रायबरेली। हम कितना भी शहीदो को नमन करे वह कम है। क्योकि वही हैं जिनकी बदौलत हम चैन की सांस ले पाते है। जो शहीद सरहद पर हम सब के लिये अपनी जान की परवाह नही करता और देश पर उनके मर मिटने के बाद यदि उनके परिवार दर दर भटके तो इससे बुरा और क्या हो सकता है। ऐसा ही एक परिवार है जिसके घर के लाल के देश पर अपनी जान न्योछावर कर दी बदले में उसके परिजन दर दर भटक रहे है।
यक्षप्रश्न यह है कि क्या बदले में हम सैनिक हेतु कुछ कर सके हैं ? सैनिक के परिवार का कष्ट समझ सके हैं क्या?
बात करते हैं वीरप्रसूता धरती बैसवारा के रायबरेली के बेहटा ग्राम पंचायत की। इस ग्रामपंचायत के नवयुवकों में देशप्रेम की जज़्बा ऐसा है कि हर तीसरे घर का सदस्य सेना में कार्यरत है। मां भारती की सेना को परम कर्तव्य मानकर नवयुवक परिवार को हमारे भरोसे छोंड़कर सुदूर सीमाओं पर अडिग खड़े रहते हैं। इस गांव से भी एक सिपाही अमर शहीद चंद्रभूषण सिंह देश की आन-बान के लिए सेना में भर्ती हुए। राजपूत रेजीमेंट में कार्यरत अमर शहीद चंद्रभूषण सिंह नें भारत-चीन युद्ध में भाग लिया।
सन्1962 में भारत-चीन युद्ध के समय देश के जाबाजों ने प्राणों के बदले सीमाओं का विनिमय किया, प्राण देकर देश को सुरक्षित कर दिया। इस युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के परिवार बेटों के शरीर के दर्शन ना कर सकीं। कई आंगन सूने हो गए, कई मांगे उजड़ गईं, कई किलकारियां अनाथ हो गईं। हमें और हमारें नेताओं को फर्क नहीं पड़ा 62 वर्ष बीत जाने के बाद भी शहीद के परिवार को कोई सुविधा मुहैया नहीं कराई जा सकी। शहीद चंद्रभूषण का परिवार भी सरकार और सिस्टम का मारा अपना जीवन यापन करता रहा। शहीद के नाम का एक पत्थर भी गांव में नहीं लग पाया।
वर्तमान एवं पूर्व के नेताओं पर टिप्पणी करने पर कापी-पेस्ट क्रांतिकारी हरकत मे आकर अपने नेता के बचाव मे जुट जाते हैं, लेकिन शहीदों के अपमान के बदले अपने आकाओं से प्रश्न नहीं कर सकते। क्षेत्र के ही कई विधायक बनें कई मंत्री भी बने, किसी नें शहीद और उनके परिवार की सुध नहीं ली। जातिवाद का झंडा फहराने वाले भी ना जाने किस बिल में दुबक गए। शहीद के नाम पर द्वार तो दूर एक स्तम्भ तक का बंदोबस्त ना हो सका। कोठियों में भरे धन का कुछ भाग देश प्रेम मे निकाल देते तो शायद शहीद की आत्मा भी तृप्त हो गई होती।
आज भी इस ग्राम पंचायत के युवक सेना में जाकर देश सेवा को लालायित हैं। अमर शहीद चंद्रभूषण सिंह के बलिदान को नेताओं ने भुला दिया होगा लेकिन इतिहास में अमर होकर क्षेत्र को गौरव प्रदान कराने वाले अमर शहीद को देश को दिल मे बसाने वाली जनता कभी नहीं भुला सकती। अब देखना है की आखिर कब तक यह परिवार ठोकरे खाता रहेगा या शासन-प्रशासन इनकी सुधि लेता है।
क्या बोले विधायक- सरेनी विधायक धीरेन्द्र सिंह से पूछे जाने पर उन्होंने कहा की देश के जवान और किसान मेरे लिए पूजनीय हैं। देश के फ़ौजी भाइयो के लिए तो मेरी जान भी हाजिर हैं। सरेनी विधायक ने कहा कि फिलहाल मामला मेरे संज्ञान मे नहीं हैं, मैं पता करूँगा, और मुख्यमंत्री को पत्र लिखूंगा। शहीद के परिवार के लिए मुझसे जो बन पड़ेगा मैं करूँगा।
रिपोर्ट-दुर्गेश मिश्रा