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Cyclists Syndrome: अधिक साइकिल चलाने वाले लोगों को साइक्लिस्ट सिंड्रोम का सामना करना पड़ता है, जानें इसके लक्षण

Cyclists Syndrome: अधिक साइकिल चलाने वाले लोगों को साइक्लिस्ट सिंड्रोम का सामना करना पड़ता है, जानें इसके लक्षण।

साइक्लिस्ट सिंड्रोम एक क्रोनिक न्यूरोपैथी पेल्विक होता है, जोकि साइक्लिंग करने वालों में ज्यादा देखने को मिलता है। यह दर्द उन लोगों को ज्यादा होता है, जो अधिक साइकिल चलाते हैं। लेकिन इसमें कुछ अन्य कारण भी शामिल हो सकते हैं। ऐसे स्थिति होने पर जेनिटल में दर्द होता है और इस स्थिति को पहचानने में अक्सर लोग गलतियां कर देते हैं। जिसका कारण इसका ठीक से इलाज न मिल पाना भी है। ऐसे में व्यक्ति को अधिक दर्द का सामना लंबे समय तक करना पड़ सकता है।
इसलिए साइक्लिस्ट सिंड्रोम को पहचानने में गलती नहीं करना चाहिए। इस सिंड्रोम को पुड़ेंडल न्यूरेल्जिया के नाम से भी जाना जाता है। जब पुड़ेंडल नर्व प्रभावित होती है, तब इस सिंड्रोम का खतरा अधिक देखने को मिलता है। इस स्थिति में जेनिटल सुन्न हो सकते हैं और 12 या 24 घंटे की साइक्लिंग के बाद दोबारा दर्द हो सकता है।
लक्षण
जेनिटल्स में दर्द होना या फिर उस जगह पर सुन्न हो जाना।
जब आप बैठे होते हैं या फिर साइक्लिंग कर रहे होते हैं, तब दर्द और अधिक बढ़ जाना।
पेल्विक एरिया में दर्द इधर से उधर मूव कर रहा हो।
शरीर के एक या फिर दोनों साइड में दर्द होना।
खुजली, जलन और सुन्नपन महसूस होना।
पेशाब करने में या बाउल मूवमेंट में परेशानी होना।
सेक्सुअल डिस्फंक्शन होना।

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कारण
यह नाम देखकर ही आपको लग सकता है कि सिर्फ साइकिल चलाने वाले लोगों को यह स्थिति हो सकती है। लेकिन ऐसा नहीं है। ऐसा पेल्विक की मसल्स के कंप्रेशन की वजह से भी हो सकता है। जब पुड़ेंडव नर्व प्रभावित होती है, तो यह सिंड्रोम देखने को मिलता है। प्रेग्नेंसी, शरीर में एनाटोमिक असामान्यता, बच्चे को जन्म देना या फिर सर्जरी की वजह से होने वाले घावों की वजह से आपको यह स्थिति देखने को मिल सकती है।
रिस्क फैक्टर
बता दें कि जो लोग साइकिल चलाने के दौरान अपने पोस्चर का अच्छे से ध्यान नहीं रखते हैं, या फिर साइकिल का सेटअप अच्छे से नहीं करते हैं। उनको इस सिंड्रोम के होना का अधिक खतरा होता है। अगर आप भी साइक्लिंग करने से पहले स्ट्रेचिंग या वॉर्मअप नहीं करते हैं, तो आपको इस स्थिति का खतरा अधिक होता है। अगर आपकी कोर स्ट्रेंथ इतनी मजबूत नहीं है, तो भी आपको यह हो सकता है। जिन लोगों को पोषण और हाइड्रेशन की जरूरत पूरी नहीं होती है, तो इसका अधिक खतरा होता है।
ऐसे करें सिंड्रोम की पहचान
साइक्लिस्ट सिंड्रोम को पहचानने के लिए कोई खास टेस्ट नहीं बना है। लेकिन इसके कुछ लक्षणों को देखकर आप इसकी पहचान कर सकते हैं। डॉक्टर आपके दर्द के पैटर्न और इसके कारणों को समझकर इसकी स्थिति की पता लगा सकते हैं। बता दें कि न्यूरोपैथी या MRI के इस्तेमाल से भी इस स्थिति की पहचान कर सकते हैं।
ऐसे करें मैनेज
इस दर्द को कम करने के लिए इलाज के कई ऑप्शन मौजूद हैं। फिजियोथेरेपी के अलावा डॉक्टर आपको कई दवाइयां दे सकते हैं। इस नर्व को ब्लॉक करने के बाद आपको राहत मिल सकती है। कई बार इसके इलाज के लिए सर्जिकल नर्व डी कंप्रेशन का भी इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ ही आपको साइकल को अच्छे से सेटअप करना चाहिए और एक बढ़िया पोस्चर के साथ साइकिल को चलाना चाहिए। वहीं साइकिल चलाने से पहले स्ट्रेचिंग और वॉर्मअप करना चाहिए। इसके अलावा पौष्टिक और हाइड्रेशन की जरूरत को भी पूरा करते हैं और बीच-बीच में आराम करना भी काफी जरूरी होता है।

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