रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
कोरोना आपदा के कारण कई प्रकार के प्रतिबंध अपरिहार्य है। इसके बाद भी शैक्षिण, सामाजिक आर्थिक आदि क्षेत्रों में प्रगति के प्रयास भी किये जा रहे है। इसी को आपदा में अवसर का नाम दिया है। कोरोना संकट ने सामाजिक व्यस्तताओं और संचार पर कई प्रतिबंध लगा दिए हैं। ऐसे में सीखने और विकास पर विचार हेतु केवल एक नए मंच की आवश्यकता है। इसके दृष्टिगत प्रो.पूनम टंडन, प्रमुख, भौतिकी विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय ने एक वेबिनार आयोजित किया। जिसमें वरमोंट, संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रोफ़ेसर माइकल टी. रग्गिएरो द्वारा बल्क मटेरियल फंक्शन को समझने के लिए टेराहर्ट्ज़ कंपनेशनल स्पेक्ट्रोस्कोपी का उपयोग विषय पर चर्चा की गई।
दुनिया के सौ से अधिक प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों और शोध छात्रों ने इस ई सेमिनार में भाग लिया है। इसमें प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रो. रग्गिएरो ने अपने व्याख्यान में टेराएर्ट्ज़ स्पेक्ट्रोस्कोपी और ठोस सामग्री में इसके अनुप्रयोग के विषय पर विचार व्यक्त किया। कहा कि सामग्री का प्रदर्शन वास्तव में इसकी थ्रीडी संरचना, आणविक विरूपण और आणविक गतिशीलता कैसे सामग्री के गुणों को समझने में मदद करता है। उस पर निर्भर करता है।
प्रो. माइकल ने संचार, दवा लक्षण वर्णन,यांत्रिक माप और कई और अधिक के लिए टेराहर्ट्ज़ स्पेक्ट्रोस्कोपी के अनुप्रयोग पर प्रकाश डाला। टेराहर्ट्ज़ स्पेक्ट्रोस्कोपी सबसे आधुनिक नई स्पेक्ट्रोस्कोपिक तकनीकों में से एक है जो फोटोवोल्टिक लक्षण वर्णन, दवा परीक्षण, सुरक्षा जांच, बायोमेडिकल,खगोल विज्ञान, तेल रिसाव लक्षण वर्णन, फार्मास्युटिकल और गुणवत्ता नियंत्रण सहित कई क्षेत्रों में एप्लिकेशन ढूंढती है।
टेराएर्ट्ज शासन में अनुसंधान में घातीय वृद्धि के साथ, हम समाज में टेराहर्ट्ज प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग में और अधिक प्रगति की आशा करते हैं। इस स्थिति में लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा किए गए प्रयासों को काफी सराहना मिली है। प्रख्यात वैज्ञानिकों द्वारा दिए गए इस तरह के व्याख्यान से शोधकर्ता बेहद लाभान्वित होते हैं।