Lucknow। लखनऊ विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ योग एंड अल्टरनेटिव मेडिसिन (Faculty of Yoga and Alternative Medicine) एवं इंडियन योग फेडरेशन (Indian Yoga Federation) के संयुक्त तत्वाधान में भारतवर्ष में योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा की शिक्षा (Education of Yoga and Naturopathy in India) विषयक कॉन्फ्रेंस (Conference) का आयोजन किया गया है। कार्यक्रम का उद्घाटन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित करके किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर आरएएस कुशवाहा (Pro RAS Kushwaha) डीन स्टूडेंट वेलफेयर केजीएमयू द्वारा की गई विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर माखन लाल प्राचार्य डीन, राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज थे।
संकाय के समन्वयक डॉ अमरजीत यादव ने बताया कि भारतवर्ष के विभिन्न केंद्रीय विश्वविद्यालयों एवं राज्य विश्वविद्यालयों सहित निजी विश्वविद्यालय में योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा की शिक्षा दी जा रही है। योग शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य व्यक्ति निर्माण,स्वास्थ्य संरक्षण एवं स्वास्थ्य की उन्नति है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में योग शिक्षा की महत्ता पर बल दिया गया है। योग से स्कूली एवं विश्वविद्यालय स्तर के विद्यार्थियों के स्वास्थ्य एवं चरित्र निर्माण किया जा सकता है।
प्रोफेसर आरएएस कुशवाहा ने बताया कि वर्तमान में विभिन्न प्रकार की गलत जीवन शैली के कारण बीमारियां हो रहे हैं। जिनमें उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, मोटापा, अनिद्रा, दमा, जोड़ों के दर्द रोग प्रमुख हैं। छात्र एवं छात्राओं एवं जनसामान्य को योग जीवन शैली अपनाने तथा प्रतिदिन आसन, प्राणायाम, ध्यान तथा योगिक आहार से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी तथा महामारी की तरह फैल रही इन बीमारियों से बचा जा सकता है।
प्राचार्य माखनलाल ने कहा कि देखा देखी साधै जोग, छीजै काया बाढ़ै रोग। योग अभ्यास किसी के सानिध्य में रहकर करना चाहिए तथा दिनचर्या को नियमित रखना चाहिए शरीर मन तथा आत्मा का शुद्धिकरण किया जा सकता है । शिवम मिश्रा ने बताया कि योग एक ऐसी अवस्था है जो जोड़ने का काम करती है। योग ऐसी विधा है जो व्यक्ति के अंदर निहित शक्तियों के द्वारा सामंजस्य स्थापित करता है। फैकल्टी के अधिष्ठाता प्रोफेसर अशोक कुमार सोनकर ने बताया कि योग विषय ना होकर एक जीवन पद्धति है।
वियतनाम से आई योग विशेषज्ञ मिस थी थान थुई ने बताया कि भारत की प्राचीन योग विद्या भारतीय विद्वानों द्वारा वियतनाम तक फैली जो वहां के जनसामान्य लोगों के स्वास्थ्य संवर्धन में प्रमुख भूमिका निभा रही हैं,वियतनाम के योग विशेषज्ञ फैम थी कक् ने अपने संबोधन में कहा की योग शरीर को ही नहीं बल्कि मानसिक और संवेगिक रूप से मनुष्य को सशक्त बनाता है वही वियतनाम से आए एक अन्य योग विशेषज्ञ लीन डाऔ ने बताया कि वियतनाम में योग के बढ़ते विकास से जनसामान के साथ-साथ आज हजारों की संख्या में विद्यार्थी इस प्राचीन भारतीय परंपरा को अपना कर जीवन के प्रत्येक पहलू को सरल सहज एवं सबल बनाने का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं।
इस अवसर पर फैकल्टी के समस्त शिक्षकगण डॉ सत्येंद्र कुमार मिश्रा, डॉक्टर उमेश कुमार शुक्ला, डॉक्टर सुधीर कुमार, डॉक्टर रामनरेश,डॉ रामकिशोर, इशिता अरोरा प्रियंका राय, शोभित सिंह के साथ-साथ सैकड़ो की संख्या में विद्यार्थी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।