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2 मार्च को आने वाले है त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय के चुनाव नतीजे, जाने पूरी खबर

त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय के चुनाव नतीजे 2 मार्च को आने वाले हैं। उससे पहले सोमवार को एग्जिट पोल के अनुमान जरूर आ गए हैं, जिनमें त्रिपुरा और नागालैंड में भाजपा सरकारों की वापसी की बात कही गई है।

लेकिन मेघालय में मैच फंसता दिख रहा है, जहां एनपीपी बहुमत से दूर रह सकती है तो वहीं भाजपा को 10 से कम सीटें ही मिलने का अनुमान है। तीनों ही राज्यों में विधानसभा की 60 सीटें हैं और इन सभी में भाजपा को 2014 के बाद से ही विस्तार मिला है। खासतौर पर त्रिपुरा में तो भाजपा ने 35 साल के कम्युनिस्ट शासन का अंत करके 2018 में सत्ता हासिल की थी।

भाजपा को तब 36 सीटें मिली थीं। इस बार अनुमान है कि उसे 36 से 45 तक सीटें मिल सकती हैं। साफ है कि इस बार भाजपा बीते चुनाव के आंकड़े को भी पार कर सकती है। यदि नतीजे ऐसे ही रहते हैं तो यह भाजपा के लिए बड़ी खुशखबरी होगी। 2023 में इन तीन राज्यों के चुनावों के बाद मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और कर्नाटक जैसे राज्यों के भी इलेक्शन होने हैं। भले ही ये तीनों राज्य छोटे हैं, लेकिन यहां मिली चुनावी सफलता पार्टी के लिए बूस्ट जरूर होगी। ये इस बात का संकेत हो सकता है कि भाजपा के 2023 में भी अच्छे दिन रहेंगे और वह विनिंग मोड में 2024 के आम चुनाव में उतरेगी।

पीएम नरेंद्र मोदी, अमित शाह और सीएम योगी आदित्यनाथ जैसे नेताओं को भाजपा ने जिस तरह चुनाव मैदान में उतारा था, उससे पता चलता है कि वह चुनाव को लेकर कितनी गंभीर थी। वहीं सीपीएम ने पूर्व सीएम माणिक सरकार के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा था। हालांकि सीपीएम और कांग्रेस गठबंधन से कहीं ज्यादा मजबूत तिपरा मोथा दिखा है, जिसे 16 सीटें तक मिलने के अनुमान लगाए जा रहे हैं। कांग्रेस ने भले ही त्रिपुरा में इलेक्शन लड़ा, लेकिन वह पहले ही कमजोर नजर आई। सिर्फ 13 सीटों पर ही कैंडिडेट उतारे और सीनियर नेता प्रचार से ही दूर रहे। इस तरह भाजपा लगातार ऐक्टिव मोड में है और यह चुनावी सफलता उसे और उत्साहित कर सकती है।

खासतौर पर त्रिपुरा की जीत भाजपा के लिए अहम होगी, जहां वह कांग्रेस और सीपीएम के गठबंधन को हराकर देश भर में संदेश देना चाहेगी। अनुमान है कि कांग्रेस और सीपीएम गठबंधन को 6 से 12 सीटें ही मिल सकती हैं। ऐसे में भाजपा के लिए यह जीत गुजरात जैसी ही प्रचंड होगी। एक ऐसे राज्य में जहां सीपीएम 35 सालों तक सत्ता में रही हो, वहां भाजपा को फिर से बंपर बहुमत मिलना साबित करेगा कि उसकी 2018 की जीत कोई संयोग नहीं थी। फिर इस बार का चुनाव तो उसके लिए भरोसा जमाने वाली बात होगी।

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