बिहार के मुजफ्फरनगर में पैदा हुईं शिवांगी स्वरूप ने अपने जज्बे व जुनून के दम पर अपना नाम इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज करा लिया है। सब लेफ्टिनेंट शिवांगी भारतीय नौसेना की पहली महिला पायलट बन गई हैं। सोमवार को उन्होंने कोच्चि नवल बेस पर ऑपरेशनल ड्यूटी जॉइन की। शिवांगी के पिता हरि भूषण सिंह शिक्षक हैं और माता प्रियंका हाउस वाइफ हैं। शिवांगी का नाम इतिहास में जुड़ने पर परिवार के लोगों को बेटी पर गर्व महसूस कर रहे हैं।
नौसेना के अधिकारियों के मुताबिक, शिवांगी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा तैयार किए गए ड्रोनियर 228 एयरक्राफ्ट को उड़ाएंगी। इस प्लेन को कम दूरी के समुद्री मिशन पर भेजा जाता है। इसमें अडवांस सर्विलांस रेडार, इलेक्ट्रॉनिक सेंसर और नेटवर्किंग जैसे कई शानदार फीचर्स मौजूद हैं। इन फीचर्स के दम पर यह प्लेन भारतीय समुद्र क्षेत्र पर निगरानी रखेगा।
शिवांगी स्वरूप बिहार के मुजफ्फरपुर की रहने वाली हैं। उन्होंने कक्षा डीएवी-बखरी से 12वीं तक की पढ़ाई की है। उसके बाद उन्होंने सिक्किम मणिपाल इंस्टिच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से बीटेक की डिग्री ली। उन्हें इंडियन नेवल एकेडमी, एझिमाला में 27 एनओसी कोर्स के हिस्से के रूप में एसएससी (पायलट) के रूप में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। उनकी ट्रेनिंग दक्षिणी कमान में चल रही थी। शिवांगी भारतीय नौसेना में शामिल होने वाली पहली महिला पायलट होंगी। शिवांगी को पिछले साल जून में वाइस एडमिरल ए.के. चावला ने औपचारिक तौर पर उन्हें कमीशन किया था। वहीं इसी साल भावना कांत भारतीय वायुसेना की पहली महिला पायलट बनी थीं।
शिवांगी ने कहा कि काफी समय से मैं नेवी में आना चाहती थी। बहुत अच्छा लग रहा कि मैं यहां पहुंच पाई। अब मैं अपनी ट्रेनिंग के तीसरे स्टेज को पूरा करने की दिशा में देख रही हूं।
शिवांगी पारू प्रखंड के फतेहाबाद गांव के हरिभूषण सिंह की बेटी हैं। पासिंग आउट परेड के दौरान माता-पिता दोनों मौजूद रहे। हरिभूषण सिंह अपनी बेटी की इस सफलता पर फूले नहीं समा रहे। उन्होंने कहा कि मेरे लिए यह बहुत गर्व की बात है। मैं टीचर हूं। एक साधारण परिवार से होने पर भी उसने बड़ी ऊंचाई पाई है। मेरी बेटी देश की रक्षा करने लगी है यह सोचकर गर्व होता है। शिवांगी बचपन से ही किसी भी काम को चुनौती के रूप में लेती है। मैं सभी पैरेंट्स से कहना चाहता हूं कि बेटा हो या बेटी सभी को सपोर्ट करें। करना तो बच्चों को ही होता है, लेकिन माता-पिता का सपोर्ट बहुत जरूरी है। सेना की जॉब के लिए बेटियों को आगे आना चाहिए। मैंने बेटी को कभी कमजोर नहीं समझा।