दिल्ली में अब तक की सबसे बड़ी बाढ़ ने जहां हजारों लोगों को बेघर कर दिया है तो सैकड़ों लोगों की जान भी मुश्किल में फंस गई। एनडीआरएफ और दिल्ली पुलिस अलग-अलग इलाकों में राहत और बचाव का अभियान चला रही है।
उत्तर पूर्वी दिल्ली में न्यू उस्मानपुर में मंगलवार रात अचानक यमुना नदी का जल स्तर बढ़ने से एक युवक फंस गया। वह जान बचाने के लिए पेड़ पर चढ़ गया और करीब 22 घंटे तक बैठा रहा। पुलिस की टीम ने बुधवार को फंसा देख सुरक्षित बाहर निकाला। इसके बाद युवक ने राहत की सांस ली।
यमुना में लगातार बढ़ रहे जल के कारण बुधवार को पल्ला से लेकर बदरपुर तक के इलाके जलमग्न हो गए। ये सभी यमुना किनारे बसे क्षेत्र हैं। यहां लोग गले तक आ रहे पानी के बीच से निकलकर जान बचाते दिखे। लोगों के सामने खाने-पीने सहित अपना घरेलू सामान बचाने का संकट खड़ा हो गया है।
बारिश और यमुना में जलस्तर बढ़ने की वजह से उपजे हालात को ध्यान में रखते हुए उत्तर पूर्वी दिल्ली में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्थित पुलिस स्टेशन भी पूरी सतर्कता बरत रहे हैं। बाढ़ की स्थिति को देखते हुए ऊपरी मंजिलों पर कामकाज को स्थानांतरित करने की तैयारी कर ली गई है। वहीं, आसपास के अन्य पुलिस स्टेशनों को भी अलर्ट पर रहने का निर्देश दिए गए हैं।
रात सात बजे कुछ बच्चे गायों को निकालने के लिए पानी में होते हुए करीब एक किलोमीटर अंदर तक चले गए। इस बीच पानी का स्तर बढ़ने पर उनका बाहर निकलना मुश्किल हो गया। एनडीआरएफ को इसकी सूचना दी गई तो नावों में सवार होकर दो टीमें उन्हें आधे घंटे की मशक्कत के बाद सुरक्षित निकाल लाई। यमुना खादर इलाके में नोएडा दिल्ली लिंक रोड से करीब एक किलोमीटर अंदर राम मंदिर के पास वाले इलाके में देर रात क करीब 200 लोग और 11 गाय और एक दर्जन कुत्ते फंसे हुए थे। एनडीआरएफ की टीम स्थानीय लोगों के साथ उन्हें निकालने पहुंची।
मयूर विहार के पास यमुना खादर इलाके में रहने वाले कई लोगों के घरों में पानी घुस गया, जिसमें बच्चों की कॉपी-किताबें, रजाई, कंबल गद्दे सब बह गए। स्थानीय निवासी राम अवतार ने बताया कि यमुना का जल तेजी से घरों में भर गया। बड़ी मुश्किल में अपने बच्चों को वहां से सुरक्षित निकालकर लाया हूं। अमरनाथ का बिस्तर, रजाई, गद्दे और कंबल समेत तमाम सामान यमुना के पानी में बह गया।
मयूर विहार फेज-1 के पास यमुना खादर में रहने वाले लोगों के खेत डूब गए हैं। ये परिवार खेती पर ही निर्भर हैं। इन परिवारों का कहना है कि अपने खेतों में सब्जी उगाकर आसपास के इलाकों में बेचकर जिंदगी गुजार रहे थे, लेकिन अब फसल नहीं बची तो खाने पास के लाले पड़े गए हैं। यहां दिल्ली सरकार और एनजीओ की तरफ से खाने की व्यवस्था की गई है, लेकिन विस्थापितों की संख्या देखते हुए व्यवस्था अपर्याप्त है।
बदायूं निवासी ओमकार पिछले 10 साल से यहीं रहकर खादर की तीन बीघा जमीन पर खेती करते हैं। उनका कहना है कि फसल बर्बाद हो गई। केवल तीन दिनों का राशन बचा है। उनका परिवार मयूर विहार से नोएडा जाने वाली सड़क के फुटपाथ पर खुले आसमान के नीचे रह रहा है। रात में डर सताता है कि कहीं कोई वाहन पूरे परिवार को न कुचल दे।