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ज्ञान परंपरा के अनुरूप शिक्षा

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

दुनिया में जब मानव सभ्यता का विकास नहीं हुआ था,उस समय भारत में विकसित शिक्षा प्रणाली की स्थापना हो चुकी थी। उस समय यहां के गुरुकुल केवल शिक्षा ही नहीं अनुसन्धान शोध व अविष्कार के केंद्र हुआ करते थे। इनमें अनेक विषयों का समावेश था। इन्हीं के बल पर आगे चल कर भारत विश्वगुरु बना। दुनिया के लोग यहां ज्ञान प्राप्त करने आते थे।

इसी संदर्भ में राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान की सनातन परम्परा तथा मूल्यपरक शिक्षा को बढ़ाने की बात कही गई है। क्योंकि किसी भी देश के विकास में मानव संसाधन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अगर हमारे विश्वविद्यालयों में चरित्रवान व्यक्ति का निर्माण हो तो निश्चित रूप से सामाजिक जीवन के विविध क्षेत्रों में एक मानक और प्रतिमान स्थापित होगा। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के आलोक में विश्वविद्यालयों ऐसे पाठ्यक्रम का निर्माण करें जिससे अध्ययन के लिये विषयो के रचनात्मक संयोजन को सक्षम बनाने में बढ़ावा मिले।

श्रृृंगवेरपुरधाम का सन्देश

श्रृृंगवेरपुर जैसे आश्रम व गुरुकुल शिक्षा व ज्ञान के महान केंद्र हुआ करते थे। आनन्दी बेन ने श्रृृंगी ऋषि आश्रम,निषाद राज मंदिर तथा श्रृृंगवेरपुर धाम तट पर भी पूरी विधि विधान एवं मंत्रोच्चार के साथ पूजन व माँ गंगा की आरती की। राज्यपाल ने राम शयन आश्रम व अन्य ऐतिहासिक व धार्मिक स्थलों का भ्रमण कर उसके महत्व के बारे में जानकारी प्राप्त की तथा उन्होंने श्रृृंगवेरपुरधाम का सचित्र परिदृृश्य का लोकापर्ण किया।

सकारात्मक मनोवृत्ति

कुलाधिपति ने कहा कि विद्यार्थी सर्वगुण सम्पन्न जनशक्ति बनकर प्रदेश और देश के लिये महत्वपूर्ण योगदान करें। जीवन में विद्यार्थी का लक्ष्य स्पष्ट होना चाहिये और उस लक्ष्य की प्राप्ति के लिये निरन्तर प्रयास करते रहना चाहिये। क्योंकि कठिन परिश्रम, सहनशीलता, आत्मविश्वास और सकारात्मक मनोवृत्ति से कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है। विद्यार्थियों को चुनौतियों और बाधाओं के सामने बिना झुके आगे बढ़ते रहना चाहिये। सफलता तभी मिलती है,जब कार्य को दक्षतापूर्वक पूरा करने की क्षमता हो। राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने प्रो राजेन्द्र सिंह राज्जू भय्या विश्वविद्यालय प्रयागराज के तीसरे दीक्षांत समारोह में उपाधि वितरण के बाद विद्यार्थियों को संबोधित किया।

शिक्षा में गुणवत्ता

राज्यपाल ने शिक्षा में गुणवत्ता को अपरिहार्य बताया। कहा कि किसी विश्वविद्यालय की वास्तविक पहचान गुणवत्तापूर्ण पठन पाठन और उच्च स्तरीय सोच से होती है। उन्होंने कहा भारत सरकार द्वारा शिक्षा को प्राथमिकता के आधार पर 2035 तक सकल नामांकन अनुपात पचास प्रतिशत तक करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है ताकि अधिक से अधिक लोगों तक उच्च शिक्षा का प्रचार-प्रसार सुलभ हो सकें। विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में अनिवार्य रूप से सामुदायिक जुड़ाव और सेवा, पर्यावरण शिक्षा और मूल्य आधारित शिक्षा को शमिल किया जाना चाहिए।

कौशल विकास

सरकार युवाओं के लिए कौशल विकास कार्यक्रम संचालित कर रही है। इसके माध्यम से उनको स्वावलंबी बनाया जा रहा है। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों द्वारा कराये जा रहे अनुसन्धान में इन्टर्नशिप के अवसर उपलब्ध होने चाहिए। जैसा कि नई शिक्षा नीति में स्थानीय उद्योग,व्यवसाय, कलाकार, शिल्पकार आदि के साथ इन्टर्नशिप और शोधार्थियों के साथ शोध इन्टर्नशिप करने का प्रावधान है।

इससे छात्र छात्राएं सक्रिय रूप से अपने सीखने के व्यवहारिक पक्ष के साथ जुड़ेगे और स्वयं के रोजगार की सम्भावनाओं को भी बढ़ा सकेंगे। बजट में सरकार ने न केवल अच्छी शिक्षा पर फोकस किया बल्कि लोगों के कौशल में निरन्तर वृृद्धि होती रहे इसके लिए कई घोषणाएं की है। विश्वविद्यालयों इसका लाभ उठायें और देश को आत्मनिर्भर बनाने योगदान दें। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में भारत सरकार कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय के मंत्री महेन्द्र नाथ पाण्डेय, उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा भी उपस्थित रहे।

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