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डॉ रमाकांत क्षितिज की पुस्तक ‘तरीही पुन्हा जगावे’ का हुआ विमोचन

महाराष्ट्र/कल्याण। डॉ रमाकांत क्षितिज के कहानी संग्रह ‘जीवन संघर्ष’ के मराठी अनुवाद ‘तरीही पुन्हा जगावे’ का विमोचन कल्याण पूर्व स्थिति होली होराइजन स्कूल में छात्र-छात्राओं, शिक्षकों, पालकों एवं लेखक डॉ रमाकांत क्षितिज की माता भानुमति तिवारी के कर कमलों द्वारा संपन्न हुआ।

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उल्लेखनीय है कि डॉ क्षितिज के कहानी संग्रह ‘जीवन संघर्ष’ को महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी का मुंशी प्रेमचंद पुरस्कार मिल चुका है। पुस्तक का प्रकाशन आरके पब्लिकेशन मुंबई ने किया है। इस कहानी संग्रह का हिंदी से मराठी अनुवाद अपर्णा देशमुख ने किया है। इस अवसर पर बोलते हुए डॉ रमाकांत क्षितिज ने कहा कि पुस्तक का विमोचन छात्र-छात्राओं शिक्षकों पालकों के हाथों इसलिए करवाया कि ताकि आज डिजिटल दौर में बच्चे युवा लेखन से जुड़े रहे।

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डॉ क्षितिज ने कहा कि उनके हर कार्य में उनके स्कूल के छात्र-छात्राओं, शिक्षकों, मित्रों और पालकों का बहुत प्रभाव है। उस प्रभाव का असर उनके लेखन पर भी पड़ता है। इसलिए छात्र-छात्राओं, पालकों, शिक्षकों के हाथों इसका विमोचन किया गया।

डॉ क्षितिज ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में रहने के कारण, मराठी से उन्हें वही प्यार है, जो उन्हें अपनी मां की भाषा अवधी से है। मराठी भाषा में प्रकाशित इस रचना से उन्हें आत्म संतोष का अनुभव हो रहा है। यह उनके जीवन के लिए विशेष उपलब्धि से काम नहीं है। इस अवसर पर सैकड़ो की संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।

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ज्ञात हो कि डॉ रमाकांत क्षितिज इसके पूर्व कई पुस्तकों का लेखन कर चुके हैं। वे अपनी हर रचना के संबंध में एक ही बात कहते हैं। सारी रचनाए तो कान्हा की है। कान्हा की ही कृपा है कि कुछ रचनाओं का श्रेय उन्हें भी दे देते हैं।” उपस्थित जन समुदाय ने ‘तरीही पुन्हा जगावे’ का स्वागत किया।

डॉ क्षितिज की मराठी कृति की ख़ूब चर्चा हो रही है। डॉ रमाकांत क्षितिज ने अपने गुरूजी डॉ शीतला प्रसाद दुबे, आरके प्रकाशन मुंबई के रामकुमार के साथ साथ अपने परिवार जनों, शुभचिंतको, आलोचको औऱ मित्रों के साथ महाराष्ट्र औऱ अमेठी की धरती के प्रति कृतज्ञता आभार व्यक्त किया।

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