पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में हिंसक झड़प और 20 भारतीय जवानों की शहादत के बाद एक बार फिर देश में चाइनीज प्रॉडक्ट्स के बहिष्कार का अभियान तेज हो गया है. लोग चीन में बने सामानों को खरीदने से परहेज कर रहे हैं. यह बहिष्कार लहर असल में 2017 में डोकलाम तनातनी के बाद से ही तेज हो गई थी. इसके बाद दिवाली जैसे अवसरों पर भी कुछ संगठनों ने चाइनीज लडिय़ों और मूर्तियों को नहीं खरीदने की अपील की थी, जिसका काफी बड़ा असर देखा गया था.
इसके बाद चीन उन चालाकियों में जुट गया जिससे अधिकतर भारतीय खरीदारों को पहली नजर में यह पता ही ना चले कि प्रॉडक्ट चाइनीज है. कोई प्रॉडक्ट किस देश में बना है यह पैकेटे और प्रॉडक्ट पर लिखा होता है. जैसे भारत में बने प्रॉडक्टर पर लिखा होता है मेड इन इंडिया, इसी तरह चाइनीज प्रॉडक्ट्स पर लिखा होता था मेड इन चाइना.
ऐसे में यह पहचान करना बहुत आसान था कि कौन सा सामान भारतीय है और कौन सा चाइनीज. इसी आसान पहचान को खत्म करने के लिए चीन ने अब अपने प्रॉडक्ट्स पर मेड इन चाइना लिखना बंद कर दिया है, अब वह लिखता है मेड इन पीआरसी. पीआरसी का मतलब है पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना. शायद उसकी सोच रही हो कि भारतीय उपभोक्ता पीआरसी लिखा देख सामान खरीद लेंगे, वे समझ नहीं पाएंगे कि यह असल में मेड इन चाइना है.
चीन अपनी चालाकियों के लिए जाना जाता है. चाइनीज प्रॉडक्ट्स पर मेड इन पीआरसी लिखने के साथ ही उसने अपने प्रॉडक्ट्स को एकदम भारतीय लुक देने की भी कोशिश की है. इसके तहत वह प्रॉडक्ट्स के नाम इस तरह रखता है, जिससे वे भारतीय प्रतीत हों.
इसके अलावा वह पैक्ट्स पर कहीं भी चाइनीज भाषा में कुछ नहीं लिखता है, सभी जानकारी और दिशानिर्देश अंग्रेजी में ही लिखता है, यहां तक कि कई प्रॉडक्ट्स पर तो वह हिंदी में भी लिखने लगा है. इसके अलावा यदि किसी पैकेट पर कोई तस्वीर लगानी है तो वह भारतीय चेहरों की तस्वीर ही छापता है. यानी पूरी तरह प्रॉडक्ट आपको भारतीय ही महसूस होगा.