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सात-सात साल की सजा में कोर्ट ने खारिज की अपील, पड़ोसी पर हमले में बेटे समेत बरी

सपा नेता आजम खां व उनके बेटे अब्दुल्ला को कोर्ट ने एक मामले में राहत दी है। सात साल की कारावास मामले में कोर्ट ने निचली अदालत का फैसला बरकरार रखा। पड़ोसी पर हमले के मामले में कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में आजम-अब्दुल्ला समेत चारों को बरी कर दिया है।सपा नेता आजम और उनके बेटे को शनिवार दोपहर बाद कड़ी सुरक्षा के बीच पुलिस ने कोर्ट में पेश किया था।

गंज थाना क्षेत्र में जेल रोड निवासी मोहम्मद अहमद ने 2019 में सपा नेता आजम खां, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम, भाई शरीफ अहमद व भतीजे बिलाल खां के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें घर में घुसकर जानलेवा हमला करने, रंगदारी मांगने और आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाया था।

आरोपियों पर विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। पुलिस ने विवेचना के बाद चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की गई थी। मामले में सभी आरोपी जमानत पर चल रहे थे। केस की सुनवाई एमपी-एमएलए सेशन कोर्ट में चली। शनिवार को सुनवाई करते हुए अदालत ने चारों आरोपियों को बरी कर दिया है।

अभियोजन ने पेश किए सात गवाह
सुनवाई के दौरान अभियोजन की ओर से मुकदमे के वादी मोहम्मद अहमद, मोहम्मद इस्माइल, यासिर अली खां, मेडिकल परीक्षण करने वाले डॉ. जावेद, एफआईआर लेखक हेड कांस्टेबल चंदकी राम, विवेचक एसएसआई कृष्ण किशोर मिश्रा व अजय कुमार गवाह के रूप में कोर्ट में पेश हुए। वहीं सपा नेता आजम खां की ओर से अपने बचाव में केवल दो गवाह ही पेश किए।

सजा के खिलाफ अपील खारिज
बेटे के दो जन्म प्रमाणपत्र के मामले में आजम परिवार को सात-सात साल की सजा सुनवाई गई थी। इसके खिलाफ उन्होंने ऊपरी अदालत में अपील की थी। जिसे शनिवार को सुनवाई के बाद खारिज कर दिया गया। निचली अदालत से सजा के बाद सपा नेता आजम खां 18 अक्तूबर से सीतापुर जेल में बंद हैं। अब्दुल्ला आजम हरदोई और तजीन फात्मा रामपुर जेल में बंद हैं।

कोर्ट में नहीं मिला वकीलों को प्रवेश
सपा नेता आजम खां और बेटे अब्दुल्ला आजम की कोर्ट में पेशी के वक्त सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे। इस वजह से वकीलों को भी पुलिस ने अंदर जाने से रोक दिया। इससे वह भड़क गए। उन्होंने मामले की शिकायत जिला जज से की। सपा नेता आजम खां से जुड़े दो मामलों में शनिवार को फैसला आना है।

इसके लिए कचहरी परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। पेशी से पहले ही पुलिस ने वकीलों को भी कोर्ट से दूर रखा। इससे उनमें गुस्सा छा गया। वकीलों का कहना है कि उनके केस भी लगे हुए हैं। इसकी वजह से वह पैरवी नहीं कर पा रहे हैं।

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