दिल्ली के लर्निंग लीडरशिप फाउन्डेशन के एक ट्रस्टी और रिचमोंड एजुकेशन सोसाइटी के सदस्य ने 2019 में तीस हज़ारी मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत दर्ज की थी…..
- Published by- @MrAnshulGaurav
- Wednesday, May 04, 2022
नोएडा। दिल्ली पुलिस की द इकोनोमिक एण्ड ओफेंस विंग ने रैफल्स एजुकेशन कॉर्पोरेशन सिंगापुर के प्रोमोटर्स के खिलाफ़ चार्जशीट फाईल की है। ग्रेटर नोएडा में एक शैक्षणिक समिति की 100 करोड़ की ज़मीन और इमारत पर गैर-कानूनी कब्ज़ा करने के मामले में यह चार्जशीट फाईल की गई है।
इस मामले में सिंगापुर के एक शैक्षणिक सदन रैफल्स एजुकेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड के चेयरमैन च्यु हुआसेंग, उनकी पत्नी डोरिस चुंग, उनके बेटे च्यू हैन वी, जॉन थैम, सौरभ शर्मा, चेंग लोक तेओ, हाउ टेक लिम, हुई टिन गेन और जुन ही आरोपी है। इनमें से सिर्फ सौरभ शर्मा रैफल्स कॉर्पोरेशन के भारतीय प्रतिनिधि है, उनके अलावा अन्य सभी चीनी मूल के सिंगापुर नागरिक हैं तथा रैफल्स की टॉप मैनेजमेन्ट टीम में शामिल हैं।
चार्जशीट के मुताबिक भातरीय पैनल कोड की धारा 465, 469, 471, और 506 के तहत फर्म रैफल्स एजुकेशन कॉर्पोरेशन के प्रोमोटर्स आपराधिक साज़िश और जाली दस्तावेजों के साथ जय राधा रमन एजुकेशन सोसाइटी (जेआरआरईएस) के सदस्य बन गए, जो ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क 4 में जेआरई ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स का संचालन करती है। जेआरआरईएस के पास 44 एकड़ ज़मीन और इस पर निर्मित इमारत है, जिसकी कीमत तकरीबन रु 100 करोड़ है। चार्जशीट में कहा गया है कि सिंगापुर की फर्म जेआरआरईएस के मौजूदा सदस्यों को हटाकर और रैफल्स के साथ अपने संबंधों को छिपाते हुए सोसाइटी की सम्पत्ति पर कब्ज़ा करने की कोशिश में थी।
दिल्ली के लर्निंग लीडरशिप फाउन्डेशन के एक ट्रस्टी और रिचमोंड एजुकेशन सोसाइटी के सदस्य ने 2019 में तीस हज़ारी मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत दर्ज की थी, जिसे आगे कार्रवाई के लिए दिल्ली पुलिस के ईओडब्ल्यू के पास भेजा गया। विस्तृत जांच के तीन साल बाद चार्जशीट दायर की गई है। जांच में वैज्ञानिक प्रमाणों की जांच और फोरेंसिक ऑडिट किया गया था।
चार्जशीट में इस बात की पुष्टि की गई है कि एलएलएफ और आरईएस, दोनों के दस्तावेजों का गैर-कानूनी अधिग्रहण कर इलेक्ट्रोनिक डेटा की चोरी की गई, लेजर्स की फोर्जिंग हुई और झूठे सबूत तैयार किए गए। इन झूठे और जाली सबूतों का उपयोग आपराधिक धमकियों के लिए किया गया, जिनके ज़रिए दोनों सोसाइटियों और जेआरआरईएस के सदस्यों को ब्लैकमेल किया गया। जेआरआरईएस की इमारत हड़पने के मकसद से इन सभी गतिविधियों को अंजाम दिया गया। इसके अलावा सरकारी क्षेत्र में काम करने वाले कुछ लोगों को उकसाया गया कि वे जेआरआरईएस के सदस्यों के खिलाफ़ आपराधिक कार्रवाई करें।
एजुकेशन कंपनी एड्युकोम्प सोल्युशन्स लिमिटेड के प्रोमोटर शांतनु प्रकाश, जेआरआरईएस के अध्यक्ष और एलएलएफ के मैनेजिंग ट्रस्टी हैं। चार्जशीट के अनुसार, रैफ़ल्स शांतनु प्रकाश एवं जेआरआरईएस के अन्य मौजूदा सदस्यों को हटाने की कोशश में थी, क्योंकि रैफल्स के साथ उनकी कंपनी एड्युकोम्स का सयंुक्त उद्यम भारत में फैशन डिज़ाइन कॉलेज और डिस्टेन्ट लर्निंग सेंटर चलाता है, जिसके परिणामस्वरूप विवाद शुरू हुआ और यह लड़ाई कानूनी स्तर पर पहुंच गई।
2015 में, जब संयुक्त उद्यम के बीच विवाद हुआ, रैफल्स ने सिंगापुर इंटरनेशनल आबिटेªेशन सेंटर (एसआईएसी) के समक्ष आर्बिट्रेशन की कार्रवाई शुरू कर जेआरआरईएस का नियन्त्रण अपने हाथों में लेने, जेआरआरईएस के मौजूदा सदस्यों को हटाने तथा रैफल्स के नॉमिनियों को नियुक्त करने का प्रयास किया। हालांकि 2017 में, एसआईएसी ने मौजूदा सदस्यों को हटाने का आदेश देने से इन्कार कर दिया।
इस बीच 2016 में, रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़, नई दिल्ली ने पाया कि जेआरआरईएस के आठ सदस्य सिंगापुर क नागरिक हैं, जो सदस्यता पाने की फ़िराक में हैं। उन्होंने इन तथ्यों को छिपाया कि वे रैफल्स ग्रुप ऑफ कंपनीज़ की ओर से काम करते हैं और इन सब के पीछे उनके वाणिज्यिक हित हैं। आरओसी ने इस सदस्यों को जेआरआरईएस के ज्ञापन एवं विनियमों के अनुपालन का निर्देश दिया था, कि सदस्यता के आधार पर वे सम्पत्ति या मुनाफ़े पर कोई दावा नहीं कर सकते थे।
सिंगापुर में कानूनी लड़ाई हारने और भारत में फटकार लगाए जाने के बाद रैफल्स ग्रुप के टॉप मैनेजमेन्ट ने एड्युकोम्प को बदनाम करने की साज़िश रची, जिसके लिए मीडिया में झूठे सबूत और कहानियां पेश की गईं। रैफल्स ने प्रधानमंत्री कार्यालय, केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त, गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय और सीबीआई के समक्ष झूठे प्रमाणों के साथ झूठी शिकयत दर्ज की, और यहां तक कि कुछ सरकारी अधिकारियों को अपने पक्ष में भी कर लिया, जिनके नाम चार्जशीट में दिए गए हैं।
सिंगापुर की फर्म ने एलएलएफ और आरईएस के जाली दस्तावेजों के साथ सदस्यों को ब्लैकमेल करना शुरू किया और शांतनु प्रकाश को धमकियां दीं कि वे जेआरआरईएस के अध्यक्ष पद से हट जाएं। चार्जशीट में इन सभी बिंदुओं का उल्लेख है।
2016 में रैफ़ल्स ने बैंगलुरू, हैदराबद और चेन्नई में अपने प्रीमियम फैशन डिज़ाइनिंग कॉलेज बंद कर छात्रों को मझधार में छोड़ दिया, जिसकी खबरे मीडिया में खूब उछलीं।
इस बीच, मलेशिया के एफिन बैंक से लिए गए ऋण में अनियमितताओं के चलते रैफल्स के डायरेक्टर्स- चेयरमैन च्यू हुआ सेंग, उनकी पत्नी डोरिंग चंग और 4 अन्य लोगों को पिछले महीने सिंगापुर कमर्शियल अफेयर्स डिपार्टमेन्ट द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। रैफल्स का टॉप मैनेजमेन्ट पहले से सिंगापुर के एक प्रख्यात कारोबारी और रैफ़ल्स में दूसरे सबसे बड़े हितधारक ओई होंग लियांेग से कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। यह लड़ाई चेयरमैन के परिवार द्वारा फाइनैंशियल गड़बड़ी के आरोपों के संदर्भ में लड़ी जा रही है। सिंगापुर की मॉनेटरी ऑथोरिटी इस मामले की जांच कर रही है।