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अभिभावकों पर भारी पड़ रही बच्चों की शिक्षा

शिक्षा एक ऐसा शब्द है जो हर क्षेत्र के लिए महतवपूर्ण है,आज बहुत विचार करने के बाद ये पता चला की शिक्षा भी अब एक सामाजिक विषय बन चुका है, जिसमे तरह तरह की राजनीति  और भ्रष्टाचार शामिल हो चुका है,जिसमे की हमारे समाज का हर वह आम आदमी पिस रहा है जिसका एक छोटा सा सपना है कि उसके बच्चे का भविष्य उज्वल हो। शिक्षा का अधिकार हर बच्चे का होता है,परन्तु हमारे समाज के कुछ ऐसे लोग है जिन्होंने शिक्षा को भ्रष्टाचार की भेट चढ़ा दिया है, जिसके फलस्वरूप निचले तबके के बच्चे या फिर माध्यम वर्ग के बच्चो को उचित शिक्षा नहीं मिल पा रही है जिससे अभिभावकों को परेशानियों का सामना करना पढ़ रहा है,हर अभिभावक अब मन में यही सोचता है की कैसे वह अपने बच्चे को उचित शिक्षा प्रदान करे,इस चिंताजनक विषय को सुधारना हमारा नैतिक एवं सामाजिक कर्तव्य बनता है। आज हमारे समाज का सबसे बड़ा एवं अहम्  मुद्दा जो है वह है बच्चो की फीस वृधि का और पुस्तकों के बढ़ते दामो का। हर विद्यालय  अपने हिसाब से मनमानी फीस अभिभावकों से वसूल रहे है अभिभावकों पर दबाव दाल रहे है कि बढ़ी हुई फीस दे या तो अपने बच्चे का एडमिशन कही और कराये और अगर कुछ अभिभावक दबाव वश उनकी ये डिमांड पूरी कर पाते है तो एक अन्य डिमांड स्कूल वाले रख देते है की पुस्तके उनके बताये हुए स्थान से ही ले ताकि विद्यालय को हर तरफ से मुनाफा मिल सके.ये विषय चिंता का विषय इस लिए बनता जा रहा है क्यूंकि हर अभिभावक स्कूल वालो की हर मुराद पूरी नहीं कर सकता जिसके फलस्वरूप अभिभावक भी आन्दोलन करने लगे है।

इस चिंताजनक विषय को सुधरने का ब्यौरा हमारे समाज का ही बनता है, क्यूंकि बच्चे हमारे समाज की महतवपूर्ण नीव होते है और जब नीव मजबूत होगी तब ही सभ्य समाज की स्थापना होगी,इस महतवपूर्ण कार्य को पूरा करने का ज़िम्मा हमारे समाज के कुछ विशेष लोगो ने उठाया है उनको विशेष करके इसलिए संबोधित कर रहा हु क्यूंकि जो ऐसा कार्य करने का बीड़ा उठाता है वो समाज में अलग ही दिखता है।

अभिभावकों और शिक्षको के इस आन्दोलन की मुहीम को आगे बढाया हमारे समाज की एक संस्था ने जो कई वर्षो से समाज सेवा में योगदान कर रही है,इस संस्था का नाम मानवाधिकार सुरक्षा एवं संरक्षण आर्गेनाइजेशन है, ये संस्था बहुत समय से इस चिंताजनक विषय के बारे में रूप रेखा तैयार कर रही थी, एवं इसके बाद मानवाधिकार सुरक्षा एवं संरक्षण आर्गेनाईजेशन के द्वारा निजी स्कूलों में छात्रों के अभिभावकों के साथ शोषण किये जाने व् विद्यालयों को अनियमित ढंग  से चलने के विरोध मे इस संस्था ने एक आन्दोलन करने का विचार बनाया इस संस्था के प्रमुख श्री तपन अग्निहोत्री जी ने अपनी संस्था के सभी प्रमुख पदाधिकारियों के सामने एक प्रस्ताव रखा की इस मुहीम को माननीय मुख्यमंत्री के सामने रखे और इस गंभीर समस्या से सभी अभिभावकों को निदान पंहुचा सके। श्री अग्निहोत्री जी ने संस्था के साथ मिलकर एक आन्दोलन की रूपरेखा तैयार की जिसकी तारिख सुनिश्चित की गयी 22-04-17 ,इस आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य निजी स्कूलों की मनमानी फीस को रखा गया और कानपुर के नानाराव पार्क से जिलाधिकारी कार्यालय तक शांति मार्च निकला गया।  शांतिमार्च में भारी संख्या में अभिभावक मौजूद रहे और शान्ति मार्च में बहुत गर्मी के बाबजूद महिलाओ और बच्चो ने बढ़ चढ़ कर हीस्सा लिया इस मौके पर जिला अधिकारी को मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन सौपा गया। इस ज्ञापन में निजी स्कूलों की ओर से की जा रही मनमानी व् जमा कराये जाने वाले मासिक शुल्क,प्रवेश शुल्क,परीक्षा शुल्क इत्यादि एवं अन्य मदों के शुल्को को लेकर जांच करने की मांग की गयी। विभिन स्तरों पर अभिभावकों की कई शिकायते आ चुकी है,अभिभावकों का कहना है की स्कूल प्रशासन फीस वृधि के नाम पर अपने स्कूल के खर्चे पुरे करती हैजैसे की किताबो का खर्च,यूनिफार्म, मेस या कैंटीन का खर्चा,एवं बिजली आदि की व्यवस्था आदि सारे खर्चे स्कूल प्रशासन अभिभावकों से ही वसूलती है।

मानवाधिकार सुरक्षा एवं संरक्षण आर्गेनाईजेशन के महामंत्री तपन अग्निहोत्री ने बताया कि विद्यालय मासिक शुल्क में प्रत्येक वर्ष बिना किसी मानक के वृद्धि कर अभिभावकों का शोषण किया जाता है। अभिभावकों द्वारा ना दे पाने की स्थिति में उन पर फाइन लगा दिया जाता है। यह आचरण पूर्णतया नियम के विरुद्ध है एवं शोषण को बढ़ावा देने वाला है। मासिक शुल्क के अतिरिक्त अन्‍य शुल्‍क जैसे की प्रवेश शुल्क, भवन मेंटेनेंस शुल्क, पुस्तकालय  शुल्क, कंप्यूटर शुल्क, क्रीडा शुल्क, परीक्षा शुल्क आदि में भी प्रत्येक वर्ष बढ़ोतरी करके अग्रिम में वसूला जाता है। प्रवेश शुल्क स्कूलों द्वारा कक्षा 1 से 12 तक कई बार लिया जाता है, जैसे कक्षा एक से कक्षा पांच तक पढ़ने के बाद कक्षा 6 में दोबारा प्रवेश शुल्क लिया जाता है। वैसे ही कक्षा नौ में उसके बाद कक्षा 11 में प्रवेश के नाम पर पुनः प्रवेश शुल्क वसूला जाता है।

श्री तपन अग्निहोत्री जी का कहना है की इस आन्दोलन में अभिभावकों ने भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया हर अभिभावक का सिर्फ एक उद्देश्य था की उनका ही नहीं बल्कि हर बच्चा निजी स्कूलों की इस मनमानी से निजात पा सके.श्री तपन जी का कहना है की इस आन्दोलन को वह तब तक जारी रखेंगे जब तक हर बच्चा इस समस्या से निजात न पा ले और हर अभिभावक इस चिंता से मुक्त हो जाये की वह अपने बच्चे की शिक्षा कैसे पूरी कराये.कार्क्रम में वशेष तौर पर संस्था के रास्ट्रीय महा मंत्री श्री तपन अग्निहोत्री,मण्डल के वरिष्ठ उपाअध्यक्ष रामू प्रजापति कानपुर प्रभारी विनोद वर्मा जी तहसील अध्यक्ष योगेश अग्निहोत्री दिलिप सिंह बिष्ट, अशोक यादव, सत्य नारायण, एस०के० निगम, संजय सोनी, , राज कुमार,, सुरेश सिंह, अविनाश, राजेश, लालता प्रसाद, प्रकाश वर्मा, अरविन्द, संजय, अभिजीत, नन्द किशोर, रिशी प्रकाश, अर्पित, विजय निगम, विजय, संजय गौतम,  दीपक भारतीय, जितेन्द्र बाल्मीकि, आशीष सिंह, अल्का यादव, सिमरन साहू, आदित्य, मो० शकील, जय प्रकाश, मैकू लाल खोटे, इन्द्र पाल, राज कमल, पूनम वर्मा, प्रीति सिंह, रोशनी गुप्ता, बेगम शाहनाज, बेगम बल्ली, शिव कान्ती, पूनम सक्सेना, शान्ति देवी आदि लोग मौजूद रहे।

रिपोर्ट: योगेश अग्निहोत्री कानपुर

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