कुशीनगर (मुन्ना राय)। क्षेत्र पंचायत पडरौना (Kshetra Panchayat Padrauna) के साखोपार ग्राम (Sakhopaar Gram) पंचायत स्थित कोटेश्वरी माता के स्थान (Koteshwari Mata place) पर इन दिनों नवरात्रि (Navratri) के समय श्रद्धालुओं (Devotees) का तांता लगा रहता है। श्रद्धालुओं का मानना है कि कोटेश्वरी माता।सभी भक्तों की मुरादें पूरी करती हैं।
ग्राम पंचायत सांखोपार में ऊंचे टीले पर यह स्थान है, यहां दो स्थानों पर माता का पिंडी है। एक को कोटेश्वरी माता और दूसरे को काली मां के स्थान के रूप में माना जाता है। इस स्थान के चारों तरफ पोखरा है और टीले पर एक विशाल प्राचीनतम पाकड़ का पेड़ है। इसके अलावा पीपल, नीम, बेल, आम, साखू, सागौन, अमरूद, कटहल, आंवला, जामुन और चारों तरफ कांटबास का पेड़ है। टीले पर ही एक प्राचीन कुआं है।
दो दशक पहले समाजसेवी स्वर्गीय विजय प्रताप नारायण सिंह ने यहां सीढ़ीऔर पुल का निर्माण कराया था, जिससे रास्ता सुगम हो गया। अन्यथा बरसात में बांस का अस्थाई पुल बनाकर आवागमन होता था। रैकवार क्षत्रिय वंश के लोग इन्हें अपना कुल देवी मानते हैं। यहां चैत्र राम नवमी के दिन बलि देने की प्रथा सदियों से चली आ रही है। क्षेत्र की महिलाएं बड़ी संख्या में पहुंचती हैं और हलुआ पुड़ी बनाकर माता को चढ़ाती हैं।
क्षेत्र के लोगों की अटूट आस्था साखोपार वाली कोटेश्वरी माता से है। यहां मुंडन संस्कार और नए वाहन की भी पूजा कराने की परंपरा है। नवरात्रि के समय इस स्थान में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है और इस स्थान की शोभा देखते ही बनती है।