के.जी.एम.यू के कुलपति, लेफ्टिनेंट जनरल (डा.) बिपिन पुरी ने कहा कि टी.बी. उन्मूलन के लिए के.जी.एम.यू. पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और प्रदेश के 75 जिलों के समस्त मेडिकल कालेजों को पूर्ण सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि ड्रग रेजिस्टेन्ट ट्यूबरकुलोसिस के लिए केजीएमयू प्रदेश का नेतृत्व करेगा।
- Published by- @MrAnshulGaurav, Written by–Daya Shankar Chaudhary
- Friday, 04 Febraury, 2022
लखनऊ। राजधानी के प्रतिष्ठित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) समेत, ‘आई डिफीट टीबी’ प्रोजेक्ट का पूरे भारत में शुभारम्भ किया गया है| इसके लिए केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग को उत्तर प्रदेश का पहला ‘सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स’ बनाया गया है।
रेस्पिरेटरी विभाग अपनी स्थापना का मना रहा है 75वां वर्ष
इस अवसर पर, रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डा. सूर्यकान्त ने बताया कि रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग अपनी स्थापना का 75वाँ वर्ष मना रहा है यह विभाग के लिए गौरव की बात है कि उसे देश के 15 “सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स“ में से चुना गया है। यह उप्र में पहला और अकेला केन्द्र है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केजीएमयू के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो. एस. एन. शंखवार ने रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डा. सूर्यकान्त और विभाग के समस्त स्टाफ को, इस कार्यक्रम के शुरू होने के उपलक्ष्य में, बधाई देते हुए कहा कि क्षय उन्मूलन प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है। टी.बी. प्रोजेक्ट से इस मुहिम को और बल मिलेगा।
टी.बी. उन्मूलन के लिए के.जी.एम.यू. पूरी तरह से प्रतिबद्ध- कुलपति
के.जी.एम.यू के कुलपति, लेफ्टिनेंट जनरल (डा.) बिपिन पुरी ने कहा कि टी.बी. उन्मूलन के लिए के.जी.एम.यू. पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और प्रदेश के 75 जिलों के समस्त मेडिकल कालेजों को पूर्ण सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि ड्रग रेजिस्टेन्ट ट्यूबरकुलोसिस के लिए केजीएमयू प्रदेश का नेतृत्व करेगा।
75 जिलों में टी.बी. विशेषज्ञों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को आनलाईन मिलेगा प्रशिक्षण
डा. सूर्यकान्त ने बताया कि टी.बी. प्रोजेक्ट एक्सटेंशन फॉर कम्यूनिटी हेल्थ आउटकम्स (इसीएचओ) विश्व स्तर पर टी.बी. के मरीजों की बेहतरी के लिए काम करता है। हमारे विभाग को इस प्रोग्राम से टी.बी. उन्मूलन में सहायता मिलेगी। ड्रग रेजिस्टेन्ट ट्यूबरकुलोसिस के खात्मे के लिए उप्र के सभी 62 मेडिकल कालेज और सभी 75 जिलों में टी.बी. विशेषज्ञों और टी.बी. से सम्बन्धित स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को आनलाईन प्रशिक्षित किया जायेगा। इसके अतिरिक्त नये शोध और नवीन विषयों पर सेमिनार आयोजित कराये जाएंगे।