भारत-चीन के बीच जारी सीमा विवाद पर चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने दिया बड़ा बयान। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक रावत ने कहा ‘चीन के साथ बातचीत से विवाद नहीं सुलझा तो सैन्य विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। हालांकि, इस मामले को आसानी से सुलझाने की कोशिशें की जा रही हैं, पीएलए लद्दाख में पहले जैसी स्थिति में लौट जाए।
शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाए मसला, रक्षा के लिए सेना हर वक्त तैयार:
बिपिन रावत का कहना है कि आर्मी से लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के आस-पास आक्रमण रोकने और इस तरह की साजिशो पर नजर रखने के लिए कहा गया है। सरकार चाहती है कि शांतिपूर्ण तरीके से मामले को सुलझाए जाएं लेकिन अगर एलएसी पर हालात सामान्य रखने की कोशिशें किसी वजह से कामयाब नहीं हुई तो फिर सेना रक्षा सेवाए हर वक्त इसके लिए रहती है।
सीमा इलाकों में 24 घंटे नज़र रखने की व्यवस्था पर काम कर रहे है:
बिपिन रावत ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और दूसरे संबंधित लोग लद्दाख में एलएसी पर पहले जैसी स्थिति वापस लौटने में सभी विकल्पों की समीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सभी एजेंसियों के बीच लगातार बातचीत चल रही है। रावत ने इंटेलीजेंस एजेंसियों में को-ऑर्डिनेशन की कमी होने के कारण बातों को भी खारिज कर दिया है । मल्टी एजेंसी सेंटर की रोज मीटिंग होती है। हम सीमा पर अपने इलाकों में 24 घंटे नज़र रखने की व्यवस्था पर काम कर रहे हैं। एक-दूसरे को लद्दाख व अन्य जगहों की जानकारी दी जा रही है।
बातचीत जारी है, लेकिन तनाव कम नहीं हो रहा है
आर्मी लेवल की बातचीत के कई राउंड के बाद भी चीन लद्दाख में फिंगर एरिया, देप्सांग और गोगरा से अपने सेनिको को पीछे नहीं हटा रहा। गलवान वैली में भारत-चीन के बीच 15 जून को हुई झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। चीन के भी करीब 35 सैनिक मारे गए थे, लेकिन उसने कभी माना नहीं।
15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़पों के बाद दोनों पक्षों के बीच तनाव बहुत बढ़ गया था।गलवान की झड़प के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल से बातचीत के दौरान चीन इस बात पर राजी हुआ कि विवादित इलाकों से पीछे हट जाएगा। पहले फेज का डिसएंगेजमेंट पूरा भी हो गया, लेकिन लेकिन धरातल पर असर नहीं हुआ।