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बच्चों की खांसी को न करें नजरंदाज, हो सकती है टीबी

• जनपद में कुल 183 बच्चे टीबी से ग्रसित,163 टीबी ग्रसित बच्चों का चल रहा उपचार और 20 हुये स्वस्थ

औरैया. बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता वयस्कों की तुलना बेहद कमजोर होती है। जरा सी लापरवाही से बच्चों में सर्दी, खांसी, एलर्जी बढ़कर टीबी का रूप ले सकती है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ अर्चना श्रीवास्तव ने कहा कि बदलते मौसम में ज्यादातर अभिवावक बच्चों की खांसी को सामान्य खांसी या एलर्जी मानकर जांच कराना उचित नहीं समझते लेकिन यही सामान्य खांसी या एलर्जी टीबी का संकेत हो सकती है। इसी की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत वर्ष 2025 तक देश को क्षय रोग मुक्त बनाने के लिए जनमानस को जागरूक किया जा रहा है।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ अशोक कुमार ने बताया कि बच्चों को यदि दो हफ्ते से अधिक लगातार खांसी, बुखार आ रहा है तो यह टीबी के लक्षण हो सकते हैं। शुरूआत में ही इसे पहचान लिया जाए तो गंभीर समस्या होने से इसे रोका जा सकता है।समस्त सरकारी चिकित्सालयों और स्वास्थ्य केन्द्रों पर निःशुल्क जांच व उपचार की सुविधा उपलब्ध है। जिला कार्यक्रम समन्वयक श्याम कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जनपद में लगातार वयस्कों के साथ बच्चों की भी जांच की जा रही है। इस साल जनवरी माह से जुलाई माह तक करीब 1312 टीबी मरीज चिन्हित किये गये। इसमें 18 वर्ष तक के 183 बच्चे शामिल हैं। इनमें से 163 बच्चों का उपचार किया जा रहा है। करीब 20 बच्चे टीबी को मात दे चुके हैं। श्याम सभी बच्चों से अपील करते हैं की यदि आपको ख़ासी आ रही है तो मास्क का प्रयोग करें जिससे आपके द्वारा यह संक्रमण किसी और बच्चे को न फैले।

साफ़-सफाई व खानपान का रखें ध्यान- खांसते और छींकते समय उनके मुंह पर कपड़ा रखें। बच्चों को प्रोटीन व विटामिन युक्त पौष्टिक आहार, मौसमी फलों और सब्जियों का सेवन अधिक कराएं। पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाएं। विटामिन सी वाले फल जैसे संतरा, नींबू का सेवन अधिक मात्रा में कराएं और साथ में मौसमी सब्जियों का सूप अवश्य पिलाएं। यह सभी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।

बच्चों में टीबी के लक्षण- बार-बार बुखार आना, दो हफ्ते से ज्यादा खांसी आना, वजन न बढ़ना या वजन घटना,सुस्त रहना, भूख न लगना, खांसी में बलगम आना आदि लक्षण है।

इनसे करें बचाव-बारिश में बच्चों को बाहर के खाने से बचाएं, धूल मिट्टी वाले रास्तों से गुजरते वक्त मास्क का इस्तेमाल अवश्य कराएं, अस्थमा से पीड़ित बच्चों को धूल-मिट्टी से बचाकर रखें, बच्चों को घरों में डस्टिंग करते, झाड़ू लगाते समय दूर कर दें।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर 

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