• असुरक्षित गर्भसमापन मातृ मृत्यु का एक मुख्य कारण
• आईपास डेवलपमेंट फाउंडेशन द्वारा कार्यशाला का हुआ आयोजन
• 80 गैर सरकारी संस्थानों के प्रतिनिधियों ने कार्यशाला में लिया हिस्सा
पटना। सुरक्षित गर्भसमापन के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से आईपास के द्वारा पटना के एक निजी होटल में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें सांझा प्रयास के नेटवर्क के सदस्यों ने सुरक्षित गर्भ समापन की सेवाओं को और बेहतर बनाने के लिए रणनीति पर चर्चा की साझा प्रयास नेटवर्क द्वारा सुरक्षित गर्भ समापन की जागरूकता के लिए विभिन्न गतिविधियां की गई। जिसमें मुख्य रुप से फ्रंटलाइन वर्कर जैसे आशा, एएनएम, आंगनबाड़ी सेविका तथा जीविका दीदियों का उन्मुखीकरण जिला स्तरीय एवं प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों यथा स्वास्थ्य, सामेकित बाल विकास परियोजना, पंचायती राज्य सदस्य तथा प्रखंड विकास पदाधिकारी इत्यादि के साथ सरकारी तथा विधायी सदस्यों, नीति निर्धारकों मीडिया कर्मी एवं स्थानीय गैर सरकारी संस्थान के सदस्यों के साथ वार्ता के साथ ही अलग अलग मंच का उपयोग करके सुरक्षित गर्भ समापन के लिए जागरूक करने की बात कही गयी।
कार्यशाला में आईपास डेवलपमेंट फाउंडेशन की सीनियर डायरेक्टर हेल्थ डॉक्टर छाया तिवारी ने एमटीपी एक्ट 1971 में हुए संशोधन के विषय से अवगत कराया। साथ ही यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी अधिकारों के विषय पर भी चर्चा की। उनके द्वारा यह बताया गया कि दूरस्थ क्षेत्रों में ग्रामीणों को सुरक्षित गर्भ समापन की जानकारी देना अत्यंत आवश्यक है।इस हेतु बिहार तथा उत्तर प्रदेश की 20 स्वयं सेवी संस्थान ने सांझा प्रयास नाम का एक नेटवर्क बनाया है। सांझा प्रयास का उद्देश्य समाज के विभिन्न व्यक्ति तथा संस्थाएं जैसे कि सरकारी विभाग मीडिया समुदाय इत्यादि को महिला स्वास्थ्य विशेषकर सुरक्षित गर्भ समापन के विषय पर जागरूक करना तथा सुरक्षित गर्भ समापन सेवाओं को बढ़ाने के लिए उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना है।इस कार्यशाला में राज्य के विभिन्न जिलों से लगभग 80 गैर सरकारी संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
सुरक्षित गर्भ समापन के प्रति समुदायस्तर पर जागरूकता जरूरी: बिहार वॉलंटरी हेल्थ एसोसिएशन के कार्यपालक निदेशक स्वपन मजूमदार ने समुदाय स्तर पर सुरक्षित गर्भ समापन हेतु लोगों को जागरूक करने के लिए रणनीति पर चर्चा की। आईपास डेवलपमेंट फाउंडेशन के वरीय राज्य निदेशक निलेश कुमार ने सांझा प्रयास नेटवर्क के अंतर्गत कार्य करने वाली सभी नेटवर्क सदस्यों को अपने कार्य क्षेत्र में सभी बैठकों में युवाओं एवं प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी विषयों पर निरंतर चर्चा करने हेतु बताया गया ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग जागरूक हो सके और सुरक्षित गर्भपात की सेवाओं का लाभ उठा सकें।
असुरक्षित गर्भ समापन मातृ मृत्यु का एक मुख्य कारण: अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य पत्रिका लैंसेट में छपे एक लेख के अनुसार भारत में होने वाले कुल गर्भ समापन में लगभग दो-तिहाई स्वास्थ्य केंद्र के बाहर होते हैं बिहार में 1 वर्ष में होने वाले 12.5 लाख गर्भ समापन में से 84% स्वास्थ्य केंद्र के बाहर होते हैं तथा 5% गर्भ समापन अप्रशिक्षित सेवा प्रदाता द्वारा किए जाते हैं और असुरक्षित गर्भ समापन मातृ मृत्यु का एक मुख्य कारण है। इसलिए इस विषय पर कार्य करने की आवश्यकता है। पिछले 5 दशकों के दौरान महिलाओं की यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य विशेषकर सुरक्षित गर्भपात के क्षेत्र में काफी बदलाव देखा गया है। केंद्र एवं राज्य सरकारों के निरंतर प्रयासों के फलस्वरूप सुरक्षित गर्भ समापन की जानकारी व सेवाओं का काफी विस्तार हुआ है।
एमटीपी एक्ट 1971 के पारित होने से गर्भ समापन को कानूनी दर्जा मिला तथा महिलाओं के गर्भ समापन सेवाओं के लिए कुशल माहौल बना इसके बावजूद आज भी प्रशिक्षित सेवा प्रदाताओं की कमी, कानूनी गर्भ समापन की कम जानकारी तथा इससे जुड़ी सामाजिक भ्रांतियों के कारण कई महिलाओं को सुरक्षित गर्म समापन सेवा नहीं मिल पाती हैं तथा उन्हें बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। भारत में प्रतिदिन 10 महिलाओं की मृत्यु और सुरक्षित गर्म समापन से जुड़ी जटिलताओं के कारण होती है तथा असंख्य महिलाओं को जीवन पर्यंत परेशानी का सामना करना पड़ता है।