लखनऊ। कामरेड Comrade अर्जुन प्रसाद स्मृति समारोह के तत्वावधान में आज परिसंवाद ‘चार साल, बुरा हाल’ का आयोजन किया गया, जिसमें मजदूर नेता कामरेड राकेश सिंघा (विधायक, हिमाचल प्रदेश) ने बतौर मुख्य वक्ता इस विषय पर अपने विचार व्यक्त किये।
Comrade अर्जुन के कार्यों का अनुसरण करना वक्त की ज़रूरत
कामरेड अर्जुन प्रसाद स्मृति समारोह के तत्वावधान में हुए इस परिसंवाद की अध्यक्षता कामरेड छोटेलाल पाल ने की तथा संचालन डॉ. प्रदीप शर्मा ने किया। इस अवसर पर कामरेड अर्जुन प्रसाद के सहकर्मी रहे और जनसंस्कृति मंच के अध्यक्ष कामरेड कौशल किशोर ने अर्जुन प्रसाद द्वारा किये गये क्रांतिकारी कार्यों का उल्लेख करते हुए उनके कार्यों के अनुसरण करने को वक्त की जरूरत बताया।
2019 के चुनाव में मोदी सरकार का जाना तय है : कामरेड सिंघा
पूंजीवाद और असमानता के सम्बन्ध की व्याख्या करते हुए कामरेड सिंघा ने कहा कि दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है और भारत भी इससे अछूता नहीं रह सकता। चार साल मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों से जनता त्रस्त है और यह बात लिख लीजिये कि 2019 के चुनाव में मोदी सरकार का जाना तय है। सवाल केवल सरकार बदलने का नहीं, व्यवस्था परविर्तन का है। इस स्थिति को बदलने के लिए क्रांतिकारी और बुद्धिजीवियों को मेहनतकशो, मजदूरों, शोषितों, मजलूमों को एक साथ खड़ा करने की जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी।
हमें समाज के दुख और दर्द के साथ खड़ा होना होगा : कामरेड सिंघा
परिचर्चा में आये लोगों को सम्बोधित करते हुए कॉमरेड सिंघा ने कहा कि इस संकट के दौर में उपजे अन्तर्विरोधों को दूर करने के लिए प्रयास करने के साथ पूंजीवादियों के कुचालों से लोगों को समझाने के लिए नई चेतना का विकास करना होगा। हमें रस्मी आयोजनों से आगे निकलकर समाज के दुख और दर्द के साथ खड़ा होना चाहिये। हम समाज के साथ खड़े होकर ही हम इंकलाब ला सकते हैं।
पूंजीवाद ने असमानता बढ़ाई और इस असमानता पर चोट देकर बदलाव संभव है : राकेश सिंघा
समाज में दो तबके बड़ी तेजी से पनपते जा रहे हैं, गरीब, गरीब होता जा रहा है और अमीर, अमीर होता जा रहा है। इससे समाज में समानता, बराबरी और वाजिब हक की बात की कल्पना बेमानी होती जा रही है। इसे हम क्रांतिकारियों को समझना चाहिये और एक बराबरी और वाजिब हक पाने वाले समाज की नयी व्यवस्था को तैयार करने के लिए मजबूती से त्वरित रूप से लगने की आवश्यकता है।
गरीबों, मजलूमो, मेहनतकशों का शोषण बढ़ा
उन्होंने केन्द्र की मोदी सरकार के पिछले चार सालों का जिक्र करते हुए कहा कि इस दौर में गरीबों, मजलूमो, मेहनतकशों का शोषण बढ़ा है। यह सरकार पूंजीवादी ताकतों के हाथों में समाज के इन तबकों की बड़ी जिम्मेदारी देती जा रही है, वह समाज में आसन्न खतरे की आहट है। इस पर हम क्रांतिकारियों और बुद्धिजीवियों द्वारा अमल और नई चेतना के विकास करना ही समय की जरूरत है।
परिसंवाद कार्यक्रम में कामरेड सिंघा ने लोगों के सवालों का भी बेबाकी से जवाब दिया और राजनीति में तमाम तरह के बहाने को छोड़ने पर जोर दिया। उन्होंने बहानों के बजाये हकीकत को समझने तथा उस पर अमल करने और समाज को नई दिशा देने का आह्वान भी किया।