Breaking News

टीबी से डरना नहीं बल्कि बचना है : डॉ. सूर्यकांत

● सीफार के तत्वावधान में ‘टीबी हारेगा-देश जीतेगा’ पर टाक शो आयोजित
● ऑटो चालकों को टीबी के प्रति किया गया जागरूक
● सलाह -ऑटो चलाते समय मास्क जरूर लगायें
● टीबी के लक्षण नजर आयें तो जाँच जरूर कराएँ

लखनऊ। क्षय रोग यानि टीबी को लेकर किसी को भी डरने नहीं बल्कि बचने की जरूरत है। जरूरी सावधानी बरतकर ही टीबी, कोरोना व अन्य संक्रामक बीमारियों को मात दिया जा सकता है । यह बातें स्टेट टास्क फ़ोर्स (क्षय नियन्त्रण) उत्तर प्रदेश के चेयरमैन डॉ. सूर्यकान्त ने सोमवार को स्थानीय एक होटल में सेंटर फार एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के तत्वावधान में ‘ऑटो चालकों के साथ टीबी पर आयोजित एक टाक शो (परिचर्चा) के दौरान कहीं । डॉ. सूर्यकांत ने ऑटो चालकों को सलाह दी कि ऑटो चलाते समय मास्क का जरूर इस्तेमाल करें, यह टीबी, कोरोना समेत कई अन्य संक्रामक बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करेगा।

‘टीबी हारेगा-देश जीतेगा’ पर आयोजित टाक शो के मुख्य अतिथि किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डा. सूर्यकांत ने कहा- मास्क लगाकर जब ऑटो चलाएंगे तो धूल और प्रदूषण से तो बचेंगे ही साथ ही संक्रामक बीमारियों से भी सुरक्षा होगी । सुबह जब ऑटो लेकर घर से बाहर निकलते हैं तो आपका परिवार शाम को आपकी सुरक्षित वापसी का इंतजार करता है। दिन भर सवारियाँ ऑटो में बैठती रहती हैं। ऐसे में यह पता तो ही नहीं होता है कि इनमें कौन सी सवारी किस बीमारी से संक्रमित है। ऐसे में यदि मास्क लगाए रहेंगे तो संक्रामक बीमारियों से बचे रहेंगे।

उन्होंने कहा- टीबी मरीज खाँसता है तो वह करीब 3500 क्षय रोग के जीवाणु हवा में छोड़ता है। यदि आप उनमें से एक भी ड्रॉपलेट के संपर्क में आ जाते हैं तो संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं। इसके अलावा कुपोषण के शिकार, प्रत्यक्ष और परोक्ष धूम्रपान करने वाले, सीलन वाली जगह पर रहने वाले, मलिन बस्तियों में और सूर्य के प्रकाश के अभाव में रहने वालों को टीबी होने की संभावना अधिक होती है । जिन व्यक्तियों की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है उनके टीबी से संक्रमण की गुंजाइश कम होती है।

डॉ. सूर्यकांत ने बताया – दो सप्ताह से ज्यादा समय से खांसी आना, भूख न लगना, वजन कम होना, सीने में दर्द रहना व खांसी में खून का आना, बुखार रहना, रात में पसीना आना आदि टीबी के प्रमुख लक्षण हैं। अगर यह लक्षण किसी व्यक्ति में दिखाई देते हैं तो वह पास के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जांच जरूर कराएं। क्षय रोग की जांच और इलाज सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर निःशुल्क उपलब्ध है। यह ध्यान जरूर रखना है कि इलाज को बीच में छोड़ना नहीं है क्योंकि इससे टीबी गंभीर रूप ले सकती है।

इसलिए दवा को नियमित रूप से चिकित्सक के बताये अनुसार सेवन करना है। इसके साथ ही पोषण के लिए निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज के दौरान 500 रूपये प्रतिमाह मरीज के बैंक खाते में दिए जाते हैं। यदि बच्चे का बैंक में खाता नहीं है तो उसके अभिभावक के खाते में धनराशि भेजी जाती है।

टीबी की दवा का नियमित इलाज करना चाहिए। यदि व्यक्ति एक माह तक नियमित दवा का सेवन कर लेता है तो वह टीबी फैलाने की स्थिति में नहीं होता है । इसके साथ ही टीबी होने का एक कारण तंबाकू या तंबाकू युक्त पदार्थों का सेवन करना भी है। इन उत्पादों के सेवन से कैंसर जैसी बीमारियां भी होती हैं।

इस मौके पर राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के जिला समन्वयक दिलशाद हुसैन ने बताया – टीबी को रोकने के लिए जरूरी है कि इससे बचाव किया जाये। इसीलिए क्षय उन्मूलन में हम सभी को अपनी सहभागिता सुनिश्चित करनी चाहिए। जनपद में 54 डेजिग्नेटिक माईक्रोस्कोपिक सेंटर (डीएमसी) हैं, जहां टीबी की निःशुल्क जांच की जाती है। कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों से प्रश्नोत्तर भी किये गए और उन्हें स्वयंसेवी संस्था जर्मन लेप्रोसी एंड टीबी रिलीफ़ एसोसिएशन (जीएलआरए) द्वारा पुरस्कृत भी किया गया।

इस अवसर पर राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन क्षय कार्यक्रम के सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाईजर अभय चंद्र मित्रा, पब्लिक प्राइवेट मिक्स समन्वयक रामजी वर्मा, सौमित्र मिश्रा व अन्य सदस्य, स्वयंसेवी संस्था जर्मन जीएलआरए से मुसफ़ जैदी और उनकी टीम, वर्ल्ड विजन से अश्विनी मिश्रा, पाथ संस्था से डा. रजनीश त्रिपाठी, सेंटर फॉर हेल्थ रिसर्च एंड इनोवेशन (सीएचआरआई) से सुबोध, लखनऊ ऑटो रिक्शा थ्री वहीलर संघ के अध्यक्ष पंकज दीक्षित, महामंत्री पीयूष वर्मा और सीफार की नेशनल प्रोजेक्ट लीड रंजना द्विवेदी सहित टीम उपस्थित रही।

About Samar Saleel

Check Also

Lucknow University: अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 के कार्यक्रमों का शुभारंभ

Lucknow। लखनऊ विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ योग एंड अल्टरनेटिव मेडिसिन (Faculty of Yoga and Alternative ...