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महाराष्ट्र: राज्‍यसभा सांसद समेत दर्जन भर एमएलए छोड़ सकते हैं बीजेपी

महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार जाने के बाद पार्टी में फूट पड़ सकती है। खबर की माने तो महाराष्ट्र बीजेपी के एक दर्जन विधायक और राज्यसभा के एक सांसद बीजेपी छोड़कर सत्तारूढ गठबंधन में शामिल हो सकते हैं। इसके लिए उनकी नेताओं से बातचीत हो रही है। इन संभावित दलबदलुओं में अधिकांश बीजेपी एमएलए हैं जो विधानसभा चुनावों से ऐन पहले एनसीपी और कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे।

सूत्र ने बताया कि इनके अलावा दूसरे कुछ असंतुष्‍ट बीजेपी विधायक हैं। एक बीजेपी राज्‍य सभा एमपी समेत इन सभी ने सत्‍तारूढ़ गठबंधन के नेताओं को संकेत दे दिया है कि वे अपनी विधानसभा सदस्‍यता से इस्‍तीफा देकर आने वाले उपचुनावों में गठबंधन में शामिल पार्टियों के उम्‍मीदवारों के तौर पर चुनाव मैदान में उतरना चाहते हैं। बीजेपी में शामिल होने वाले कई एनसीपी और कांग्रेस एमएलए शिक्षा व्‍यवसाय और चीनी मिल सेक्‍टर से जुड़े थे और उन्‍हें बीजेपी शासन की सख्‍ती का सामना करना पड़ रहा था।

महाराष्ट्र गठबंधन के एक नेता का कहना था कि ‘बीजेपी नेतृत्‍व पहले ही ऐसे उदाहरण प्रस्‍तुत कर चुका है जहां उन्‍होंने विभिन्‍न राज्‍यों के एमएलए और राज्‍य सभा में विपक्ष के सांसदों को इस्‍तीफा दिलाकर उपचुनावों में अपना उम्‍मीदवार बनाया था। इन उदाहरणों से प्रेरित होकर करीब एक दर्जन बीजेपी एमएलए और एक राज्‍य सभा एमपी हमसे संपर्क में हैं। वे बीजेपी से इस्‍तीफा देकर उपचुनाव लड़ने को तैयार हैं। उनकी भविष्‍य की रणनीति पर हम गंभीरता से विचार कर रहे हैं।’ एक दूसरे नेता ने कहा, ‘वे लोग हमारे नेतृत्‍व के हरी झंडी दिखाने का इंतजार कर रहे हैं। महाराष्‍ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र के बाद यह मुद्दा जोर पकड़ सकता है।’

इन बागी विधायकों में ज्यादातर विधायक एनसीपी को जॉइन करना चाहते हैं। कुछ दूसरे कांग्रेस और बाकी लोग शिवसेना में शामिल होने की इच्‍छा जता रहे हैं। इन विधायकों ने अपने निर्वाचन क्षेत्रों में गठबंधन स‍हयोगियों को हराकर जीत हासिल की थी। उन्‍हें लगता है कि अगर गठबंधन के सभी सहयोगियों के वोट उन्‍हें मिल जाएं तो उनके पास उपचुनाव जीतने का अच्‍छा मौका है।

नेताओं में से एक ने इस ओर इशारा किया कि उद्धव ठाकरे सरकार ने बीजेपी के वॉकआउट और 169 विधायकों के समर्थन से विश्‍वास मत जीता है। उनका कहना था, ‘हमारे बीजेपी में कुछ गुप्‍त सहयोगी हैं। यही कारण है कि देवेंद्र फडणवीस और बीजेपी ने विश्‍वास मत और अध्‍यक्ष के चुनाव के दौरान अपनी ताकत दिखाने से परहेज करते हुए अपना उम्‍मीदवार हटा लिया था।’

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