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आर्थिक तंगी से ना हो परेशान, क्षयरोग विभाग के पास है समाधान

• क्षयरोग (टीबी) का कोर्स पूरा करने में ही है समझदारी

• जनपद की 26 टीबी इकाईयों पर मुफ्त इलाज के साथ सही परामर्श उपलब्ध

• निक्षय पोषण योजना के तहत प्रतिमाह मिलती है 500 रूपए की धनराशि

कानपुर नगर। अगर आप क्षय रोगी हैं तो आपके इलाज में आर्थिक तंगी जैसी कोई बाधा नहीं आएगी। इलाज चाहे निजी चिकित्सालय में ही क्यों न करवा रहे हों। बस एक सूचना क्षय रोग केंद्र में दें और आपका पूरा इलाज हो जाएगा।

शर्त बस इतनी है कि टीबी की दवा का कोर्स बीच न छोड़ें और दवा का पूरा कोर्स करें। टीबी के इलाज के दौरान निक्षय पोषण योजना के तहत उचित पोषण के लिए सरकार द्वारा प्रतिमाह ₹500 की राशि भी मुहैया करवाई जाती है।

क्षयरोग

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ एपी मिश्रा ने बताया कि विश्व के कुल टीबी मरीजों में से 23 प्रतिशत मरीज भारत में हैं। टीबी से हर तीन मिनट में 2 व्यक्तियों की मौत हो जाती है और बच्चों में टीबी की बीमारी से करीब तीन लाख बच्चे हर साल स्कूल जाने से वंचित हो जाते हैं। इसलिए चिकित्सक के निर्देशानुसार टीबी की सभी दवाएं बिना अंतराल के लेना अति आवश्यक है।

उन्होंने बताया कि दो सप्ताह या इससे अधिक समय से खांसी आना, खांसी के साथ बलगम आना, बलगम में कभी-कभी खून आना, सीने में दर्द होना, शाम के समय हल्का बुखार आना, वजन का कम होना और भूख न लगना आदि क्षय रोग के लक्षण होते हैं।

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जिला कार्यक्रम समन्वयक राजीव सक्सेना बताते हैं कि टीबी होने पर बिना किसी अंतराल के दवा का कोर्स पूरा करना चाहिये। उनका कहना है की बहुत सारे कारणों से कुछ क्षयरोगी दवा बीच में ही छोड़ देते हैं जिसकी वजह से टीबी और भी ज्यादा गंभीर और कष्टदायी हो जाती है।

क्षयरोग

जिसका इलाज लंबा और इसके मुख्य कारणों में हैं आर्थिक तंगी, घर से अस्पताल की दूरी और शुरूआती महीनों में बेहतर महसूस करने पर। पर अब क्षयरोग विभाग किसी भी कारण को इलाज के आड़े नहीं आने देगा। उन्होंने बताया की यदि कोई क्षयरोगी अपना इलाज निजी संस्थान में ले रहा हो और वह पैसों की कमी या उसके घर की दूरी अस्पताल से ज्यादा होने के कारण इलाज लेने में असमर्थ है तो ऐसे में जरुरत है की वह इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग या क्षयरोग विभाग को दे।

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इस स्थिति में विभाग द्वारा जहां  आपका इलाज चल रहा था वहां मुफ्त दवायें उपलब्ध करवा दी जायेंगी। इसके साथ ही अगर घर से केंद्र क दूरी ज्यादा है तो विभाग द्वारा घर के नजदीक ट्रीटमेंट सप्पोर्टर की नियुक्ति करवाई जायेगी जो घर पर ही दवायें उपलब्ध करवा देगा। उनका कहना है की विभाग का मुख्य उद्देश्य है की क्षयरोग का इलाज पूरा हो और दवा बीच में ना छूटे।

क्षयरोग

इन केंद्रों पर आप बिना किसी झिझक जाकर क्षयरोग के बारे में जानकारी, सही परामर्श और दवायें पा सकते हैं।

  • जिला क्षयरोग केंद्र, दूध वाला बांग्ला, सिविल लाइन्स कमरा नंबर 16
  • एलएलआर अस्पताल, स्वरुप नगर , कमरा नंबर 34
  • एमएल चेस्ट अस्पताल , गोल चौराहा, कमरा नंबर 1
  • केएपीएम अस्पताल , बिरहाना रोड ,कमरा नंबर 10
  • जिला पुरुष अस्पताल, उर्सिला, बड़ा चौराहा, कमरा नंबर 3
  • मां काशीराम संयुक्त चिकित्सालय, रामदेवी, कमरा नंबर 224
  • एसएडी चिकित्सालय, कृष्णा नगर, कमरा नंबर 2
  • चाचा नेहरू अस्पताल, कोपरगंज, कमरा नंबर 5
  • जागेश्वर अस्पताल, चावला चौराहा, डॉट्स रूम
  • रामा मेडिकल कॉलेज, मंधना, डॉट्स रूम
  • लोको अस्पताल, टाटमिल कमरा नंबर 3
  • जलमा इंस्टिट्यूट, घाटमपुर, डॉट्स रूम
  • बीएन भल्ला, बाबूपुरवा, डॉट्स रूम
  • कैंट अस्पताल, कैंट, कमरा नंबर 6
  • ईएसआई आजादनगर, कमरा नंबर 4
  • ईएसआई पांडुनगर,कमरा नंबर 15
  • ईएसआई, के ब्लॉक किदवईनगर, कमरा नंबर 104
  • ईएसआई जाजमऊ,कमरा नंबर 312
  • एसएडी हरजिंदरनगर, डॉट्स रूम
  • सीएचसी बिधनू ,कमरा नंबर 3
  • सीएचसी घाटमपुर, कमरा नंबर 12
  • सीएचसी बिल्हौर,कमरा नंबर 8
  • सीएचसी कल्याणपुर,कमरा नंबर 6
  • सीएचसी सरसौल,कमरा नंबर 16
  • सीएचसी चौबेपुर,कमरा नंबर 9
  • सीएचसी शिवराजपुर,कमरा नंबर 35
  • सीएचसी पतारा,कमरा नंबर 11
  • सीएचसी ककवन,कमरा नंबर 8
  • सीएचसी भीतरगांव,कमरा नंबर 11
  • पीएचसी गुजैनी,कमरा नंबर 2
  • पीएचसी, मेहरबान सिंह का पुरवा, कमरा नंबर 7
  • पीएचसी मझँवान, डॉट्स रूम
  • पीएचसी कथारा, डॉट्स रूम
  • पीएचसी पाली , डॉट्स रूम
  • पीएचसी नरवाल,कमरा नंबर 5
  • पीएचसी बिठूर,कमरा नंबर 5
  • पीएचसी उत्तरीपुरा, कमरा नंबर 6
  • पीएचसी भौंती,कमरा नंबर 2
  • पीएचसी पनकी,कमरा नंबर 3
  • पीएचसी सचेंडी,कमरा नंबर 1
  • पीएचसी हाथीपुर,कमरा नंबर 3
  • पीएचसी मकनपुर,कमरा नंबर 2

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

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