Breaking News

किसानों से हमदर्दी दिखाने की सियासत

डॉ दिलीप अग्निहोत्री
   डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

इस समय किसानों के प्रति हमदर्दी दिखाने की होड़ चल रही है। लेकिन इनमें से कोई भी यह नहीं बता रहा है कि उनके सरकार में रहते कृषि उत्पाद की कितनी खरीद ही रही है। कोई यह भी नहीं बता रहा है कि किसानों को पहले यूरिया मिलना मुश्किल क्यों था। अब तो ऐसा लग रहा है कि सीएए विरोधी आंदोलन का इतिहास अपने को दोहरा रहा है।

सीएए पड़ोसी मुल्कों में उत्पीड़ित भारतीय मूल के लोगों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान था। लेकिन कहा गया कि इससे एक वर्ग की नागरिकता समाप्त कर दी जाएगी,उनसे कागज मांगे जायेगें आदि। फिर क्या था,प्रदर्शन के नाम पर शाहीन बाद घण्टाघर आदि आबाद हो गए। महीनों तक यहां पूरी सुख सुविधा के साथ धरना चलता रहा। विपक्षी पार्टियों के लिए ये सियासत के स्थल बन गए। यहां पर पहुंचने की प्रतिष्पर्धा शुरू हो गई।

किसी ने यह विचार नहीं किया कि कांनून नागरिकता प्रदान करने के लिए है,इसमें नागरिकता समाप्ति का शब्द ही नहीं है। धरना प्रदर्शन असफल रहा। आज यह मुद्दा चर्चा में नहीं है। लेकिन यहां दौड़ने वाले नेताओं को अवश्य नुकसान उठाना पड़ा। वह चुनावी लाभ के लिए गए थे,लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अब किसानों के नाम पर दिल्ली सीमा पर चल रहा आंदोलन में भी यही दृश्य है। कांग्रेस सहित विपक्ष के क्षेत्रीय दलों ने इस आंदोलन का समर्थन किया। भारत बंद में हंगामा किया। इसके बाबजूद राष्ट्रीय स्तर पर किसानों ने इनके प्रति उत्साह नहीं दिखाया।

बंगाल में हलचल

आंदोलन को समर्थन का पहला प्रत्यक्ष नुकसान तृणमूल कांग्रेस को हुआ। आगामी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। मिदनापुर की रैली में गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में टीएमसी के शुभेन्दु अधिकारी ने बीजेपी का दामन थाम लिया। उनके अलावा टीएमसी सांसद सुनील मंडल और टीएमसी,लेफ्ट और कांग्रेस के नौ अन्य विधायकों ने भी बीजेपी में आधिकारिक तौर पर भाजपा में शामिल हुए।

केजरीवाल पर नौटँकी का आरोप

विपक्ष ने नेताओं में अपने को किसान हितैषी दिखाने की होड़ चल रही है। इसके लिए राहुल गांधी ट्रैक्टर चलाने पंजाब गए थे। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सार्टकट तरीका अपनाया। उन्होंने विधानसभा में कृषि कांनून की प्रति फाड़ दी,और इसी के साथ अपने को किसानों का मसीहा दिखाने का प्रयास किया।

बिडम्बना यह कि इस होड़ में शामिल नेता अपनी सरकार के किसान संबन्धी कार्यों का उल्लेख करने से बच रहे है। आम आदमी पार्टी के पूर्व विधायक जरनैल सिंह ने कृषि कानूनों पर अपनी ही पार्टी के दोहरे रवैये पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने अरविंद केजरीवाल की हरकत को नौटंकी करार दिया है। कहा कि ऐसा कतई नहीं हो सकता कि आप केंद्र सरकार का साथ भी दें और किसानों का हमदर्द होने का दम भी भरते रहें।

उन्होंने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का तीन वर्ष पुराना वीडियों जारी किया। सभी दलों को इस मसले पर सियासत ना करने की सलाह दी है। अरविंद केजरीवाल एक तरफ दिल्ली में इन काले कृषि कानूनों को तेईस नवम्बर के गजट नोटफिकेशन निकाल कर लागू करते हैं। दूसरी तरफ खेती बिलों को फाडऩे की नौटंकी करते हैं। अगर दिल्ली सरकार सच में कृषि बिलों के खिलाफ है तो दिल्ली सरकार अपने तेईस नवम्बर के नोटिफिकेशन को रदद क्यों नहीं किया। पंजाब सरकार,छत्तीसगढ, राजस्थान सरकार का हवाला देते हुए कहा कि केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध करने की बावत इन राज्यों ने अपना नया कानून पास कर दिया। ताकि केंद्र के तीनों कानून उनके राज्य में प्रभावी ना हो सकें। इन बिलों को विधानसभा में फाडऩे का कोई वैधानिक औचित्य नहीं है।

About Samar Saleel

Check Also

अहंकार जीवन को समाप्ति की ओर ले जाता है- पण्डित उत्तम तिवारी

अयोध्या। अमानीगंज क्षेत्र के पूरे कटैया भादी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन ...