पहचान, नस्ल और वर्तमान स्थिति की पूरी जानकारी आनलाइन उपलब्ध होती है। प्रदेश भर में गोवंशीय और महिषवंशीय पशुओं में 2,23,83,742 की टैगिंग की जा चुकी है, जिसमें 95,77,781 गोवंश हैं। योगी सरकार देश की पहली ऐसी सरकार है, जिसने 31 मार्च 2021 तक गोवंश के आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया को पूरा करने का संकल्प लिया है।

गौ-संवर्धन योजना

बेरोजगार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने एवं दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से यह योजना शुरू की गई है। आचार्य विद्यासागर गौ संवर्धन योजना का लाभ पशु चिकित्सा विभाग से स्वीकृति के बाद मिलता है। स्वीकृति के बाद बैंक से हितग्राहियों को लोन की राशि मिलती है। इस योजना में पशुपालक को ब्याज नहीं देना होता है। ब्याज की राशि विभाग द्वारा स्वयं जमा करवाई जाती है।

आचार्य विद्यासागर गौ संवर्धन योजना के तहत हितग्राहियों को 10 लाख रुपए तक का ऋण प्रदान किया जाता है। इसके लिए आवश्यक है कि हितग्राही के पास कम से कम एक एकड़ जमीन का होना आवश्यक है। प्रदेश सरकार की यह योजना 2018 में शुरू की गई। इस योजना के लाभ लेने के हितग्राही ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसका उद्देश्य युवओं को रोजगार उपलब्ध कराना एवं दुग्ध उत्पादन में बढोत्तरी करना है।

गौ संवर्धन योजना के लिए पात्रता और चयन की शर्तें

ये योजना सभी वर्ग के हितग्राहीयों के लिए है। हितग्राही के पास 5 पशुओं हेतु न्यूनतम 1 एकड़ कृषि भूमि होना आवश्यक है तथा पशुओं की संख्या में वृद्धि होने से आनुपातिक रूप से वृद्धि करते हुए न्यूनतम कृषि भूमि का निर्धारण किया जाएगा। चयन प्रक्रिया: हितग्राहियों के नाम का अनुमोदन ग्राम सभा की संस्तुति के पश्चात किया जाएगा। इसके बाद ग्राम सभा से अनुमोदित हितग्राहियों को जनपद पंचायत की सभा में अनुमोदन किया जाएगा। जनपद पंचायत के अनुमोदन उपरांत जिले के उप संचालक पशुपालन विभाग अनुमोदित प्रकरण को स्वीकृति हेतु बैंक को प्रेषित कर स्वीकृति प्राप्त करेगें।

मिल्क रूट के क्रियान्वयन को प्राथमिकता

पशुपालक न्यूनतम 5 या इससे अधिक पशु की योजना स्वीकृत करा सकेगा तथा परियोजना की अधिकतम सीमा राशि रू. 10.00 लाख तक होगी। परियोजना लागत का 75 प्रतिशत राशि बैंक ऋण के माध्यम से प्राप्त करनी होगी तथा शेष राशि की व्यवस्था मार्जिन मनी सहायता एवं हितग्राही का स्वयं के अंशदान के रूप में करनी होगी।

इकाई लागत के 75 प्रतिशत पर या हितग्राही द्वारा बैंक से प्राप्त ऋण पर जो भी कम हो 5 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से (अधिकतम रू. 25,000 प्रतिवर्ष) ब्याज की प्रतिपूर्ति 7 वर्षों तक विभाग द्वारा की जाएगी। 5 प्रतिशत से अधिक शेष ब्याज दर पर ब्याज की प्रतिपूर्ति हितग्राही को स्वयं करना होगी।

डेयरी इंटरप्रेन्योर डेवलपमेंट स्कीम

पशुपालन में आज कई नई तकनीक विकसित हो रही हैं जोकि किसानों के लिए काफी लाभदायक साबित हो रही है। इसी को देखते हुए केंद्र सरकार ने डेयरी इंटरप्रेन्योर डेवलपमेंट स्कीम संचालित की है। इस स्कीम के तहत 10 भैंस की डेयरी को 7 लाख का ऋण पशुधन विभाग मुहैया कराएगा। हर वर्ग के लिए सब्सिडी का भी प्रावधान है। योजना का लाभ सभी को मिले, इसके लिए कार्ययोजना बनाई गई है।

कामधेनु और मिनी कामधेनु योजना पूर्व में संचालित की गई थी जिसके लिए गाय पालन करने वाले को खुद के पास से भी मोटी रकम लगानी होती थी। जमीन सहित तमाम शर्ते थीं, जिसको हर इंसान आसानी से पूरी नहीं कर पाता था। यह योजना जब शुरू हुई तो छोटी डेयरी की योजनाएं खत्म हो गईं। करीब एक साल पहले यह बड़े प्रोजेक्ट भी बंद हो गए। अब केंद्र सरकार ने गांवों में लोगों को रोजगार मुहैया कराने के साथ ही दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए डेयरी इंटरप्रेन्योर डेवलपमेंट स्कीम शुरू की है। सरकार की ओर से फाइल मंजूर होते ही दो दिन के अंदर सब्सिडी भी दी जाएगी। सामान्य वर्ग के लिए 25 प्रतिशत और महिला व एससी वर्ग के लिए 33 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी। यह सब्सिडी संबंधित डेयरी संचालक के ही खाते में रहेगी।

गऊ माता के सम्मान, संवर्धन और संरक्षण के लिए *राज्य माता का दर्जा दिए जाने की मांग

वृंदावन के चतु: सम्प्रदाय प्रमुख स्वामी फूलडोल बिहारी जी महाराज ने गौ माता की महिमा बताते हुए कहा है कि गौ माता की महिमा अपरम्पार है। गौ माता प्रात: पूजनीय व वंदनीय है। सनातन धर्म में कोई भी अनुष्ठान गौ माता की कृपा के बिना पूरा नहीं होता। उन्होने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की गौ सेवा के प्रति उनकी निष्ठा की सराहना करते हुए गौ माता को राज्य माता का दर्जा दिए जाने के लिए निवेदन किया है। अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ जी की “गौ सेवा की भावना” हमने देखी है वे गौ माता को राज्यमाता का दर्जा दिलाने में समर्थ है। चतु: सम्प्रदाय प्रमूख ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी निवेदन किया है कि वे गौ माता को राष्ट्रमाता घोषित कर सभी ब्रज वासियों को अनुग्रहित करें।

इसके अलावा राजेन्द्र दास जी महराज, श्री मलुक पीठाधीश्वर वृंदावन, अमोघ लीला प्रभु (वाइस प्रेसीडेंट दिल्ली द्वारका इस्कॉन), गौरी शंकर वर्मा (विधायक उरई सदर उत्तर प्रदेश), निर्मला पांडेय (लखनऊ गायत्री परिवार की प्रमुख कार्यकर्ता), ज्ञानेश त्रिपाठी (कथा व्यास बांदा उत्तर प्रदेश), कथा व्यास प्रभाकर दत्त शुक्ल, माधवस प्रभु (वृंदावन), लालू भाई (लोक परमार्थ सेवा समिति लखनऊ), गायत्री मिष्ठान भण्डार सदर लखनऊ, माइण्ड विजन वेलफेयर सोसायटी लखनऊ, सदर व्यापार मंडल लखनऊ, राम भक्त हनुमान समिति लखनऊ, सत्यम सेवा संस्थान के अध्यक्ष शैलेन्द्र सिंह चौहान आदि ने भी गऊ माता को राज्यमाता का दर्जा दिए जाने की मांग की है। ये सभी संस्थाएं एक लम्बे अरसे से गऊ माता के सम्मान, संवर्धन और संरक्षण के लिए अभियान चला रहे हैं।

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