महाराजगंज/रायबरेली। कोरोना काल के बाद पहला सम्पूर्ण समाधान दिवस आयोजित किया गया जिसमें कोविड 19 की जमकर धज्जियां उड़ाई गई। समाधान दिवस में अधिकतर मामले लंबित वरासत व भ्रष्टचार से संबंधित आए। हर मामले के निस्तारण में उप जिलाधिकारी सविता यादव अक्षम दिखी।
आपको बताते चलें की उत्तर प्रदेश सरकार वरासत के मामलों में गांव गांव जाकर त्वरित निस्तारण का शख्त निर्देश है लेकिन शासन का आदेश का कोई असर तहसील के लेखपाल व अधिकारियों पर नहीं है। बेखौफ होकर फरियादियों से घुस लेना उसके बाद भी काम ना करना ये रोज की दिनचर्या बन गई है।यही कारण है कि फरियादी एक मामले में दर्जनों प्रार्थना पत्र देते है और रोज तहसील मुख्यालय एवं लेखपालों की परिक्रमा करते है।
दीपेंद्र कुमार पुत्र राकेश कुमार निवासी ग्राम अलीपुर शिकायती पत्र देते हुए बताया कि केशवदेई पत्नी बुद्धिप्रकाश निवासी ग्राम पहनासा की मृत्यु बीते वर्ष 17 फरवरी में हुई है तब से कई वरासत के लिए माता किरन की तरफ से आवेदन किया लेकिन अभी तक वरासत दर्ज नहीं की गई। मथुरा प्रसाद निवासी ग्राम असनहन जगतपुरने शिकायत कि की भूमि गाता संख्या 1952 आवंटन में प्राप्त हुई थी जिस पर कब्जा दखल था।
किंतु गांव के अमजद अहमद अली ने मेरी भूमि पर कब्जा कर लिया है।लेखपाल संदीप कुमार ने पैमाईश करने के लिए 55 सौ लिया लेकिन 2 माह से तहसील के चक्कर लगा रहा हूं, न तो लेखपाल पैसा वापस कर रहे हैं न भूमि की पैमाईश कर रहे है। ऐसे में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि तहसील महाराजगंज के अधिकारी वह कर्मचारी शासन की छवि को किस तरह से धूमिल करने का प्रयास कर रहे और बेखौफ होकर अपनी मनमानी पर उतारू है।
रिपोर्ट-दुर्गेश मिश्रा