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ई-अपशिष्ट प्रबंधन के लिए इनोवेटिव वैल्यू चेन ई-सफाई की स्थापना

नई दिल्ली। आरएलजी इंडिया और डॉयचे गेसेलशाफ्ट फर इंटरनेशनेल जुसामेनरबीट (जीआईजेड) जीएमबीएच – जर्मन सरकार की ओर से संघीय स्वामित्व उपक्रम – संयुक्त रूप से “ई-अपशिष्ट प्रबंधन के लिए अभिनव मूल्य श्रृंखला की स्थापना” शीर्षक से तीन वर्षीय डेवलपमेंट पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप को कार्यान्वित कर रहे हैं, इस पहल को “ई-सफाई” का नाम दिया गया है। इस परियोजना का उद्देश्य भारत में ई -वेस्ट मैनेजमेंट के लिए टेक-बैक या एक्सचेंज प्रोग्राम को बढ़ावा देना है।

  • भारत में ई-अपशिष्ट प्रबंधन के लिए टेक-बैक या एक्सचेंज कार्यक्रमों के संभावित योगदान पर कार्यशाला

कई कंपनियां उपभोक्ताओं से उत्पादक उत्तरदायित्व संगठनों [प्रोड्यूसर रिस्पांसिबिलिटी ओर्गनइजेशंस (पीआरओ)] और ई-कचरे के पुनर्चक्रण के औपचारिक रिसाइक्लर्स तक ई -कचरे को पहुँचाने के लिए टेक-बैक या एक्सचेंज कार्यक्रमों के पक्ष में हैं।

ये कार्यक्रम कंपनियों के लिए विपणन रणनीतियों के रूप में भी काम करते हैं क्योंकि ग्राहकों को ई-कचरे के बदले डिस्काउंट कूपन प्रदान किए जा सकते हैं जिनका उपयोग नई इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं की खरीद के लिए किया जा सकता है। ई-सफाई परियोजना का मुख्य उद्देश्य टेक-बैक तंत्र के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना है और यह समझाना है कि ये कार्यक्रम सभी के लिए एक स्वस्थ वातावरण के निर्माण में कैसे योगदान दे सकते हैं।

आरएलजी इंडिया और जीआईजेड ने “भारत में ई-कचरा प्रबंधन के लिए टेकबैक या एक्सचेंज प्रोग्राम के संभावित योगदान (“पोटेंशियल कॉन्ट्रिब्यूशन ऑफ़ टेक बैक ऑर एक्सचेंज प्रोग्राम्स फॉर ई -वेस्ट मैनेजमेंट इन इंडिया”) पर एक वर्चुअल वर्कशॉप का आयोजन किया। कार्यशाला में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अधिकारियों और उद्योग के प्रतिनिधियों सहित प्रमुख हितधारकों के इनपुट शामिल थे। ब्रांड्स और पुनर्चक्रणकर्ताओं सहित हितधारकों ने टेक-बैक या विनिमय कार्यक्रमों को लागू करने के अपने अनुभव साझा किए। कार्यशाला ने हितधारकों के लिए टेक-बैक या एक्सचेंज कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के संबंध में नीति निर्माताओं को अपनी चिंताओं को व्यक्त करने के लिए एक मंच के रूप में भी काम किया।

आरएलजी इंडिया की प्रबंध निदेशक राधिका कालिया ने परियोजना और आयोजित कार्यशाला के बारे में बात करते हुए कहा, “ई-सफाई ई-कचरा प्रबंधन के लिए अच्छा बुनियादी ढांचा बनाने की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम है। हम सुरक्षित ई-कचरे के पुनर्चक्रण की चुनौतियों से निपटने के लिए नवीन विचारों और तरीकों को विकसित करने हेतु लगातार प्रयासरत हैं।

परियोजना और कार्यशाला पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा करते हुए, जीआईजेड इंडिया के निदेशक, जलवायु परिवर्तन डॉ. आशीष चतुर्वेदी ने कहा, “औपचारिक ई-कचरा प्रबंधन क्षेत्र में ई-कचरे के स्थायी पुनर्चक्रण की काफी संभावनाएं हैं। ई-सफाई पहल औपचारिक ई-अपशिष्ट पुनर्चक्रणकर्ताओं को उनके प्रयासों में समर्थन देकर एक बेहतर और स्वच्छ भारत के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है।

आनंद कुमार, मंडल प्रमुख (डिविज़नल हेड ), सीपीसीबी, ने विशेष भाषण देते हुए इस बात पर प्रकाश डाला कि अनौपचारिक क्षेत्र के हितधारकों को शामिल करना ईपीआर के तहत लक्ष्यों को प्राप्त करने और टेक बैक/एक्सचेंज कार्यक्रमों की प्रभावशीलता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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