लखनऊ। केंद्र सरकार एनपीआर लागू कर रही है लेकिन सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक रूप से पिछड़ी जातियों, दलितों की गणना कराने से परहेज कर रही है, जिसका राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी(एनसीपी) द्वारा व्यापक स्तर पर विरोध किया जा रहा है यह जानकारी देते हुए एनसीपी के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष उमाशंकर यादव ने देश के राष्ट्रपति से मांग की है कि देश में आगामी एनपीआर में जातिगत जनगणना का कॉलम अवश्य रखें, ताकि किस की कितनी आबादी है यह पता चले और उस लिहाज से भारत सरकार योजना बनाकर सभी के मुख्यधारा में लाने का काम कर सके।
इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि देश में जल्द से जल्द जातिगत जनगणना कराई जाए और जातिगत गणना को देश में सार्वजनिक किया जाए। उन्होंने आगे कहा कि देश में इस वक्त जानना जरूरी है कि किसकी कितनी आबादी है। उस लिहाज से केंद्र सरकार योजना बनाएं ताकि उन वर्गों के जरूरतमंदों तक फायदा मिल सके। ऐसा करना देश के हित में होगा। तभी समाज के अंतिम पायदान पर खड़े नागरिकों को योजनाओं का लाभ मिल सकेगा। उन वर्गों को सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक रूप से उचित भागीदारी मिल सकेगी। अगर जातीय गणना भारत सरकार एनपीआर में नहीं कराएगी तो, एनसीपी धरना प्रदर्शन के लिए बाध्य होगी।