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युधिष्ठिर द्वारा किए गए इस दान को करने से मिलता है राजयोग कुंडली के दोषों से मिलेगी मुक्ति

दान करना बेहद पुण्य का काम माना गया है. इसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. सनातन धर्म में कई तरह के दान बताए गए हैं. इनमें से एक आदित्य मंडल दान भी है. इस दान को करने से भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा मिलने लगती है. उसके कुंडली के कई तरह के दोष समाप्त हो जाते हैं और जीवन में किसी तरह की दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता है.

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आदित्य मंडल दान की विधि भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताई थी. इस विधि के अनुसार, सबसे पहले जौ में गुड़ मिलाकर गाय के घी में सूर्य मंडल के आकार का पुआ बनाया जाता है. इसके बाद भगवान सूर्य की पूजा कर उनके आगे लाल चंदन का मंडप अंकित किया जाता है. इशके ऊपर उस सूर्य मंडल को रखा जाता है.

पूजा आदि करने के बाद किसी ब्राह्मण को बुलावा चाहिए. इसके बाद उन्हें लाल वस्त्र, दक्षिणा और उस सूर्य मंडल को दान करना चाहिए. दान करते समय एक मंत्र का उच्चारण करना चाहिए. इस मंत्र के साथ दान करने से पुण्य का प्राप्ति होती है. वह मंत्र इस प्रकार है.

आदित्यतेजसोत्पन्नं राजतं विधिनिर्मितम्.
श्रेयसे मम विप्र त्वं प्रतिगृहेणदमुत्तमम.

सूर्य भगवान को प्रसन्न करने के लिए यह दान काफी महत्वपूर्ण माना गया है. इस दान से भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं. भगवान सूर्य की कृपा से दानकर्ता के सभी तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं. इसके बाद वह राजा की तरह जिंदगी जीने लगता है. वैसे तो यह दान रोज किया जा सकता है, लेकिन विजय सप्तमी के दिन इस दान का विशेष महत्व है.

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