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फाइलेरिया की दवा के सेवन के लिए लोगों को करें जागरुक- डीएमओ

• स्वास्थ्य केंद्रों पर मनाया गया एकीकृत निक्षय दिवस, बांटी गई एमएमडीपी किट

• सरसौल ब्लॉक में जिला मलेरिया अधिकारी ने मरीजों की काउंसिलिंग, भ्रांतियां की दूर

कानपुर। जिले में सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर शनिवार को एकीकृत निक्षय दिवस मनाया गया। कार्यक्रम में टीबी के साथ-साथ फाइलेरिया (filariasis), मलेरिया, चिकनगुनिया और कुष्ठ के मरीज की भी जांच की गई। ओपीडी में आने वाले 10 फीसदी मरीजों की बलगम की जांच की गई।

इसके साथ ही जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण इकाई के तत्वधान में स्वयंसेवी संस्था सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के सहयोग से सरसौल ब्लॉक के ग्राम नवोदय नगर और गंगागंज में फाइलेरिया यानी हाथीपांव के मरीजों को रुग्णता प्रबन्धन एवं दिव्यांगता निवारण (एमएमडीपी) किट देकर प्रभावित अंगों की साफ सफाई का तरीका भी बताया गया । पिछले वर्ष लगभग 2500 अधिक एमएमडीपी किट का वितरण किया जा चुका है।

फाइलेरिया

कार्यक्रम में मौजूद जिला मलेरिया अधिकारी एके सिंह ने मरीजों और आशा कार्यकर्ताओं की काउंसिलिंग की। मरीजों की देखरेख को लेकर लगभग 45 एमएमडीपी किट का भी वितरण किया। ग्रामीणों को जागरूक कर फाइलेरिया से बचाव लेकर दवा खाने को प्रेरित किया और कहा की आप फाइलेरिया उन्मूलन में लोगों को दवा खिलाने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने मरीजों से यह जानने का प्रयास किया कि उनके घर में उनके अलावा और किसी को तो फाइलेरिया की शिकायत नहीं है।

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उन्होंने बताया कि प्रभावित अंग को सहारा देकर रखें और उसे ज्यादा देर तक लटका कर रखने से बचें। बेड पर सोते समय पैर की तरफ दो तकिया लगा लें या बेड के नीचे पैर की तरफ ईंट रख कर उसे ऊंचा कर लें। सहायक मलेरिया अधिकारी भूपेंद्र सिंह ने कहा कि मच्छरों से बचाव और साल में एक बार सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान के दौरान फाइलेरिया मरीजों को और जिन्हें फाइलेरिया नहीं है उन्हें भी दवा का सेवन अवश्य करना चाहिए। दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमारी से ग्रसित को छोड़ कर सभी को दवा का सेवन करना है।

फाइलेरिया

पाथ संस्था के रीजनल मैनेजर डॉ अनिकेत कुमार ने एक्सरसाइज कर लोगों को प्रोत्साहित प्रोत्साहित कर नियमित साफ-सफाई कर कैसे पैर को सुरक्षित तथा आराम दे रखा जा सकता है इसकी जानकारी दी। उन्होंने फाईलेरिया प्रबंधन का तरीका बताया जिसको सीफार के जिला समन्वयक प्रसून ने प्रदर्शित कर दिखाया।

बताया कि हाथीपांव के मरीज को सबसे पहले प्रभावित अंग को टब में रखना है और फिर मग से धीरे धीरे पानी प्रभावित अंग पर डालना चाहिए। पानी न तो ठंडा हो और न ही गरम होना चाहिए। इसके बाद साबुन को हाथों में रगड़ कर झाग बना लेना चाहिए और फिर उसी झाग को हल्के हाथों से प्रभावित अंग पर धीरे-धीरे मलना है। इसके बाद धीरे धीरे पानी डाल कर प्रभावित अंग को धोना है। फिर साफ कॉटन से हल्के हाथ से बिना रगड़े अंग को साफ करना है।

फाइलेरिया

अगर प्रभावित अंग कहीं कटा पिटा है तो वहां क्रीम लगाना है। रोजाना ऐसा करने से प्रभावित अंग साफ रहता है और आराम भी मिलता है। साफ सफाई के अलावा मरीज को नियमित एड़ियों के सहारे खड़ा होकर व्यायाम करने की सलाह दी।सरसौल ब्लॉक के हाथीपुर गांव की निवासी धनपति (53) ने बताया कि वह गांव में बने फाइलेरिया मरीज सहायता समूह (पीएसजी) के सदस्य हैं।

उन्होंने बताया की कार्यक्रम में फाइलेरिया से बचाव और व्यायाम के बारे में जानकारी दी गयी। एक बाल्टी, एक टब, एक मग, एक तौलिया, एक साबुन और एक मलहम (क्रीम) दिया गया और इसके प्रयोग के बारे में बताया गया। नियमित साफ सफाई और व्यायाम से काफी आराम मिल रहा है।  इस दौरान स्वास्थकर्मियो सहित फइलेरिया मरीज़ व अन्य लोग उपस्थित रहे।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

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