सीतापुर। जनपद के गोंदलामऊ ब्लाक ग्राम पंचायत बालपुर में मनरेगा कार्यों के ऑडिट के दौरान ग्रामीणों ने जमकर हंगामा काटा। ग्रामीण ग्राम प्रधान व ग्राम सेवक द्वारा वित्तीय वर्ष 2017-18 में कराए गए वृक्षारोपण, खड़ंजा, नाली व मनरेगा में हुए कार्यों में धांधली का आरोप लगाया। इन आरोपो की जांच कर रही मनरेगा टीम की ऑडिटर प्रेमा देवी ने ऑडिट में पाया कि गांव में स्कूल से डामर रोड तक कुल 440 पेड़ लगा दिखाया गया। जिसमें पेड़ खरीद में के नाम 5120 रुपये नर्सरी संचालक को भुगतान किया गया।
कागजों पर दिखाए गए 440 पेड़
दस्तावेज चेक किए गए तो जोड़ में कुल पेड़ो की संख्या 350 रही। जबकि बिल वाउचर के जोड़ में 3960 रुपये ही आया। ग्रामीणों का आरोप है कि कागजों पर दिखाए गए 440 पेड़ो में एक भी पेड़ मौके पर मौजूद नही है। और तो और पेड़ लगाने के लिए मनरेगा के तहत जिन मजदूरों के जॉब कार्ड का इस्तेमाल किया गया 6 दिन की दिहाड़ी दी गई। उन मजदूरों (छोटेलाल, जोधन आदि) के खाते में कोई भुगतान नही हुआ। इस धांधली पर ग्राम सेवक रणवीर सिंह यादव ने जवाब दिया कि गलती अकेले मेरी नही है। ग्राम प्रधान, ग्राम सचिव और जूनियर इंजीनियर भी इनके लिए जिम्मेदार हैं।
पीएम आवास योजना के द्वारा बनाए गए
खास बात यह है कि ग्राम प्रधान राज कुमारी व सचिव अमरीश कुमार मौके पर उपस्थित नही थे। जिसके कारण ग्रामीणों का आक्रोशित और बढ़ गया। ग्रामीणों ने प्रधानमंत्री आवास योजना के द्वारा बनाए गए प्रधान की जमीन पर बनाए गए आवास पर भी धांधली का आरोप लगाया।
चंद्रपाल को दान में दी जमीन
प्रधानमंत्री मंत्री आवास योजना में गांव के लाभार्थी चंद्रपाल पुत्र केदार को सरकारी आवास के लिए 1 लाख 20 हजार का भुगतान किया गया। जबकि आवास के लिए उसके पास गांव में एक इंच भी जमीन नही थी। प्रधान ने चन्द्रपाल के आवास के पैसे से अपनी जमीन में दुकानें बना ली। इस बात की शिकायत होने पर प्रधान ने अपने आप को बचाने के लिए 100 रुपये के स्टाम्प पेपर पर उतनी जमीन चंद्रपाल को दान में दिया दिखा दिया।
पांच सदस्य ऑडिट टीम चन्द्रपाल के निर्माणाधीन आवास पहुँची। आवास की स्थिति को देख कर टीम को इस बात की पुष्टि हुई कि चंद्रपाल की आड़ में प्रधान ने अपनी दुकान बना ली है। ग्राम प्रधान राजकुमारी के बेटे व ग्राम सेवक रणवीर सिंह यादव इस धांधली की स्वीकार करते हुए कहा कि सरकार इसके लिए जो सजा देगी मंजूर होगा।