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आपदा प्रबंधन के प्रयास

पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव प्रक्रिया चल रही है। इस पर कोरोना की तीसरी लहर का प्रभाव है। चुनाव आयोग ने जनसभाओं व रैलियों पर लागू प्रतिबंध को आगे बढ़ाया है। परिस्थितियों को देखते हुए यह निर्णय उचित है। डिजिटल इंडिया में आमजन तक अपनी बात पहुंचाना पहले की अपेक्षा सुगम है। चुनाव आयोग का नियम सभी राजनीतिक पार्टियों पर समान रूप से लागू है।

इसलिए इसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इस समय कोरोना की तीसरी लहर से लोगों को सुरक्षित रखना सर्वोच्च प्राथमिकता है। प्रतिबन्धों व दिशा निर्देशों के अनुरूप चुनाव भी संम्पन्न हो सकते है। चुनाव आयोग इस दिशा में प्रयास कर रहा है। मतदान के समय भी विशेष दिशा निर्देश आवश्यक हो सकते है। जिससे जोखिम उठाये बिना मतदान करना सुनिश्चित हो सके। चुनाव प्रक्रिया के साथ कोरोना आपदा प्रबंधन पर ध्यान देना अपरिहार्य है। उत्तर प्रदेश सरकार इसके दृष्टिगत प्रयास कर रही है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर यात्रा के दौरान इसका सन्देश दिया। वह मकर संक्रांति पर गोरक्ष धाम की विशेष पूजा में सहभागी हुए। अपने प्रवास के शेष समय उन्होंने कोरोना के दृष्टिगत स्वास्थ्य सुविधाओं का जायजा लेते रहे। अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। उन्हें दिशा निर्देश दिए। योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में बीआरडी मेडिकल कॉलेज के पांच सौ बेड के कोविड अस्पताल के कण्ट्रोल रूम,ऑक्सीजन प्लाण्ट एवं माइक्रो बायोलॉजी लैब का निरीक्षण किया। उन्होंने लखनऊ में भी केजीएमयू अस्पताल में व्यवस्था का जायजा लिया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने कोरोना प्रबन्धन एवं नियंत्रण के लिए किए जा रहे कार्यों की जानकारी प्राप्त की।

योगी अदित्यनाथ ने कहा कि पूरी दुनिया के विशेषज्ञों के अनुसार वैक्सीन कोविड से बचाव का सर्वोत्तम उपाय है। सभी लोग कोविड टीके की दोनों डोज अवश्य लगवाएं। साठ वर्ष से अधिक उम्र के गम्भीर बीमारी से ग्रसित बुजुर्गों के लिए बूस्टर डोज तय की गई है। इसकी सुविधा हर जनपद में उपलब्ध करायी गई है। प्रदेश में कोविड वैक्सीन की बाइस करोड़ से अधिक डोज लगाई जा चुकी हैं। प्रदेश के सभी पचहत्तर जनपदों में कोविड टेस्ट और इलाज की व्यवस्था है। वर्तमान में प्रदेश की प्रतिदिन चार लाख कोविड टेस्ट करने की क्षमता है। लेवल वन, लेवल टू और लेवल थ्री के पौने दो लाख से अधिक बेड्स उपलब्ध हैं। आज प्रदेश में साढ़े पांच सौ से अधिक ऑक्सीजन प्लाण्ट मौजूद हैं। जिनके माध्यम से प्रदेश को ऑक्सीजन आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने में सफलता प्राप्त हुई है। एण्टीजेन टेस्ट की किट सभी जनपदों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध करायी गई हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत पौने दो वर्षों से देश और दुनिया कोरोना महामारी का सामना कर रही है। जनसंख्या की दृष्टि से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में कोरोना प्रबन्धन एवं नियंत्रण सफलतापूर्वक किया गया है। प्रशासन,हेल्थ वर्कर्स तथा कोरोना वॉरियर्स ने इस सदी की सबसे बड़ी महामारी को नियंत्रित करने में बेहतरीन टीम वर्क का परिचय दिया है। लोगों के जीवन एवं जीविका को बचाया गया है। कोरोना की फर्स्ट वेव तथा सेकेण्ड वेव के अनुभव का लाभ लेकर प्रदेश में थर्ड वेव के प्रसार को रोकने में सफलता प्राप्त हुई है। नया वैरिएण्ट ओमिक्रॉन के रूप में सामने आया है। यह वैरिएण्ट बहुत घातक नहीं है। उन्होंने प्रदेशवासियों से अपील की कि इस वैरिएण्ट से घबराने की आवश्यकता नहीं है। कोरोना वायरस अब कमजोर हो रहा है। लेकिन अभी भी सभी को सावधानी और सतर्कता बरतनी होगी। सावधानी एवं सतर्कता से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सभी लोग कोविड प्रोटोकॉल का अनिवार्य रूप से पालन करें।

प्रदेश में जितने भी कोविड पॉजिटिव मामले आए हैं,उनमें निन्यानबे प्रतिशत मामलों का उपचार घर पर किया जा रहा है। कोरोना पॉजिटिव लोगों को मेडिसिन किट उपलब्ध करायी जा रही हैं। प्रदेश में बहत्तर हजार निगरानी समितियां डोर-टू-डोर सर्वे कर प्रत्येक संक्रमित व्यक्ति को मेडिसिन किट उपलब्ध करा रही हैं। रैपिड रिस्पॉन्स टीम कोविड टेस्ट कार्य को सम्पन्न कर रही हैं। सभी जनपदों में इण्टीग्रेटेड कमाण्ड एण्ड कण्ट्रोल सेण्टर आईसीसीसी सक्रिय हैं। इसके माध्यम से कोविड मरीजों के स्वास्थ्य की नियमित मॉनीटरिंग की जा रही है। कुछ दिन पहले ही योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ के एसजीपीजीआई लखनऊ में छह सौ करोड़ रुपये से अधिक की सात परियोजनाओं का लोकार्पण किया था। लोकार्पित परियोजनाओं में इमरजेंसी मेडिसिन विभाग एण्ड किडनी ट्रांसप्लाण्ट सेण्टर, एडवान्स्ड ब्रॉन्कोस्कोपी लैब,सौ रूम रिसर्च स्टुडेण्ट हॉस्टल, टाइप थ्री के अस्सी नर्स आवास,रोबोटिक एण्ड मिनिमली इनवेज़िव सर्जरी के लिए तीन मॉड्यूलर ऑपरेशन थियेटर,तैतीस केवी विद्युत उपकेन्द्र तथा मरीजों के तीमारदारों की आवासीय व्यवस्था के लिए बावन कक्षों के अतिथि गृह सम्मिलित हैं।

प्रदेश सरकार द्वारा एसजीपीजीआई, लखनऊ में एडवांस्ड पीडियाट्रिक सेण्टर की स्थापना की घोषणा की गई थी। जिसकी लागत लगभग पांच करोड़ रुपये होगी। सरकार इस परियोजना को समयबद्ध तरीके से आगे बढ़ाएगी। पांच वर्ष पहले तक प्रदेश में मात्र बारह मेडिकल कॉलेज थे। वर्तमान प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने का प्रयास किया गया है। आज उसी का परिणाम है कि पचहत्तर जनपदों में से इकसठ जनपदों में मेडिकल संस्थान या मेडिकल कॉलेज के रूप में बन चुके हैं। मेडिकल कॉलेज बनाने का कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। प्रदेश के सीएचसी, पीएचसी,जिला चिकित्सालय व मेडिकल कॉलेज के निर्माण तथा एम्स जैसे दो संस्थान प्रदेश में फंक्शनल हैं।

प्रदेश सरकार ने बेहतरीन कोविड प्रबन्धन करके प्रथम एवं द्वितीय लहर को नियंत्रित करने में सफलता प्राप्त की। कोरोना के दृष्टिगत एसजीपीजीआई के प्रो हेमन्त की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश कोविड प्रबन्धन एक्स्पर्ट ग्रुप तैयार किया गया था। इस ग्रुप ने न केवल संस्थान के लिए बल्कि राज्य के अन्दर मेडिकल टेलीकंसल्टेशन के माध्यम से प्रत्येक मेडिकल संस्थान को इन सुविधाओं के साथ जोड़ने का कार्य किया और इन्हें गाइडेंस प्रदान किया। कोरोना की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बावजूद इमरजेंसी मेडिसिन विभाग एण्ड किडनी ट्रांसप्लाण्ट सेण्टर का निर्माण तीन वर्ष की रिकॉर्ड अवधि में पूरा हुआ।

उन्होंने कहा कि एक सर्वे के मुताबिक प्रदेश में पचास हजार से अधिक मरीजों को डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लाण्ट की जरूरत है, जिसे इस केन्द्र के माध्यम से सरलतापूर्वक पूरा किया जा सकेगा। प्रदेश में लम्बित परियोजनाओं को वर्तमान प्रदेश सरकार ने पूरा करने का कार्य किया है। मेडिकल क्षेत्र को बढ़ावा देने का कार्य किया है। वर्ष 2016-17 में चिकित्सा के लिए मात्र 1,914 करोड़ रुपये का बजट प्राविधान था। वर्ष 2021-22 में 8,128 करोड़ रुपये का किया गया। यूजी, पीजी व सुपर स्पेशियलिटी सीटों को बढ़ाने का कार्य भी किया गया है।

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