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भूलकर भी खाएं कैंसर पेंशट ये विटामिन सप्लीमेंट, वरना बढ़ जायेगा मौत का खतरा…

कोई महिला अगर स्तन कैंसर से जूझ रही है और उसका कीमोथेरेपी का सत्र चल रहा है तो इस दौरान उन्हें भूल से किसी भी विटामिन सप्लीमेंट या एंटीऑक्सिडेंट का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से बीमारी के वापस लौटने और मौत का खतरा 40 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। एक शोध में यह बात सामने आई है कि विटामिन की गोलियों का सेवन करने से कैंसर से मौत का खतरा और बढ़ जाता है।

इलाज में बाधा उत्पन्न करते हैं-
जर्नल ऑफ क्लीनिकल ऑन्कोलॉजी स्टेट में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि डॉक्टरों को मरीजों को कीमोथेरेपी के दौरान किसी भी तरह का सप्लीमेंट लेने से रोक देना चाहिए। शोध सबूत भी मिले हैं कि विटामिन सप्लीमेंट का सेवन कीमोथेरेपी के इलाज के बीच दखलअंदाजी करता है, जिस वजह से मौत का खतरा बढ़ जाता है।

वैज्ञानिकों की मानें तो एंटीऑक्सिडेंट कीमोथेरेपी को कम प्रभावी बना देता है क्योंकि कीमो की दवाइयां हमारे शरीर पर जो असर करती हैं, एंटीऑक्सिडेंट इसका बिलकुल उल्टा असर करते हैं। न्यूयॉर्क स्थित रॉसवेल पार्क कॉम्प्रीहेंसिव कैंसर सेंटर के शोधकर्ता कहते हैं कि कीमोथेरेपी की पूरी प्रक्रिया ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस पर निर्भर है जबकी एंटीऑक्सिडेंट्स, विटामिन ए, सी, ई और बी12, ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को होने से रोक देता है।

ऐसा होने से कैंसर की कोशिकाओं को मारने की कीमोथेरेपी की क्षमता घट जाती है। शोध के अनुसार विटामिन आयरन और बी-12 सप्लीमेंट लेने से बीमारी के दोबारा होने का खतरा 83 फीसदी तक बढ़ जाता है। वहीं मौत होने का खतरा 22 फीसदी तक बढ़ जाता है। वहीं, ओमेगा 3 सप्लीमेंट बीमारी के दोबारा होने का मौत के खतरे को 67 फीसदी तक बढ़ा सकते हैं।

बीमारी के वापस लौटने का खतरा-
इस शोध में शोधकर्ताओं ने 1,134 मरीजों पर अध्ययन किया और छह साल तक मरीजों की निगरानी की गई। इस दौरान शोध में शामिल प्रतिभागियों से सप्लीमेंट्स के इस्तेमाल, उनकी जीवनशैली, आहार और व्यायाम से जुड़ी आदतों के बारे में कई सवाल पूछे गए। इस दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन मरीजों ने कीमोथेरेपी के दौरान एंटीऑक्सिडेंट का सेवन किया उनमें स्तन कैंसर के वापस लौटने का खतरा 41 प्रतिशत तक बढ़ गया। साथ ही उनकी मौत की आशंका भी उन मरीजों की तुलना में 40 प्रतिशत बढ़ गई जिन्होंने सप्लीमेंट का सेवन नहीं किया।

आहार में इन चीजों को शामिल करें-
कीमोथेरेपी के दौरान दी जाने वाले कई तरह की थेरेपी से पोषण की प्रणाली प्रभावित होती है। थेरेपी के साइड इफेक्ट को कम करने के लिए मरीजों को ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक तरीके से उगाए गए भोजन का प्रयोग करना चाहिए। संसाधित आहार नुकसानदेह साबित हो सकता है। दिनभर में पांच से छह बार कम मात्रा में आहार लेना चाहिए। खाद्य पदार्थ में वसा की मात्रा नहीं होनी चाहिए। कम गंध वाले और ठंडे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।

नोट-

  • विटामिन लेने से 83 फीसदी तक बढ़ जाता है कैंसर के दोबारा होने का खतरा।
  • ओमेगा 3 सप्लीमेंट लेने से 67 फीसदी तक बढ़ जाता है मौत का खतरा।

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