बता दें,के गुजरात में साबरमती रिवर फ्रंट बनाने वाली अहमदाबाद की कंपनी पीएसपी प्रोजेक्ट्स लिमिटेड काशी विश्वनाथ कारिडोर बनाएगी और शुक्रवार को वित्तीय मूल्यांकन के बाद पीएसपी के नाम पर मुहर लग गयी है जो कम्पनी को जनवरी के पहले हफ्ते में काम शुरू करने का निर्देश दिया गया है।
वहीं,करीब 318 करोड़ से 50 हजार वर्ग मीटर में प्रस्तावित कॉरिडोर निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग ने 25 नवम्बर को टेंडर जारी किया था जो 12 दिसम्बर को हुई प्री-बिड मीटिंग में पीएसपी के साथ ही दिल्ली की शापूर्जी पल्लोंजी, हैदराबाद की कम्पनी रामकी इंफ्रास्ट्रक्चर और लखनऊ की कार्वी डाटा ने भी भाग लिया जो 20 दिसम्बर को खोले गए टेंडर में पीएसपी और शापूर्जी के आवेदन मिले।
26 दिसम्बर को दोनों कम्पनियों ने तकनीकी मूल्यांकन में क्वालीफाई कर लिया और शुक्रवार को हुए वित्तीय मूल्यांकन में 10 फीसदी अधिक लागत पर पीएसपी ने जीएसटी के साथ 339 करोड़ रुपये पर क्वालीफाई कर गयी। जबकि दूसरी कम्पनी शापूर्जी ने 423 करोड़ रुपये का खर्च बताया था।
वहीं,मंदिर के सीईओ विशाल सिंह ने बताया कि अनुभवी और कम लागत वाली पीएसपी को फाइनल कर दिया गया है जो जनवरी 2020 के प्रथम सप्ताह से काशी विश्वनाथ धाम का काम विधिवत शुरू होगा और सब कुछ ठीक रहा तो 18 महीने में बाबा का भव्य मंदिर तैयार हो जाएगा। पहले चरण में मंदिर परिसर और दूसरे चरण में गंगा घाट क्षेत्र को विकसित किया जाएगा। तीसरे चरण का काम गंगा तट पर स्थित नेपाली मंदिर से लेकर ललिता घाट, जलासेन घाट और मणिकर्णिका घाट के आगे सिंधिया घाट तक का हिस्सा शामिल है।
काशी विश्वनाथ कारिडोर का शिलान्यास पीएम मोदी ने इसी साल 8 मार्च को किया था। मां गंगा के पावन तट पर स्थित विश्व की प्राचीनतम नगरी काशी के हृदय में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर में आने वाले दर्शनार्थियों हेतु सुगम दर्शन की सुविधा के दृष्टिगत श्री काशी विश्वनाथ धाम की विशाल रचना की जा रही है। जो श्री काशी विश्वनाथ मंदिर को गंगा नदी से जोड़ेगा। ऐतिहासिक रूप से इस मंदिर का जीर्णोद्धार इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होलकर द्वारा वर्ष 1780 में कराए जाने के लगभग 239 वर्षों के उपरांत मां गंगा के आशीर्वाद से श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की महिमा एवं वैभव को और प्रखर करने के लिए वाराणसी के सांसद एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संकल्पित होकर इस नवनिर्माण की आधारशिला रखी है।