लॉकडाउन के बाद हो रहे इस चुनाव में मोदी लहर की फिजा तो बह ही रही है, लेकिन एम वाई समीकरण की परंपरागत आरजेडी भी अच्छा करती नजर आ रही है। वैसे माना जाय तो लोक जनशक्ति पार्टी और विभिन्न तरह के एलाइन्स पार्टी भी अकेले दम पर चुनाव मैदान में है जो जद यू और आरजेडी को खासा नुकसान पहुँचाती नजर आ रही है।
बिहार की आम जनता ने रोजगार और विकास को अहम मानकर ही वोट दिया है। इसलिए जद यू को कम कर आकना सही नहीं होगा। कांग्रेस की परंपरागत रही सीटे भी खिसकती महसूस हो रही हैं। जिसकी मुख्य वजह है एलाइन्स। इस बात से इन्कार कतई नहीं किया जा सकता कि चुनाव नतीजे आने बाद एक नया गठजोड़ मिल सकता है, जो जातीय समीकरण से पृथक हो। राजनीति में कुछ भी असंभव नही! वैसे अकेले दम पर एनडीए अथवा महागठबंधन का सरकार बनाना मुश्किल प्रतीत हो रहा है।
वैसे कुल मिलाकर देखा जाय तो पिछले पंन्द्रह सालो में बिहार ने गति पकड़ी है। उद्योग जगत के लिए कुछ न कर पाना सरकार की विफलता है। वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री की सफलता नीतियाँ जिसमें अन्न वितरण, किसान समृद्धि योजना एवं उज्जवला योजनाओं ने गहरी छाप छोड़ी है, जिसकी बदौलत बीजेपी अच्छा करती नजर आ रही है।
चुनाव के बाद एक नया समीकरण दिख सकता ऐसा अनुमान लगाया जाना चाहिए, क्योंकि यह चुनाव बीजेपी बनाम आरजेडी भले ही दिखा हो लेकिन आरजेडी का उन क्षेत्रों में कमजोर प्रत्याशी देना जहाँ बीजेपी के तगडे और प्रभावशाली उम्मीदवार हैं कुछ न कुछ खिचड़ी पकने की ओर इशारा करती है।
देखा जाय तो पंन्द्रह साल के शासन में नीतीश कुमार ने एक साफ सुंदरी व्यवस्था दी है। इस बात से इनकार नही किया जा सकता, लेकिन रोजगार पलायन उद्योग और सुरक्षा के मामले में बिहार आज भी सबसे नीचे खड़ा है। प्रति व्यक्ति आय हमारी राष्ट्रीय औसत से भी कम है। स्वास्थ्य शिक्षा और शिक्षकों, प्रचार्यो, प्रोफेसर, नर्स, सफाईकर्मी की कमी आज भी पर्याप्त मात्रा में है जिसे भरने में आज भी सरकार विफल रही है।
सात निश्च्य, बिजली, सड़क, पोशाक योजना, शराबबंदी, पंचायत चुनाव में महिला आरक्षण एवं बाल विवाह कुछ ऐसे कार्य हुए हैं जिसके लिए बिहार एक राइट माॅडल माना जाने लगा है। इसलिए राजनीक पंडीत को किसी को कम करके मापना सही नही होगा। कुल मिलाकर देखा जाय तो बदलती परिदृश्य उभरती नजर आ रही है।इस बदलाव में ताज किसके सिर सजेगा यह आने वाला वक्त तय करेगा, लेकिन एक बदलती तस्वीर जरूर नजर आ रही है ।
बिहार की जातीय गोलबंदी और एम वाई समीकरण के बीच प्रधानमंत्री मोदी की जनता के प्रति विश्वास साफ दिखता है। हालाँकि बीजेपी बनाम आरजेडी का यह चुनाव आने वाले समय में एक नया समीकरण प्रस्तुत करेगी इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता।