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देश के प्रख्यात कलाकार विवान सुन्दरम का निधन, कला क्षेत्र में शोक की लहर

• सप्रेम संस्थान एवं अस्थाना आर्ट फोरम के माध्यम से कलाकारों ने दी श्रद्धांजलि

• कलाकारों ने बनाए विवान सुंदरम के पोर्ट्रेट

लखनऊ। भारत के प्रख्यात कलाकार विवान सुन्दरम का निधन बुधवार को प्रातः 9:20 पर हो गया। वे 79 वर्ष के थे। पिछले दिनों से उनकी काफी तबीयत खराब थी जिसके चलते बुधवार को सुबह दिल्ली के एक अस्पताल में उनका निधन हो गया। विमान के निधन की खबर सोशल मीडिया के माध्यम से प्राप्त होते ही देश व विदेशों में कला क्षेत्र में शोक की लहर फैल गयी।

सभी ने अपने अपने तरीकों से उन्हे याद करते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। बुधवार को लखनऊ में भी सप्रेम संस्थान एवं अस्थाना आर्ट फोरम के माध्यम से लोगों ने उन्हे याद करते हुए अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर लखनऊ के कलाकार, अमेटी यूनिवर्सिटी के प्रो निरंकार रस्तोगी ने विमान सुंदरम के डिजिटल और स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के फ़ाइन आर्ट्स के छात्र संदीप रे ने स्केच पोर्ट्रेट बनाए।

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विवान सुंदरम का जन्म 1943 में शिमला में हुआ था। इनकी माँ इंदिरा शेरगिल, जानी मानी चित्रकार अमृता शेरगिल की बड़ी बहन थीं। इनके पिता कल्याण सुंदरम थे। प्रसिद्ध कला इतिहासकार और कला समीक्षक गीता कपूर इनकी पत्नी थीं। दून स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करके विवान सुंदरम ने उच्च शिक्षा एम एस विद्यालय बड़ौदा और लंदन के स्लेड स्कूल ऑफ आर्ट से किया।

सुंदरम का कला के क्षेत्र में बहुआयामी अभ्यास रहा है उन्होने पेंटिंग, मूर्तिकला, स्थापना कला, फोटोग्राफी और वीडियो में भी ढेरों काम किया। उन्होंने 1960 के दशक में लंदन के स्लेड स्कूल ऑफ फाइन आर्ट में अध्ययन के बाद 1970 के दशक में भारत लौट आए और तब से भारतीय समकालीन कला परिदृश्य में सबसे आगे थे, समकालीन कला में लगातार सीमाओं से परे और चुनौतीपूर्ण काम किया और उसको आगे बढ़ा भी रहे थे । विवान सुंदरम ने विषम सामाजिक घटनाओं विशेषकर हिंसा पर निर्भिकता से अपनी कला अभिव्यक्ति करते नजर आते थे।

चित्रकार भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने बताया कि विवान सुंदरम भारत के सबसे अग्रणी अनुभवी कलाकारों में से एक थे। उनकी कलाकृतियाँ राष्ट्रीय आधुनिकतावाद, उत्तर-औपनिवेशिक पहचान और तीसरी दुनिया की विचारधाराओं के आसपास के मुद्दों को संबोधित करने के लिए विभिन्न माध्यमों और पैमानों पर फैली हुई हैं।

अभिलेखीय और अलंकारिक आवेगों से प्रेरित, उनके साहसिक राजनीतिक चित्र, कलात्मक सहयोग, उनके पूर्वजों के साथ गणना, और सामयिक घटनाओं पर प्रतिबिंब, समकालीन समाज, इतिहास और स्मारक के साथ उनके जुड़ाव को प्रकट करते हैं। एक उत्साही भौतिकवादी के रूप में, उन्होंने पिक्चर-प्लेन की सीमाओं को आगे बढ़ाने के लिए जोरदार प्रयोग किया है-वे भारत के पहले इंस्टालेशन कलाकार थे। श्रद्धांजलि देते हुए भूपेंद्र अस्थाना के अलावा गीरीश पाण्डेय, धीरज यादव, मनीषा कुमारी, अश्वनी कुमार प्रजापति, मनीषा श्रीवास्तव, अमित कुमार,आलोक देव सहित कई कलाकार रहे साथ कई कलाकारों ने अपनी श्रद्धांजलि अपने शब्दो में सोशल मीडिया पर भी व्यक्त किया।

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नई दिल्ली से युवा चित्रकार अभिजीत पाठक ने बताया कि विवान सुंदरम भारतीय कला में प्रयोगधर्मिता के प्रमुख स्तंभों में एक है , सौभाग्य से मुझे उनके सानिध्य में दो साल शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिला, वे एक अच्छे शिक्षक के साथ विचारक, कलाविद, व सामाजिक मुद्दे पर प्रखरता के साथ अपने विचार को रखते थे, उनके ऊर्जावान व्यक्तित्व के कारण उनके आस पास के सभी कला छात्र भी अपने सृजनात्मक प्रक्रिया में नए रास्ते बनाने में अग्रसर रहते थे।

लखनऊ के वरिष्ठ कलाकार जय कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि विवान सुन्दरम का देहावसान भारतीय कला जगत की अपूर्ण क्षति है। वह एक बौद्धिक जटिलताओं से परिपूर्ण प्रयोगवादी कलाकार तो थे ही साथ ही अपने सामाजिक सरोकार के प्रति भी कृतसंकल्प थे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। वरिष्ठ मूर्तिकार पाण्डेय राजीवनयन ने कहा कि वे प्रयोगवादी कलाकार थे, वे राष्ट्रीय ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कलाकार रहे हैं।

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उन्होने ऐसे दौर में स्थापना कला मे वृहद प्रयोग किए जिस समय में लोग सोच नहीं सकते थे। विमान सुंदरम से लगातार संपर्क बना रहा है। बदोड़ा में कई बार उनके प्र्योगवादी कलाओं से रूबरू होने का मौका मिलता रहा है। लखनऊ से ही वरिष्ठ चित्रकार, कला समीक्षक अखिलेश निगम ने कहा कि समकालीन/आधुनिक भारतीय कला को दिशाबोध देने वाले स्थापित कलाकार धीरे-धीरे अब अलविदा कहते जा रहे हैं… एक बड़ा शून्य बनता जा रहा है, जो बेहद दुखद है।

विवान सुंदरम् का जाना भी इसी श्रेणी में आता है। वे विविध कलाओं में दखल रखते थे-मूर्ति शिल्प, छापा कला, छायांकन, संस्थापन कला आदि। बल्कि भारतीय आधुनिक संस्थापन कला के तो वे प्रणेता माने जाते हैं। उनके विषय सामाजिक घटनाओं विशेषतः हिंसा पर निर्भीकता से कला अभिव्यक्ति देते रहें हैं। मूर्तिकार गिरीश पाण्डेय ने कहा कि विवान सुंदरम समकालीन कला के ख्यातिलब्ध कलाकार रहें है। सुंदरम उन कलाकारों की शृंखला से हैं जिन्हों ने स्वतंत्र भारत की कला परंपरा को वैश्विक कला के समकक्ष लाकर खड़ा कर दिया।

विवान सुन्दरम

सुंदरम कला के विभिन्न विधाओं से परिचित थे उनमे इन्होंने कई प्रयोग भी किए, जिनमे चित्रकला, मूर्तिकला, प्रिंटमेकिंग, फोटोग्राफी, एवं विडियोग्राफी इत्यादि हैं। विवन सुंदरम की कला शिक्षा की यात्रा दून स्कूल से लेकर बंगाल के सुप्रसिद्ध चित्रकार सुधीर रंजन खास्तगीर, एमएस स्कूल बरोदा से लेकर स्लेड स्कूल तक हुई।

उनकी कला में अनुभव की विविधता दिखाई देती है। सुंदरम के परिवार मे कला का परिवेश पहले से था। अमृता शेरगिल जो रिश्ते इनकी मासी लगती थी। उनके सानिध्य मे रहते हुये सुंदरम जी की कला में भी आत्मबल एवं विचारों कि स्वछंदता स्पष्ट दिखाई देती हैं। विवान सुंदरम आधुनिक भारत की कला के अमिट हताक्षर हैं, जिन्हें कभी भूलाया नहीं सकता। दिल्ली से रवीद्र दास ने कहा विमान भारत में संस्थापन कला के अग्रणी कलाकार रहे।

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राजेंद्र मिश्रा ने कहा कि अत्यंत दुखद, मुझे इनका सानिध्य 1985-86 में आचार्य नंदलाल बोस सेमिनार में वक्ता के रूप में पधारने पर प्राप्त हुआ था। वरिष्ठ कला समीक्षक ज्योतिष जोशी लिखते हैं कि यह तो बहुत दुःखद हुआ। विवान जी से अभी बहुत कुछ पाना था। अफ़सोस! उनकी स्मृति को नमन। फिल्म व कला समीक्षक रवीद्र त्रिपाठी सहित विजय शंकर मिश्र, विद्या सागर लिखते हैं कि यह एक बहुत बड़ी क्षति है भारतीय कला जगत की। विनय अंबर लिखते हैं कि भारतीय चित्रकला जगत के लिए बहुत बड़ी क्षति है।

मेरी दो मुलाकातें जो छोटी थी परन्तु महत्वपूर्ण थी स्मृति में रहती है। अखिलेश निगम लिखते हैं कि दुखद। अमृता शेरगिल की कड़ी का अंत हो गया है। विमान एक महत्वपूर्ण कलाकार थे जिन्हे सदैव याद किया जाएगा। अंजित श्रीवास्तव लिखते हैं कि अत्यंत दुःखद, इनके निधन से कला जगत के लिए बड़ा नुकसान हुआ है। इस प्रकार देश भर से लोगों ने अपने भाव प्रकट किया है। 30 मार्च 2023 को विमान सुंदरम की अन्त्येष्टि नई दिल्ली मे की जाएगी।

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