हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते है और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन गणेश चतुर्थी बेहद ही खास मानी जाती है जो कि हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मनाई जाती है।
इस दिन भक्त श्री गणेश की विधि विधान से पूजा करते हैं और उपवास आदि भी रखते है। इस बार गणेश चतुर्थी का पर्व 19 सितंबर को मनाया जाएगा। ऐसे में अगर आप पूजा पाठ और व्रत के साथ ही श्री गणेश स्तोत्र का पाठ भक्ति भाव से करते हैं तो आर्थिक परेशानियों से तुरंत छुटकारा मिल जाएगा तो आज हम आपके लिए लेकर आए है श्री गणेश स्तोत्र।
गणपति स्तुति
ॐ अस्य श्रीऋणविमोचनमहागणपति-स्तोत्रमन्त्रस्य
शुक्राचार्य ऋषिः ऋणविमोचनमहागणपतिर्देवता
अनुष्टुप् छन्दः ऋणविमोचनमहागणपतिप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः।
स्तोत्र पाठ
ॐ स्मरामि देवदेवेशं वक्रतुण्डं महाबलम्।
षडक्षरं कृपासिन्धुं नमामि ऋणमुक्तये॥१॥
महागणपतिं वन्दे महासेतुं महाबलम्।
एकमेवाद्वितीयं तु नमामि ऋणमुक्तये॥२॥
एकाक्षरं त्वेकदन्तमेकं ब्रह्म सनातनम्।
महाविघ्नहरं देवं नमामि ऋणमुक्तये॥३॥
शुक्लाम्बरं शुक्लवर्णं शुक्लगन्धानुलेपनम्।
सर्वशुक्लमयं देवं नमामि ऋणमुक्तये॥४॥
रक्ताम्बरं रक्तवर्णं रक्तगन्धानुलेपनम्।
रक्तपुष्पैः पूज्यमानं नमामि ऋणमुक्तये॥५॥
कृष्णाम्बरं कृष्णवर्णं कृष्णगन्धानुलेपनम्।
कृष्णयज्ञोपवीतं च नमामि ऋणमुक्तये॥६॥
पीताम्बरं पीतवर्ण पीतगन्धानुलेपनम्।
पीतपुष्पैः पूज्यमानं नमामि ऋणमुक्तये॥७॥
सर्वात्मकं सर्ववर्णं सर्वगन्धानुलेपनम्।।
सर्वपुष्पैः पूज्यमानं नमामि ऋणमुक्तये॥८॥
एतद् ऋणहरं स्तोत्रं त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः।
षण्मासाभ्यन्तरे तस्य ऋणच्छेदो न संशयः॥९॥
सहस्रदशकं कृत्वा ऋणमुक्तो धनी भवेत्॥
॥ इति रुद्रयामले ऋणमुक्ति श्री गणेशस्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥