Breaking News

कन्वोकेशन में रक्षा मंत्री का व्याख्या, बताया भारतीय जीवनशैली व प्रबंधन का महत्व

रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह मिर्जापुर के के बी स्नातकोत्तर महाविद्यालय में शिक्षक थे। उस समय समाज सेवा की व्यस्तता के बाद भी वह अपने क्लास पर पूरा ध्यान देते थे। इसके अलावा वह विद्यार्थीयों को व्यापक दृष्टिकोण के लिए प्रेरित करते थे। आज भी वह जब किसी शिक्षण संस्थान के कन्वोकेशन को संबोधित करते है तो शिक्षक के रूप में ही दिखाई देते है।

लखनऊ के जयपुरिया स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के कन्वोकेशन से भी यही प्रमाणित हुआ। इसको शिक्षा की प्राप्ति केवल निजी हितों के लिए नहीं होती, बल्कि इसमें समाज और राष्ट्र का हित भी समाहित होना चाहिए। तभी शिक्षा सार्थक होती है। राजनाथ सिंह ने आज वीडियो के माध्यम से संबोधित किया। उन्होंने कहा कि कोरोना ने पूरे परिवेश को ही बदल दिया है। इसका प्रभाव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पड़ रहा है।

ऑनलाइन क्लास, बेबीनार,कनवोकेशन इसी बदलाव के प्रतीक है। अनेक धनी देशों के पास बहुत संसाधन है। इसके बाबजूद वह कोरोना से बहुत अधिक प्रभावित है। उनको इसके मुकाबले की रणनीति ही समझ नही आ रही है। भारत धनी देश नहीं है,विकसित देशों की तरह हमारे पास संसाधन भी नहीं है। फिर भी भारत उन देशों के मुकाबले से कम प्रभावित है। इसके दो कारण है। एक तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रभावी मैनेजमेंट पर अमल किया। इससे भारत को लाभ मिला। यह सरकार शुरू से ही मैनेजमेंट और टेक्नोलॉजी के प्रयोग को बढ़ावा दे रही है। इस कारण आज संकट का मुकाबला आसान हुआ है। डिजिटल इंडिया के वास्तविक लाभ आज दिखाई दे रहे है। तीस करोड़ जनधन खाते खोले गए थे।

संकट के समय उसमें गरीबों को भरण पोषण भत्ता भेजना संभव हुआ है। इसलिए प्रबंधन और तकनीक को जीवन का हिस्सा बनाना होगा। इसके बल पर भारत विश्व का नेतृत्व कर सकता है। क्योंकि कोरोना ने विश्व का परिदृश्य बदल दिया है। इसमें केवल भारत ने ही सर्वाधिक कुशलता का परिचय दिया है। इसलिए विश्व भारत की तरफ देख रहा है। आज भारत की जीवन शैली और मान्यताएं ही सर्वाधिक अनुकरणीय प्रमाणित हो रही है।

भारत में अभिवादन के लिए हाँथ मिलाने की नहीं नमस्कार करने की परंपरा रही है। आज विश्व इसको स्वीकार कर रहा है। विश्व के नेता अभिवादन के लिए नमस्कार कर रहे है, अपने यहां के लोगों को इसके लिए प्रेरित कर रहे है। हमारे यहां जो खानपान दादी नानी बताती थी,आज उसे वैज्ञानिक माना जा रहा है। लेब्रोटरी में उनको मानव के लिए लाभप्रद प्रमाणित किया। भारत के योग को आज दुनिया स्वीकार कर रही है। काढ़ा, हल्दी आदि सबके प्रति दुनिया की जिज्ञाषा बढ़ी है। इसलिए आधुनिकता के साथ ही हमको अपनी प्राचीन विरासत का महत्व समझना होगा। इसमें ही मानवता का कल्याण समाहित है। इसी के बल पर आज की परिस्थिति का मुकाबला किया जा सकता है। भविष्य की योजना का निर्माण किया जा सकता है।

इस ऑनलाइन कन्वोकेशन में दिवाकर त्रिपाठी,डॉ बी.एन. सिंह, डॉ.राघवेंद्र शुक्ल रूप कुमार शर्मा, आर.डी. मौर्य, आलोक मिश्र, डॉ.बीआर सिंह सिंह, अमित शर्मा, आर. के. पाल, विनोद तिवारी, जितेंद्र पांडेय नन्दिनी मिश्रा, अर्चना अग्रवाल सहित कई सदस्य शामिल रहे। आडिटोरियम में फिजिकल डिस्टेनसिंग का पालन किया गया। जयपुरिया इंस्टिट्यूट की ओर से दिवाकर त्रिपाठी, डॉ. बीएन सिंह और डॉ. राघवेंद्र शुक्ला को सम्मानित किया गया।

About Samar Saleel

Check Also

लघु उद्योग भारती ने मनाया अपना 30 वां स्थापना दिवस

लखनऊ। लघु उद्योग भारती सूक्ष्म लघु उद्योगों का एक मात्र अखिल भारतीय संगठन है। “उद्योग ...