लखनऊ। उत्तर प्रदेश के परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह ने निजी बसों के अनुबंध के संबंध में परिवहन निगम के आधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि नवीन अनुबन्धन नीति में चालक एवं परिचालक, अनुबन्धित वाहन स्वामी के होंगे।
अनुबंधित बसों के संबंध में ग्राम्य संयोजन (सीएनजी एवं डीजल इंजन युक्त) बस अनुबन्धन योजना-2023, साधारण (सीएनजी व डीजल युक्त) बस अनुबन्धन योजना-2023 (चालक की भांति परिचालक भी अनुबन्धित वाहन स्वामी द्वारा उपलब्ध कराया जायेगा) नवीन है।
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इसके अतिरिक्त ग्रामीण बस अनुबंध योजना 2022, साधारण (सीएनजी व डीजल युक्त) बस अनुबन्धन योजना-2022, कुर्सी व शयनयान बस अनुबन्धन योजना-2022, मिड सेगमेंट बस अनुबंध योजना-2022, वातानुकूलित शयनयान बस अनुबन्धन योजना-2022, हाई एण्ड वातानुकूलित बस अनुबन्धन योजना-2022 पूर्व से संचालित है।
परिवहन मंत्री ने बताया कि पूर्व संचालित योजनाओं पर एलओआई निर्गत किये जाने के सम्बन्ध में लगाई गई रोक तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दी गई है। उन्होंने उक्त योजनाओं के अन्तर्गत योजनावार मार्ग के प्रस्ताव एक सप्ताह के अन्दर पूर्व निर्धारित प्रारुप में उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
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परिवहन मंत्री के निर्देशों के अनुपालन में एमडी परिवहन निगम ने सभी क्षेत्रीय एवं सहायक क्षेत्रीय प्रबंधकों को निर्देश दिए हैं कि योजनावार मार्ग प्रस्ताव प्रेषित करते समय योजना की शर्तों का अवश्य ध्यान रखे। परिचालको का सही आकलन करके ही प्रस्ताव को प्रेषित करे ताकि परिचालको की कमी से किसी भी दशा में स्थगन न हो। प्रस्ताव प्रेषित करते समय सम्बन्धित डिपो के सक्षेप्र से भी विचारोपरान्त प्रस्ताव प्रेषित करें। किसी भी दशा में नये बसों के अनुबन्धन से निगम की वर्तमान चालित बसों के लोड फैक्टर में कमी न हो एवं निगम के वित्तीय हितों पर विपरीत प्रभाव न पड़े।
एमडी ने निर्देश दिए है कि प्रस्तावित मार्ग अनिवार्यतया राष्ट्रीयकृत मार्ग हो। अराष्ट्रीयकृत, गैर अधिसूचित मार्ग एवं रेड कॉरिडोर मार्ग पर अनुबन्धन का प्रस्ताव प्रेषित न करें। सभी क्षेत्र यात्री बहुलता वाले स्थानीय मार्गों को चिन्हित कर अनुबन्धित बसो को शत प्रतिशत दोहन सुनिश्चित करें।
एमडी ने कहा कि अतिरिक्त विशेष रुप से ऐसे मार्गो का प्रस्ताव प्रेषित करें, जो धार्मिक स्थलों को जोड़ते हो। जैसे- अयोध्या, मथुरा, काशी, प्रयागराज, चित्रकूट आदि। अनुबन्धित योजना का पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखण्ड, बिहार, राजस्थान एवं मध्य प्रदेश आदि राज्यो से अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार कर निवेशकों को आकर्षित किया जाये। अन्तर्राज्यीय मार्गों पर बसों के सम्पूर्ण संचालन हेतु अनुबन्धन कार्यवाही की जाए।
अन्तर्राज्यीय मार्ग का प्रस्ताव भेजते समय सम्बन्धित राज्य के टैक्स भुगतान के उपरान्त लाभदायकता की स्थिति का आकलन अवश्य कर लिया जाये एवं यह भी सुनिश्चित किया जाये कि प्रस्तावित मार्ग व संख्या का प्रस्ताव सम्बन्धित राज्य से हुए समझौते के अनुसार हो।
मार्गों के प्रस्ताव भेजते समय यह अवश्य ध्यान रखा जाये कि अनुबन्धित बसों की संख्या में वृद्धि होने से आय के अतिरिक्त श्रोत उत्पन्न हो न कि वर्तमान में प्राप्त हो रही आय का बटवारा हो। भविष्य में यह कथन स्वीकार नही किया जायेगा कि अनुबन्धित बसों की संख्या में वृद्धि होने से क्षेत्र के लोड फैक्टर में गिरावट आ गई।