नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में देश भर में प्रदर्शन हो रहे हैं. इसके साथ ही एक और रिकॉर्ड भारत के नाम हो गया है. भारत में 20 दिसंबर 2019 तक 95 बार इंटरनेट शटडाउन हुआ. इसके बाद भी कई जगहों पर इंटरनेट बंद किया गया. इस तरह भारत सबसे ज्यादा बार इंटरनेट बंद करने वाला देश बन गया. रॉयटर्स के मुताबिक इंटरनेट शटडाउन का खामियाजा आम लोगों के साथ-साथ टेलिकॉम कंपनियों को भी भुगतना पड़ रहा है.
सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन (COAI) के मुताबिक इंटरनेट बंद होने की वजह से टेलिकॉम कंपनियों को हर घंटे 24.5 मिलियन (2.5 करोड़) का नुकसान उठाना पड़ रहा है. यानी कि टेलिकॉम कंपनियों को 1 सेकंड में लगभग 7000 रुपयों का नुकसान हो रहा है. इसके लिए COAI ने केंद्र सरकार को लेटर भी लिखा है, जिसका जवाब फिलहाल सरकार की तरफ से नहीं आया है.
इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनैशनल इकॉनमिक रिलेशन्स सहित दो थिंक टैंकों ने रिसर्च के बाद बताया है कि भारत इंटरनेट शटडाउन करने के मामले में शीर्ष पर है. इसकी वजह से देश को भारी नुकसान भी उठाना पड़ा है. साल 2012 से अब तक सरकार ने 367 बार इंटरनेट सस्पेंड किया गया है.
साल 2018 में दुनिया के इंटरनेट शटडाउन का 67 फीसदी भारत में हुआ. जनवरी 2012 से जनवरी 2019 के बीच 60 बार 24 घंटे से कम समय का इंटरनेट बंद हुआ. 55 बार 24 से 72 घंटे के लिए इंटरनेट बंद रहा वहीं 39 बार 72 घंटे से ज्यादा इंटरनेट बंद रहा.
कश्मीर में 5 अगस्त को किया गया इंटरनेट शटडाउन अब भी जारी है. इस तरह वहां सबसे ज्यादा, 136 दिन नेट बंद रहा है. 2012 से 2019 तक इंटरनेट बंद किए जाने वाले पांच राज्यों में जम्मू-कश्मीर टॉप पर है. इनके अलावा इस लिस्ट में राजस्थान, यूपी, हरियाणा, बिहार और गुजरात हैं. इंटरनेट बंद करने से सबसे ज्यादा नुकसान गुजरात को हुआ है. 2017 से 2019 तक गुजरात को इस वजह से 1177.5 मिलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा.